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Reality Check : न दुकानदार न कर्मचारी...कागजों तक सिमट कर रह गया 'नो मास्क, नो एंट्री' अभियान - No mask, No entry campaign in Bharatpur

सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कार्यालयों में 'No mask, No entry' campaign की शुरुआत की है, लेकिन भरतपुर में इस अभियान को लेकर अधिकारी से लेकर आमजन भी लापरवाह नजर आ रहे हैं. ऐसे में कोरोना नियमों की अवहेलना कोरोना की स्थिति और गंभीर कर सकता है.

भरतपुर न्यूज, 'No mask, no entry' campaign
भरतपुर में 'No mask, No entry' campaign की उड़ी धज्जियां
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Published : Sep 30, 2020, 1:57 PM IST

Updated : Sep 30, 2020, 3:38 PM IST

भरतपुर. केंद्र और राज्य सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगातार प्रयासरत है और जनता को तमाम अभियानों के माध्यम से जागरूक भी किया जा रहा है, लेकिन राज्य सरकार का 'नो मास्क, नो एंट्री' अभियान भरतपुर जिले में सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया है. जिला प्रशासन और चिकित्सा महकमा इस अभियान को सफल बनाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य में 'नो मास्क, नो एंट्री' अभियान लागू हुआ है. जिसके तहत सरकारी कार्यालय सहित निजी कार्यालय में बिना मास्क के एंट्री पर पाबंदी लगाई गई है. इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कड़ी पालना के निर्देश दिए हैं, लेकिन अजमेर में अधिकारी और आम जनता भी इसके प्रति लापरवाह नजर आ रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब 'No mask, No entry' campaign का रियलिटी चेक किया तो प्रशासन के दावे का माखौल उड़ता नजर आया.

भरतपुर में 'No mask, No entry' campaign की उड़ी धज्जियां

दुकानदार और उपभोक्ता नहीं कर रहे पालना...

ईटीवी भारत टीम ने शहर के बिजली घर चौराहे से बाजार में कई दुकानों तक पहुंचकर हकीकत जानी. चाहे परचून की दुकान का दुकानदार हो या फिर कचौड़ी विक्रेता, अधिकतर दुकानदार बिना मास्क के ही सामान बिक्री करते हुए पाए गए.

यह भी पढ़ें. Special: कोरोना उपचार में कारगर साबित हो रही है होम्योपैथी, आयुष मंत्रालय भी लगा चुका है विश्वसनीयता पर मुहर

इतना ही नहीं इन दुकानों पर सामान खरीदने आने वाले उपभोक्ताओं में से भी बड़ी संख्या में लोग बिना मास्क के ही नजर आएं. ऐसे में आम जनों में कोरोना गाइडलाइन को लेकर कितनी गंभीरता है, ये साफ तौर पर झलक रही है.

भरतपुर न्यूज, 'No mask, no entry' campaign
कार्यालय में भी बिना मास्क के अधिकारी

कलक्ट्रेट परिसर में भी पालना नहीं...

वहीं ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी कार्यालय का भी रियलिटि चेक करने का ठाना. इसलिए जब टीम कलक्ट्रेट परिसर पहुंची तो यहां भी नो मास्क नो एंट्री अभियान की पूर्ण पालना होती नहीं दिखी. कई अधिकारी तो मास्क लगाकर काम करते नजर आए लेकिन परिसर के कई कार्यालयों में मास्क बिना ही कर्मचारी दिखे. एडीएम प्रशासन खुद मास्क लगाकर काम कर रही थी, लेकिन उनके द्वार पर तैनात गार्ड और कर्मचारी मास्क को औपचारिकता के लिए गले मे लटकाकर बैठे दिखे. ऐसा ही हाल परिसर के अन्य कार्यालयों में भी देखने को मिला.

बाहर पोस्टर, अंदर पालना नहीं...

जिला कलेक्ट्रेट परिसर में सभी कार्यालयों के बाहर No mask, no entry का पोस्टर चस्पा किया हुआ है. साथ ही जागरूकता के लिए उस पर साफ लिखा हुआ है कि बिना मास्क के एंट्री नहीं है. इसके बावजूद उन कार्यालयों के अंदर बैठे हुए कर्मचारी खुद इन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नजर आए. कई कर्मचारियों ने तो कैमरा देखकर मास्क लगाया.

भरतपुर न्यूज, 'No mask, no entry' campaign
दुकानों पर बिना मास्क के दुकानदार और ग्राहक

यह भी पढ़ें. Special: कोरोना की बढ़ रही रफ्तार, कहीं लापरवाही न पड़ जाए भारी

जबकि अधिकारियों का दावा है कि अभियान की पालना के लिए सभी को निर्देशित किया जा चुका है. साथ ही बाजार व सार्वजनिक स्थानों पर नियमों की पालना के लिए पुलिस व प्रशासन की ओर से निरीक्षण कराए जाते हैं. बिना मास्क घूमने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है.

