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यूआईटी की आवासीय योजना को राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति की ना, किसान जेसीबी लेकर पहुंचे

भरतपुर यूआईटी की ओर से किसानों की जमीन अधिग्रहित मामले में पिछले 15 सालों से किसान मुआवजा और 25 प्रतिशत भूखंड का इंतजार कर रहे हैं. स्कीम 13 को लेकर बीते करीब 3 दिनों से किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसके बाद शुक्रवार को किसान जेसीबी लेकर अपनी जमीन पर कब्जा करने पहुंच गए. कई जगहों पर किसानों ने जेसीबी से बाउंड्री निर्माण तोड़ दिए.

UIT acquires land from farmers in Bharatpur
भरतपुर में किसानों का प्रदर्शन
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Published : Aug 12, 2022, 7:55 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 12:07 AM IST

भरतपुर. नगर विकास न्यास (UIT) की स्कीम-13 को राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति ने अभिशंसा करने से साफ इनकार कर दिया. पिछले 15 सालों से जमीन के बदले मुआवजा और 25 फीसदी भूखंड का इंतजार कर रहे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. 15 साल पहले यूआईटी ने किसानों से जमीन को अधिग्रहित किया था. किसान इन सालों से इस जमीन पर न तो खेती कर पा रहे हैं और न ही यूआईटी ने अभी तक उनको कोई भूखंड दिया है. वहीं इस संबंध में यूआईटी के अधिकारी जवाबदेही से कन्नी काट रहे हैं. जिसके चलते नाराज किसान शुक्रवार सुबह जेसीबी लेकर स्कीम-13 में अपनी जमीन पर कब्जा लेने पहुंच गए.

करोड़ों का नुकसान: किसान एवं पार्षद मोती सिंह ने बताया कि करीब 15 साल पहले प्रशासन ने 10 गांव के 2980 किसानों की 2200 बीघा जमीन को स्कीम-13 (Bharatpur UIT scheme 13) के लिए अधिग्रहित किया था. तभी से किसान अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं. यदि किसान हर वर्ष अपनी जमीन पर खेती करते तो 2200 बीघा जमीन से उन्हें हर वर्ष करीब डेढ़ करोड़ रुपये की आय होती. किसानों की मानें तो बीते 15 साल में वो करीब 60 करोड़ से अधिक का नुकसान उठा चुके हैं.

भरतपुर में किसानों का प्रदर्शन

आवेदकों को इंतजार: किसानों ने बताया कि यूआईटी की इस योजना को लेकर किसानों ने कई बार धरना प्रदर्शन (Farmers Protest in Bharatpur) किए. लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला. इस योजना में भूखंडों के लिए 8892 आवेदन भी प्राप्त हुए थे लेकिन योजना की कोई प्रगति न होती देख, 5023 आवेदकों ने आवेदन वापस भी ले लिए. अभी भी 3800 से अधिक आवेदकों को इस योजना का इंतजार है.

पढ़ें. भरत सिंह ने की यूआईटी के अधिकारियों पर FIR दर्ज करवाने की मांग, जानें क्या है पूरा मामला...

मंजूरी देने से इनकार: अभी तक यह योजना वन विभाग की अनुशंसा नहीं मिलने की वजह से अटकी हुई थी. इसको लेकर कई बार किसान स्थानीय विधायक एवं मंत्री डॉ सुभाष गर्ग से भी मिले. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि बीते दिनों राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति की बैठक में भी इस योजना को लेकर चर्चा की गई. जिसके बाद स्थाई समिति ने स्कीम-13 के प्रस्ताव की अभिशंसा नहीं करने का निर्णय लिया है. ऐसे में एक बार फिर से इस योजना पर तलवार लटक गई है.

कब्जा करने पहुंचे किसान: स्कीम-13 को लेकर बीते करीब 3 दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे किसान शुक्रवार को जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर स्कीम 13 पहुंच गए. यहां पर (Protest in Bharatpur) किसानों ने जेसीबी से कई जगह बाउंड्री निर्माण तोड़ दिए. किसान मोती सिंह ने कहा कि अब किसान और इंतजार नहीं करेंगे, वो अपनी जमीनों को फिर से अपने कब्जे में लेंगे और खेती-बाड़ी करेंगे.

किसान मोती सिंह ने कहा कि जब भी किसान अपने हिस्से की भूखंड की मांग करता है यूआईटी वन विभाग की मंजूरी का बहाना बना देता है. मोती सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब वन विभाग की मंजूरी ही नहीं मिली, तो यूआईटी ने पहले इस स्कीम में करीब 20 फीसदी भूखंडों के पट्टे जारी कैसे कर दिए. राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने तो स्कीम -13 में आयुर्वेदिक महाविद्यालय की जमीन का भूमि पूजन भी कर दिया है.

पढ़ें. UIT के अतिक्रमण निरोधक दस्ते का विरोध, अवैध अतिक्रमण को तोड़ने पर हुआ पथराव

पल्ला झड़ते रहे जिम्मेदार: स्कीम-13 को लेकर जब यूआईटी के जिम्मेदारों से बात करने का प्रयास (UIT acquired land from farmers in Bharatpur) किया गया, तो सभी कन्नी काटते और पल्ला झाड़ते हुए नजर आए. इस संबंध में यूआईटी के एक्सईएन दुर्गा प्रसाद शर्मा, एईएन राजुल और एईएन दीपक से बात की. लेकिन सभी ने इस योजना को लेकर कोई जवाब देने से इनकार कर दिया.

