भीलवाड़ा. अगर दिल में कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा हो और मजबूत इरादे हों तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसान हो जाती है. कुछ ऐसी ही कठिनाइयों का सामना कर अपने लक्ष्य को हासिल किया है भीलवाड़ा जिले की हुरड़ा पंचायत समिति क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किसान के बेटे नोरत माली ने. गागेडा ग्राम पंचायत क्षेत्र के 15 गांव की बस्ती वाले मालीखेड़ा गांव के किसान के बेटे नोरत माली ने सीए क्वालिफाई कर माता-पिता के साथ ही पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है. बेटे के सीए बनने पर किसान की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े. ईटीवी भारत ने जब नोरत माली से बातचीत की तो उन्होंने इस उपलब्धि के पीछे कड़ी मेहनत और घर वालों का पूरा सहयोग होना बताया.
पंचायत समिति क्षेत्र की गागेडा ग्राम पंचायत क्षेत्र के 15 परिवार की बस्ती के माली खेड़ा गांव के किसान के बेटे नोरत माली ने सीए की परीक्षा पास कर माता-पिता के साथ अपने सपने को भी साकार किया है. विपरीत परिस्थितियों के बाद भी लक्ष्य के प्रति गंभीर होकर पढ़ाई की जिसका नतीजा है कि आज वह सीए की परीक्षा में उर्त्तीण कर सका है.
ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिले के उस किसान के घर पहुंची जहां वह अपने खेत में काम करने के साथ पशुपालन भी करता है. घर पर गांव वालों और रिश्तेदार जमा थे और मिठाइयां बांटी जा रहीं थीं. बेटे के सीए बनने पर एक तरफ नोरत माली के परिजन खुश थे तो वहीं दूसरी ओर माता-पिता की आंख में खुशी के आंसू थे. माता-पिता ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि इस सफलता के लिए उनके परिवार को कितने संघर्ष से गुजरना पड़ा.
फीस के पैसे भी मुश्किल से जुटा पाते थे
नोरत माली की मां मनभर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि नोरत सीए की परीक्षा पास कर ली है. बहुत खुशी हो रही है. हमारे घर के हालात पहले बहुत खराब थे, पढ़ाने के दौरान बहुत समस्या भी हुई. 500 रुपये फीस के लिए भी नहीं जुटा पाते थे. यहां 15 परिवारों की बस्ती है. आज मेरा बेटा सीए बन गया है. मैं भगवान से यहीं कामना करती हूं कि दूसरे बच्चे भी इसी प्रकार पढ़ें और अपना और परिवार का नाम रोशन करें.
नोरत के पिता मोहनलाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि हम खेतीबाड़ी करते हैं. हमें अपने बेटे को पढ़ाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मेरे बेटे को भी पढ़ाई के दौरान काफी मुसीबतें झेलनी पड़ीं. मेरे पास जूते नहीं रहते थे और न ढंग के कपड़े होते थे लेकिन सब चीज में कटौती कर बेटे को पढ़ाने के लिए फीस भरते थे. आज उसके सीए बनने पर लोग मिठाई खिला रहे हैं लेकिन पहले हम घर में सब्जी भी नहीं खिला पाते थे. कहीं बाहर फीस के लिए स्कूल से बुलावा आता था तो मैं स्कूल में मास्टर से विनती करता था कि दाखिला करा दें मैं जल्द ही फीस के पैसे जमा करा दूंगा.
पांच वर्ष पहले बिजली भी नहीं थी
वहीं नोरत के बडे़ भाई रामप्रसाद माली ने कहा कि हमें बड़ा गर्व है कि इस ग्रामीण परिवेश में रहने और पढ़ने के बाद नोरत इस मुकाम पर पहुंचा है. रहने के लिए हमारे पास एक कमरे का ही मकान है. इसी में हम तीन भाई और हमारे माता-पिता साथ रहते हैं लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों में भी नोरत ने इतनी बड़ी सफलता हासिल की है. बताया कि 5 वर्ष पहले उनके यहां बिजली भी नहीं थी. हम तीनों भाइयों ने चिमनी के सहारे ही पढ़ाई की है.
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प्लास्टिक के झोले में किताबें लेकर जाते थे पढ़ने
सीए की परीक्षा उर्तीण करने वाले नोरत माली ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मैंने बहुत सी चुनौतियां पार करते हुए यह सफलता प्राप्त की है. शुरू में मैं जब स्कूल जाता था तो मेरे पास जूते नहीं होते थे. प्लास्टिक के कट्टे के बने बैग में मै कॉपी-किताब लेकर स्कूल जाता था. वहीं 11वीं व 12वीं की कक्षा में पढ़ाई के दौरान में शहर में कभी पैदल तो कभी साइकिल से जाया करता था.
बडे़ भाई के गाइडेंस में आगे पढ़ा जो वर्तमान में तैयारी कर रहे हैं. उनके गाइडेंस से ही आगे बढ़ा और हाल ही में सीए का परिणाम में सफलता हासिल की. मैंने कॉलेज प्रोफेसर के लिए नेट भी क्वालीफाई कर ली है. गांव में सुविधा का अभाव है, लेकिन मेहनत और माता-पिता के आशीर्वाद से आगे बढ़ रहा हूं. युवाओं को संदेश देते हुए नोरत ने कहा कि कोई भी लक्षय मजबूत इरादे से बड़ा नहीं होता है. हौसले और विश्वास के साथ अपने लक्ष्य पर ध्यान दें, सफलता जरूर मिलेगी.