गौरतलब है कि भरतपुर जिले में अब तक कोरोना संक्रमण से 80 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जिले में अब तक 3500 से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इसके बावजूद लोग अब तक कोरोना संक्रमण के प्रति पूरी तरह से जागरूक नहीं हो पाए हैं. वहीं प्रशासन भी अब जागरूकता के नाम पर पोस्टर चस्पा कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर रहा है. ऐसे में जिले में कोरोना गाइडलाइन की अवहेलना कोरोना की स्थिति बिगाड़ सकती है.

भरतपुर. केंद्र और राज्य सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगातार प्रयासरत है और जनता को तमाम अभियानों के माध्यम से जागरूक भी किया जा रहा है, लेकिन राज्य सरकार का 'नो मास्क, नो एंट्री' अभियान भरतपुर जिले में सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया है. जिला प्रशासन और चिकित्सा महकमा इस अभियान को सफल बनाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य में 'नो मास्क, नो एंट्री' अभियान लागू हुआ है. जिसके तहत सरकारी कार्यालय सहित निजी कार्यालय में बिना मास्क के एंट्री पर पाबंदी लगाई गई है. इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कड़ी पालना के निर्देश दिए हैं, लेकिन अजमेर में अधिकारी और आम जनता भी इसके प्रति लापरवाह नजर आ रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब 'No mask, No entry' campaign का रियलिटी चेक किया तो प्रशासन के दावे का माखौल उड़ता नजर आया.

भरतपुर में 'No mask, No entry' campaign की उड़ी धज्जियां

दुकानदार और उपभोक्ता नहीं कर रहे पालना...

ईटीवी भारत टीम ने शहर के बिजली घर चौराहे से बाजार में कई दुकानों तक पहुंचकर हकीकत जानी. चाहे परचून की दुकान का दुकानदार हो या फिर कचौड़ी विक्रेता, अधिकतर दुकानदार बिना मास्क के ही सामान बिक्री करते हुए पाए गए.

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इतना ही नहीं इन दुकानों पर सामान खरीदने आने वाले उपभोक्ताओं में से भी बड़ी संख्या में लोग बिना मास्क के ही नजर आएं. ऐसे में आम जनों में कोरोना गाइडलाइन को लेकर कितनी गंभीरता है, ये साफ तौर पर झलक रही है.

भरतपुर न्यूज, 'No mask, no entry' campaign
कार्यालय में भी बिना मास्क के अधिकारी

कलक्ट्रेट परिसर में भी पालना नहीं...

वहीं ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी कार्यालय का भी रियलिटि चेक करने का ठाना. इसलिए जब टीम कलक्ट्रेट परिसर पहुंची तो यहां भी नो मास्क नो एंट्री अभियान की पूर्ण पालना होती नहीं दिखी. कई अधिकारी तो मास्क लगाकर काम करते नजर आए लेकिन परिसर के कई कार्यालयों में मास्क बिना ही कर्मचारी दिखे. एडीएम प्रशासन खुद मास्क लगाकर काम कर रही थी, लेकिन उनके द्वार पर तैनात गार्ड और कर्मचारी मास्क को औपचारिकता के लिए गले मे लटकाकर बैठे दिखे. ऐसा ही हाल परिसर के अन्य कार्यालयों में भी देखने को मिला.

बाहर पोस्टर, अंदर पालना नहीं...

जिला कलेक्ट्रेट परिसर में सभी कार्यालयों के बाहर No mask, no entry का पोस्टर चस्पा किया हुआ है. साथ ही जागरूकता के लिए उस पर साफ लिखा हुआ है कि बिना मास्क के एंट्री नहीं है. इसके बावजूद उन कार्यालयों के अंदर बैठे हुए कर्मचारी खुद इन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नजर आए. कई कर्मचारियों ने तो कैमरा देखकर मास्क लगाया.

भरतपुर न्यूज, 'No mask, no entry' campaign
दुकानों पर बिना मास्क के दुकानदार और ग्राहक

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जबकि अधिकारियों का दावा है कि अभियान की पालना के लिए सभी को निर्देशित किया जा चुका है. साथ ही बाजार व सार्वजनिक स्थानों पर नियमों की पालना के लिए पुलिस व प्रशासन की ओर से निरीक्षण कराए जाते हैं. बिना मास्क घूमने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है.

गौरतलब है कि भरतपुर जिले में अब तक कोरोना संक्रमण से 80 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जिले में अब तक 3500 से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इसके बावजूद लोग अब तक कोरोना संक्रमण के प्रति पूरी तरह से जागरूक नहीं हो पाए हैं. वहीं प्रशासन भी अब जागरूकता के नाम पर पोस्टर चस्पा कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर रहा है. ऐसे में जिले में कोरोना गाइडलाइन की अवहेलना कोरोना की स्थिति बिगाड़ सकती है.

Last Updated : Sep 30, 2020, 3:38 PM IST
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