बांसवाड़ा. 20 मई को एक नवजात बच्ची पाराहेड़ा गांव के पास झाड़ियों में मिली थी. पड़ोस में रहने वाली महिला ने जब उसके रोने बिलखने की आवाज सुनी तो वह दौड़ पड़ी और उसे अपने सीने से लगा लिया. आशा सहयोगिनी की सूचना पर एएनएम मौके पर पहुंची और उसे एंबुलेंस के जरिए प्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. जहां मेड़िकल जांच में नवजात का वजन कई मापदंड से कम पाया गया था. जिसके बाद उसे स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा भेजा गया. जहां पर चिकित्सकों की देखरेख में उसका उपचार चल रहा है.बच्ची के स्वस्थ होने पर उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाएगा.
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष हरीश त्रिवेदी के अनुसार नवजात का वजन 2 किलो 100 ग्राम है. उसके स्वस्थ होने पर समिति उसका शिशु गृह में प्रवेश कर लेगी. इसके 60 दिन बाद समिति उसे लीगल फ्री कर पाएगी. लिगल फ्री होने के बाद इसकी सूचना केंद्र सरकार की एडॉप्शन प्रोसेस अपनाने वाली संस्था को भेजा जाएगी. जहां से नवजात का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा. वहां एडॉप्शन की मेरिट में आने के बाद देशभर में से कोई भी परिवार नवजात को अडॉप्ट कर सकेगा. त्रिवेदी के अनुसार 60 दिन के भीतर यदि नवजात के माता-पिता या परिजन आवश्यक दस्तावेज पेश कर देते हैं तो बालिका को उनके हवाले किया जा सकेगा. लेकिन इसके लिए डीएनए टेस्ट जरूरी होता है.