गौरतलब है कि यूआईटी की 346.86 हेक्टेयर जमीन में स्कीम-13 विकसित करने की प्लानिंग थी. इसके लिए 15 साल पहले 2980 किसानों की 2200 बीघा जमीन अधिग्रहित कर ली. योजना में लॉटरी के लिए 8892 आवेदकों ने आवेदन किए और बाद में 5023 ने आवेदन वापस भी ले लिए.

भरतपुर. नगर विकास न्यास (UIT) की स्कीम-13 को राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति ने अभिशंसा करने से साफ इनकार कर दिया. पिछले 15 सालों से जमीन के बदले मुआवजा और 25 फीसदी भूखंड का इंतजार कर रहे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. 15 साल पहले यूआईटी ने किसानों से जमीन को अधिग्रहित किया था. किसान इन सालों से इस जमीन पर न तो खेती कर पा रहे हैं और न ही यूआईटी ने अभी तक उनको कोई भूखंड दिया है. वहीं इस संबंध में यूआईटी के अधिकारी जवाबदेही से कन्नी काट रहे हैं. जिसके चलते नाराज किसान शुक्रवार सुबह जेसीबी लेकर स्कीम-13 में अपनी जमीन पर कब्जा लेने पहुंच गए.

करोड़ों का नुकसान: किसान एवं पार्षद मोती सिंह ने बताया कि करीब 15 साल पहले प्रशासन ने 10 गांव के 2980 किसानों की 2200 बीघा जमीन को स्कीम-13 (Bharatpur UIT scheme 13) के लिए अधिग्रहित किया था. तभी से किसान अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं. यदि किसान हर वर्ष अपनी जमीन पर खेती करते तो 2200 बीघा जमीन से उन्हें हर वर्ष करीब डेढ़ करोड़ रुपये की आय होती. किसानों की मानें तो बीते 15 साल में वो करीब 60 करोड़ से अधिक का नुकसान उठा चुके हैं.

भरतपुर में किसानों का प्रदर्शन

आवेदकों को इंतजार: किसानों ने बताया कि यूआईटी की इस योजना को लेकर किसानों ने कई बार धरना प्रदर्शन (Farmers Protest in Bharatpur) किए. लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला. इस योजना में भूखंडों के लिए 8892 आवेदन भी प्राप्त हुए थे लेकिन योजना की कोई प्रगति न होती देख, 5023 आवेदकों ने आवेदन वापस भी ले लिए. अभी भी 3800 से अधिक आवेदकों को इस योजना का इंतजार है.

पढ़ें. भरत सिंह ने की यूआईटी के अधिकारियों पर FIR दर्ज करवाने की मांग, जानें क्या है पूरा मामला...

मंजूरी देने से इनकार: अभी तक यह योजना वन विभाग की अनुशंसा नहीं मिलने की वजह से अटकी हुई थी. इसको लेकर कई बार किसान स्थानीय विधायक एवं मंत्री डॉ सुभाष गर्ग से भी मिले. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि बीते दिनों राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति की बैठक में भी इस योजना को लेकर चर्चा की गई. जिसके बाद स्थाई समिति ने स्कीम-13 के प्रस्ताव की अभिशंसा नहीं करने का निर्णय लिया है. ऐसे में एक बार फिर से इस योजना पर तलवार लटक गई है.

कब्जा करने पहुंचे किसान: स्कीम-13 को लेकर बीते करीब 3 दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे किसान शुक्रवार को जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर स्कीम 13 पहुंच गए. यहां पर (Protest in Bharatpur) किसानों ने जेसीबी से कई जगह बाउंड्री निर्माण तोड़ दिए. किसान मोती सिंह ने कहा कि अब किसान और इंतजार नहीं करेंगे, वो अपनी जमीनों को फिर से अपने कब्जे में लेंगे और खेती-बाड़ी करेंगे.

किसान मोती सिंह ने कहा कि जब भी किसान अपने हिस्से की भूखंड की मांग करता है यूआईटी वन विभाग की मंजूरी का बहाना बना देता है. मोती सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब वन विभाग की मंजूरी ही नहीं मिली, तो यूआईटी ने पहले इस स्कीम में करीब 20 फीसदी भूखंडों के पट्टे जारी कैसे कर दिए. राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने तो स्कीम -13 में आयुर्वेदिक महाविद्यालय की जमीन का भूमि पूजन भी कर दिया है.

पढ़ें. UIT के अतिक्रमण निरोधक दस्ते का विरोध, अवैध अतिक्रमण को तोड़ने पर हुआ पथराव

पल्ला झड़ते रहे जिम्मेदार: स्कीम-13 को लेकर जब यूआईटी के जिम्मेदारों से बात करने का प्रयास (UIT acquired land from farmers in Bharatpur) किया गया, तो सभी कन्नी काटते और पल्ला झाड़ते हुए नजर आए. इस संबंध में यूआईटी के एक्सईएन दुर्गा प्रसाद शर्मा, एईएन राजुल और एईएन दीपक से बात की. लेकिन सभी ने इस योजना को लेकर कोई जवाब देने से इनकार कर दिया.

गौरतलब है कि यूआईटी की 346.86 हेक्टेयर जमीन में स्कीम-13 विकसित करने की प्लानिंग थी. इसके लिए 15 साल पहले 2980 किसानों की 2200 बीघा जमीन अधिग्रहित कर ली. योजना में लॉटरी के लिए 8892 आवेदकों ने आवेदन किए और बाद में 5023 ने आवेदन वापस भी ले लिए.

Last Updated : Aug 13, 2022, 12:07 AM IST
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