भरतपुर. पूरा बृज क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं और उनकी कथाओं से ओतप्रोत है. गिरिराज जी यानी भगवान श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं का प्रमाण है. अटूट आस्था के चलते ही दूर-दूर से श्रृद्धालु गिरिराज जी की परिक्रमा लगाने के लिए आते हैं. आस्था का ऐसा ही अनूठा नजारा इन दिनों भरतपुर में देखने को मिल रहा है. जिले के रेख सिंह गुर्जर की दुर्घटना में एक आंख की रोशनी चली गई थी. अलग-अलग चिकित्सकों को दिखाया, लेकिन सभी ने आंख ठीक होने से साफ इनकार कर दिया था. आखिर में रेख सिंह ने गिरिराज महाराज से मन्नत मांगी. अब आंख की रोशनी लौटने पर वे अपने पूरे परिवार के साथ अपने घर से गिरिराज जी तक करीब 125 किमी तक दंडवत परिक्रमा लगा रहे हैं. रेख सिंह और उनके परिजनों की इस आस्था की चर्चा हर जगह हो रही है.
दुर्घटना में गई आंख की रोशनी : जिले के बयाना के गांव कारवरी निवासी रेख सिंह गुर्जर (32) ने बताया कि करीब छह माह पूर्व शादी के कार्ड देने के लिए बाइक से रिश्तेदारी में जा रहा था. उसी दौरान सड़क हादसा हो गया. हादसे में आंख के पास चोट लगने से दाहिनी आंख की रोशनी चली गई. उन्होंने कहा कि आगरा, जयपुर कई चिकित्सकों का इलाज लिया. कई माह तक दवाई ली, जांच कराई. आखिर में चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए और स्पष्ट कह दिया कि आंख की रोशनी नहीं लौट सकती.
गिरिराज जी से मांगी मन्नत : रेख सिंह ने बताया कि इस घटना से पूरा घर सदमे में था. माता, पिता, पत्नी, भाई सभी दुखी थे. सभी ने उम्मीद छोड़ दी थी. आखिर में गिरिराज महाराज से मन्नत मांगी कि यदि आंख की रोशनी लौट आएगी तो में दंडवत परिक्रमा लगाऊंगा. रेख सिंह का कहना है कि भगवान ने मेरी पुकार सुन ली और करीब एक माह पूर्व अपनेआप मेरी आंख की रोशनी लौट आई. इस पर पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
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अब पूरा परिवार गांव से लगा रहा दंडवत : रेख सिंह ने बताया कि मन्नत तो मैंने अकेले ने गिरिराज महाराज की दंडवत परिक्रमा लगाने की मांगी थी. लेकिन जब परिजनों को पता चला कि गिरिराज महाराज की कृपा से आंख की रोशनी लौटी है तो मां, भाई, पत्नी भी दंडवत करने की जिद करने लगे.
18 दिन में पूरी करेंगे 100 किमी की दूरी : ऐसे में अब रेख सिंह के साथ ही उसकी पत्नी रामधनी, मां और छोटा भाई भी दंडवत परिक्रमा लगा रहे हैं. चारों लोगों ने गांव कारवारी से ही 19 जुलाई को दंडवत परिक्रमा लगाना शुरू किया. 8 दिन में दंडवत करते हुए गुरुवार को करीब 65 किमी की दूरी तय करके भरतपुर पहुंचे. यहां से करीब 40 किमी दूर गिरिराज जी पहुंचेंगे और वहां पर करीब 21 किमी की परिक्रमा भी दंडवत लगाएंगे.
रेख सिंह ने बताया कि हर दिन सुबह 4 बजे से दंडवत शुरू करते हैं और दिन में करीब 8 किमी तक दंडवत लगाते हैं. रात को जहां 8 किमी दूरी पूरी हो जाए या खाने और रुकने लायक जगह मिल जाए, वहीं रात गुजारते हैं. रेख सिंह का कहना है कि यह गिरिराज महाराज की कृपा से ही संभव हो सका है कि आंख की रोशनी लौट आई.