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बाड़मेर का एक ऐसा गांव...जहां बूंद-बूंद पानी को सहेजने के लिए रात भर जागते हैं लोग

कोरोना के कहर के बीच जहां एक ओर लोगों को खाने के लाले पड़े है. वहीं, दूसरी ओर अगर लोगों को पानी भी ना मिले तो उनकी स्थिति का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है. ऐसा ही बाड़मेर जिले के आटी गांव में इन दिनों देखने को मिल रहा है, जहां के लोगों को एक मटकी पानी भरने के लिए रातों की नींद हराम करनी पड़ती है. ऐसे में उनकी सरकार से गुहार है कि गांव में पानी की समस्या को जल्द से जल्द दूर किया जाए.

Barmer news, बाड़मेर की खबर
आटी गांव के लोग रातों में पानी भरने को है मजबूर
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Published : May 15, 2020, 8:20 PM IST

बाड़मेर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण से कोई भी देश अछूता नहीं है. इससे होने वाली लोगों की समस्याएं भी किसी से छिपी नहीं है. इसके चलते लोगों को खाने के लाले पड़े है. ऐसे में लोगों को पानी भी नहीं मिले तो लोगों का क्या होगा? इसका अंदाजा आप लगा सकते है. कुछ ऐसा ही नजारा आजकल बाड़मेर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित आटी गांव में रह रहे 50 परिवारों के लोगों को पीने के पानी के लिए रात-रातभर जागना पड़ता है. इस बस्ती में एक ही हैंड पंप होने के चलते लोगों को और ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है.

आटी गांव के लोग रातों में पानी भरने को है मजबूर

बता दें कि गर्मी के वजह से दिन में हैंड पंप से पानी नहीं आता, जिसके चलते वहां के लोगों को रातों की नींद हराम कर पानी भरने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें लगानी पड़ती है. इस बीच कई घण्टों के इंतजार के बाद लोगों को एक मटकी भर पानी नसीब होता है. कभी-कभी तो ऐसा होता है कि इन लोगों को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है. ये लोग काफी लंबे समय से पीने के पानी के लिए जूझ रहे है. पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज इन ग्रामीणों की दशा देखने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति के सरकार के दावे पूरी तरह फेल होते नजर आ रहे हैं.

पढ़ें- बाड़मेर में 8 कोरोना पॉजिटिव, सभी प्रवासी

गांव के लोगों का कहना है कि इस संकटकाल में हम लोग एक तरफ कोरोना वायरस लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ पीने के पानी के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इनके घरों में करीब 100 से अधिक पशुधन है, जिनको भी कई दिनों तक पानी के अभाव के कारण प्यासा रहना पड़ता है. गांव में पीने का पानी नहीं होने के कारण हजारों रुपए देकर पानी के टैंक डलवा कर आपूर्ति कर रहे हैं. ऐसे में उनकी सरकार से मांग है कि सरकार उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर पानी की समस्या का समाधान करें.

बाड़मेर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण से कोई भी देश अछूता नहीं है. इससे होने वाली लोगों की समस्याएं भी किसी से छिपी नहीं है. इसके चलते लोगों को खाने के लाले पड़े है. ऐसे में लोगों को पानी भी नहीं मिले तो लोगों का क्या होगा? इसका अंदाजा आप लगा सकते है. कुछ ऐसा ही नजारा आजकल बाड़मेर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित आटी गांव में रह रहे 50 परिवारों के लोगों को पीने के पानी के लिए रात-रातभर जागना पड़ता है. इस बस्ती में एक ही हैंड पंप होने के चलते लोगों को और ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है.

आटी गांव के लोग रातों में पानी भरने को है मजबूर

बता दें कि गर्मी के वजह से दिन में हैंड पंप से पानी नहीं आता, जिसके चलते वहां के लोगों को रातों की नींद हराम कर पानी भरने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें लगानी पड़ती है. इस बीच कई घण्टों के इंतजार के बाद लोगों को एक मटकी भर पानी नसीब होता है. कभी-कभी तो ऐसा होता है कि इन लोगों को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है. ये लोग काफी लंबे समय से पीने के पानी के लिए जूझ रहे है. पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज इन ग्रामीणों की दशा देखने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति के सरकार के दावे पूरी तरह फेल होते नजर आ रहे हैं.

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गांव के लोगों का कहना है कि इस संकटकाल में हम लोग एक तरफ कोरोना वायरस लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ पीने के पानी के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इनके घरों में करीब 100 से अधिक पशुधन है, जिनको भी कई दिनों तक पानी के अभाव के कारण प्यासा रहना पड़ता है. गांव में पीने का पानी नहीं होने के कारण हजारों रुपए देकर पानी के टैंक डलवा कर आपूर्ति कर रहे हैं. ऐसे में उनकी सरकार से मांग है कि सरकार उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर पानी की समस्या का समाधान करें.

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