बांसवाड़ा. कोरोना वायरस को लेकर पूरा देश में लॉकडाउन लागू है. इस दौरान यदि कोई आवश्यक काम हो, तो ही घरों से बाहर निकलने के लिए परमिशन ली जा सकती है. इसके लिए बकायदा प्रशासन द्वारा पास की अनिवार्यता की गई है. विभिन्न कारणों को लेकर लोगों को आजकल कलेक्ट्रेट में घूमते हुए देख सकते हैं. जिनका एकमात्र मकसद पास जारी करवाना है, लेकिन यदि वाजिब कारण है, तो आपको कतई चक्कर काटने की जरूरत नहीं है. मामूली से दस्तावेज के बेस पर आप आसानी से पास हासिल कर सकते हैं.
सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार फिलहाल दो स्तर पर पास जारी किए जा रहे हैं. एक पास राज्य से बाहर जाने का है, तो दूसरा प्रदेश में ही एक से दूसरे जिले में जाने संबंधी पास. हाल ही में सरकार द्वारा इंटर स्टेट अर्थात राज्य से बाहर जाने के लिए जिला कलेक्टर को अधिकृत किया गया हैं. इस अधार पर कोई भी व्यक्ति पास बनवा सकता है.
इन आधार पर बन सकते हैं पास
यदि राज्य से बाहर जाने का पास बनवाना है, तो इसके लिए जिला कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं. यहां जिला कलेक्टर भी मेडिकल इमरजेंसी, डेथ इन फैमिली और श्रमिकों और स्टाफ को संबंधित कंपनी तक पहुंचाने के लिए पास जारी करवा सकते हैं. इसी प्रकार यदि इन कारणों के आधार पर प्रदेश में ही एक से दूसरे जिले में जाने का पास बनवाना हो, तो इन्हीं कारणों पर एसडीएम कार्यालय में अप्लाई किया जा सकता है. यहां डेथ इन फैमिली का मतलब माता-पिता, भाई और दादा-दादी आदि से हैं. इसके अलावा यदि संयुक्त परिवार का मामला हो तो इसके लिए भी पास की उम्मीद की जा सकती है. मेडिकल इमरजेंसी में क्रिटिकल डिजीज के अलावा एक्सीडेंट संबंधी दस्तावेज पेश करने होते हैं.
ये दस्तावेज करने होंगे पेश
चिकित्सा संबंधी डॉक्यूमेंट के अंतर्गत डॉक्टर द्वारा हायर सेंटर के लिए की गई अनुशंसा का पत्र संलग्न किया जा सकता है. वहीं एक्सीडेंट के मामले में हॉस्पिटल द्वारा रेफर किए जाने संबंधी डॉक्यूमेंट पेश किए जा सकते हैं. इसी प्रकार डेथ इन फैमिली में मोबाइल पर मैसेज, मौत संबंधी स्क्रीनशॉट के अलावा टेलीफोनिक सूचना का हवाला भी दिया जा सकता है. इसके लिए अधिकारी बकायदा टेलीफोन कर वेरिफिकेशन भी करवा सकते हैं.
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उपखंड अधिकारी पर्वत सिंह चुंडावत के अनुसार यदि पास के वाजिब कारण है और इन तीन बिंदुओं पर पास की जरूरत है, तो ऐसी स्थिति में कोई ज्यादा वक्त नहीं लगता और हाथों-हाथ भी परमिशन दी जा सकती है, लेकिन इसके लिए वाजिब कारण होना जरूरी है.