बांसवाड़ा. कोरोना महामारी के इस दौर में चिकित्सा विभाग के साथ-साथ नर्सिंग विद्यार्थी भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. विभाग की ओर से प्रदेश के हर शहर में नर्सिंग छात्रों के जरिए सर्दी-जुखाम पीड़ित लोगों का सर्वे करवाया जा रहा है. लेकिन उन्हें ना तो इंश्योरेंस कवर में शामिल किया गया है और ना ही कोई प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जबकि उनका काम और भी जोखिम भरा है.
सरकार की इस नीति के खिलाफ नर्सिंग छात्र-छात्राएं सर्वे कार्य का बहिष्कार करते हुए सोमवार को हड़ताल पर उतर गए. नर्सिंग केंद्र के बाहर अपनी मांगों को लेकर नर्सिंग छात्र-छात्राओं ने जबरदस्त नारेबाजी की और कहा कि जब तक उनकी मांगों को लेकर सरकार कोई फैसला नहीं करती तब तक हड़ताल जारी रहेगी.
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बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ ही चिकित्सा विभाग की ओर से नर्सिंग छात्र-छात्राओं की ड्यूटी सर्वे कार्य में लगा दी गई. 12 मार्च से नर्सिंग केंद्र के करीब सवा सौ से अधिक स्टूडेंट शहर के गली मोहल्लों में घूम कर सर्दी, जुखाम, बुखार आदि से ग्रस्त लोगों की जानकारी एकत्र कर विभाग को उपलब्ध करा रहे हैं.
नर्सिंग छात्रों का कहना है कि सरकार की ओर से चिकित्सा विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर आला अधिकारियों तक प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. वहीं उन्हें 50 लाख रुपए का बीमा कवर भी दिया गया है, लेकिन उन्हें ना तो इंश्योरेंस कवर दिया जा रहा है और ना ही किसी प्रकार की प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जा रही है.
नर्सिंग स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार ताबीयार ने बताया कि हमने अपनी मांगों के संबंध में चिकित्सा विभाग के साथ-साथ जिला कलेक्टर को भी सरकार के नाम ज्ञापन दिया. लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया गया है, जबकि उन्होंने 3 दिन पहले भी इस संबंध में विभाग को अवगत कराया था. बीमा कवर और प्रस्थान राशि का फैसला नहीं होने तक वे काम नहीं करेंगे.