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बांसवाड़ा : जाको राखे सांइया मार सके ना कोई, झाड़ियों में मिली नवजात बच्ची को एक महिला ने बचाया

हफ्ते भर पहले एक नवजात बच्ची बांसवाड़ा के पाराहेड़ा गांव के पास झाड़ियों में मिली थी. पड़ोस में रहने वाली महिला ने बच्ची को संभाला. बच्ची का ईलाज स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट महात्मा गांधी चिकित्सालय में चल रहा है. ईलाज होने पर उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाएगा.

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Published : May 25, 2019, 5:46 PM IST

झाड़ियों में मिली नवजात अब स्वस्थ

बांसवाड़ा. 20 मई को एक नवजात बच्ची पाराहेड़ा गांव के पास झाड़ियों में मिली थी. पड़ोस में रहने वाली महिला ने जब उसके रोने बिलखने की आवाज सुनी तो वह दौड़ पड़ी और उसे अपने सीने से लगा लिया. आशा सहयोगिनी की सूचना पर एएनएम मौके पर पहुंची और उसे एंबुलेंस के जरिए प्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. जहां मेड़िकल जांच में नवजात का वजन कई मापदंड से कम पाया गया था. जिसके बाद उसे स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा भेजा गया. जहां पर चिकित्सकों की देखरेख में उसका उपचार चल रहा है.बच्ची के स्वस्थ होने पर उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाएगा.

झाड़ियों में मिली नवजात अब स्वस्थ


बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष हरीश त्रिवेदी के अनुसार नवजात का वजन 2 किलो 100 ग्राम है. उसके स्वस्थ होने पर समिति उसका शिशु गृह में प्रवेश कर लेगी. इसके 60 दिन बाद समिति उसे लीगल फ्री कर पाएगी. लिगल फ्री होने के बाद इसकी सूचना केंद्र सरकार की एडॉप्शन प्रोसेस अपनाने वाली संस्था को भेजा जाएगी. जहां से नवजात का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा. वहां एडॉप्शन की मेरिट में आने के बाद देशभर में से कोई भी परिवार नवजात को अडॉप्ट कर सकेगा. त्रिवेदी के अनुसार 60 दिन के भीतर यदि नवजात के माता-पिता या परिजन आवश्यक दस्तावेज पेश कर देते हैं तो बालिका को उनके हवाले किया जा सकेगा. लेकिन इसके लिए डीएनए टेस्ट जरूरी होता है.

बांसवाड़ा. 20 मई को एक नवजात बच्ची पाराहेड़ा गांव के पास झाड़ियों में मिली थी. पड़ोस में रहने वाली महिला ने जब उसके रोने बिलखने की आवाज सुनी तो वह दौड़ पड़ी और उसे अपने सीने से लगा लिया. आशा सहयोगिनी की सूचना पर एएनएम मौके पर पहुंची और उसे एंबुलेंस के जरिए प्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. जहां मेड़िकल जांच में नवजात का वजन कई मापदंड से कम पाया गया था. जिसके बाद उसे स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा भेजा गया. जहां पर चिकित्सकों की देखरेख में उसका उपचार चल रहा है.बच्ची के स्वस्थ होने पर उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाएगा.

झाड़ियों में मिली नवजात अब स्वस्थ


बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष हरीश त्रिवेदी के अनुसार नवजात का वजन 2 किलो 100 ग्राम है. उसके स्वस्थ होने पर समिति उसका शिशु गृह में प्रवेश कर लेगी. इसके 60 दिन बाद समिति उसे लीगल फ्री कर पाएगी. लिगल फ्री होने के बाद इसकी सूचना केंद्र सरकार की एडॉप्शन प्रोसेस अपनाने वाली संस्था को भेजा जाएगी. जहां से नवजात का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा. वहां एडॉप्शन की मेरिट में आने के बाद देशभर में से कोई भी परिवार नवजात को अडॉप्ट कर सकेगा. त्रिवेदी के अनुसार 60 दिन के भीतर यदि नवजात के माता-पिता या परिजन आवश्यक दस्तावेज पेश कर देते हैं तो बालिका को उनके हवाले किया जा सकेगा. लेकिन इसके लिए डीएनए टेस्ट जरूरी होता है.

Intro:बांसवाड़ाl कुछ बच्चे ऐसे अभागे भी होते हैं कि जन्म के बाद उन्हें माता का प्यार और दुलार नहीं मिल पाताl इनमें कई बच्चे ऐसे भी है जिन्हें अनचाही या अवैध संतान मानकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता हैl लेकिन कई बच्चे किस्मत के धनी होते हैं या यूं कह सकते हैं कि उनकी किस्मत में जिंदगी लिखी होती हैl एक ऐसी ही बच्ची बांसवाड़ा जिले में गत सप्ताह झाड़ियों में रोती बिलखती मिली थीl गनीमत रही कि अपनी निर्दयी मां के फेंकने के कुछ समय बाद ही रोने बिलखने पर पराए लोगों मैं उसके सर पर हाथ


Body:फेराl उसकी बदौलत नवजात को चिकित्सा सुविधा हासिल हो पाईl अब उसी बच्ची के किसी अच्छे परिवार में पालन पोषण की आस जगी हैl बाल कल्याण समिति ने उसके एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर दी हैl 20 मई को यह नवजात पाराहेड़ा गांव के पास झाड़ियों में मिली थीl पड़ोस में रहने वाली महिला उसके रोने बिलखने की आवाज सुनकर दौड़ पड़ी और उसे अपने सीने से लगा लियाl आशा सहयोगिनी की सूचना पर एएनएम मौके पर पहुंची और उसे एंबुलेंस के जरिए प्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गयाl नवजात का वजन कई मापदंड से कम पाया


Conclusion:गया ऐसे में उसे स्पेशल न्यू बर्न केयर यूनिट महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा भेजा गया जहां पर चिकित्सकों की देखरेख में उसका उपचार चल रहा हैl अगले कुछ दिनों में उसके स्वस्थ होने पर बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाएगाl बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष हरीश त्रिवेदी के अनुसार नवजात का वजन 2 किलो 100 ग्राम हैl उसके स्वस्थ होने पर समिति उसका शिशु गृह में प्रवेश कर आएगीl इसके 60 दिन बाद समिति उसे लीगल फ्री कर पाएगीl बिकल फ्री होने के बाद इसकी सूचना केंद्र सरकार की एडॉप्शन प्रोसेस अपनाने वाली संस्था को बी जाएगी जहां से नवजात का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगाl वहां एडॉप्शन की मेरिट में आने के बाद देशभर में से कोई भी परिवार नवजात को अडॉप्ट कर सकेगाl त्रिवेदी के अनुसार 60 दिन के भीतर यदि नवजात के माता-पिता या परिजन आवश्यक दस्तावेज पेश कर देते हैं तो उनके हवाले किया जा सकेगा लेकिन इसके लिए डीएनए टेस्ट जरूरी होगाl
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