बाड़मेर. गर्मियों के दिनों में पेयजल की समस्या कोई नई बात नहीं है, लेकिन राजस्थान के बाड़मेर जिले के सीमावर्ती गांव में बीते कई वर्षों से ग्रामीणों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है. इतना ही नहीं ग्रामीणों की माने तो बीते 12 वर्षों से उनके इलाके में पानी की विकट समस्या है. बावजूद इसके प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है.
कोरोना काल में तो हालात और भी विकट हो गए हैं, काम धंधे बंद है. जिसकी वजह से घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे मुश्किल हालातों में 800- 900 रुपये देकर टेंकरों से भी पानी डलवाना लोगों के बस की बात नहीं रही है. जिसकी वजह से ग्रामीणों के साथ मवेशियों के भी हालात खराब हो चुके है. पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों को प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक अपनी पीड़ा पहुंचाई, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. जिसकी वजह से यहां के बाशिंदे बीते 12 वर्षों से पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं.
जिले के गडरा रोड उपखंड के ग्राम पंचायत के तानुमानजी के सीमावर्ती राजस्व गांव जान सिंह की बेरी, दूधोडा में पिछले कई बरसों से पेयजल की भयंकर किल्लत से स्थानीय ग्रामीण जूझ रहे हैं. इसको लेकर ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को अपनी पीड़ा बयां की, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. लिहाजा महंगे दामों पर पानी के टैंकर डलवाकर ग्रामीण अपना जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से ग्रामीणों के काम धंधे बंद है. ऐसे में घर चलाना भी मुश्किल हो गया है, तो 800 से 900 देकर पानी के टैंकर का डलवाना उनके लिए बेहद मुश्किल काम हो गया है, जिसकी वजह से ग्रामीणों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.
ग्रामीणों के अनुसार उनके गांव में बीते 12 वर्षों से पानी की किल्लत चल रही है. ऐसे में उन्होंने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया. उनके अनुसार 2020 में एक पाइप लाइन भी गांव तक स्वीकृत हुई थी, लेकिन किन्ही कारणों से उस पर काम नहीं हो पाया है. ऐसे में गांव के पानी की होदिया सूख गई है. ग्रामीणों की ओर से अवगत कराने पर भी इस कार्य के प्रति दिलचस्पी न होने के कारण ग्राम वासियों को मजबूरन 1000 रुपये देकर पानी के टैंकर डलवाने पड़ रहे है. इस भयंकर गर्मी में आमजन तो क्या बेशहारा गोवंश के भी हालात खराब है. ऐसे में अब सरकार से मांग है कि हमारे गांव में जल्द ही पानी की समस्या का समाधान करें.