बांसवाड़ा. भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री जीतमल खाट का सोमवार को निधन होने पर मंगलवार को उन्हें पंचतत्व में विलीन कर दिया गया. उनके पैतृक गांव थाली तलाई में ही उन्हें दफनाया गया है. खाट के परिवार में वर्षों से परंपरा रही है दिवंगत आत्मा को जमीन में दफनाया जाता है. जीतमल खाट बीते कई दिनों से कोविड-19 पॉजिटिव थे. बांसवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था पर यहां पर सुधार नहीं होने पर उदयपुर रेफर कर दिया गया था. जहां कल शाम उन्होंने अंतिम सांस ली.
जीतमल खाट का जन्म 1 जनवरी 1963 को गढ़ी क्षेत्र के थाली तलाई गांव में हुआ था. खाट जब युवा हुए तो छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए और मामा बालेश्वर से बेहद प्रभावित थे. दिल के अंदर गलत आदत नहीं थी और यही कारण था कि वे भगत आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे. सबसे पहले वो सरपंच बने और इसके बाद 1998 में बागीदौरा विधानसभा से चुनाव लड़े और जीत भी गए.
इसके बाद 2003 में भी उनके सिर पर जीत का सेहरा बंधा. 2004 में बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा से जनता दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा पर यहां किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वे तीसरे स्थान पर रहे. इसके बाद 2008 में फिर से बागीदौरा विधानसभा से तीसरी बार चुनाव लड़े और वे यहां से हार गए. इसके बाद 2013 में वह गढ़ी विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और जीत गए.
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वसुंधरा सरकार ने ऐन वक्त पर उन्हें सामान्य प्रशासन स्टेट मोटर गैराज राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया गया. 2014 में वसुंधरा सरकार ने अपना मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें समय पर नहीं पहुंचने के कारण जीतमल खाट को अकेले ही मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. वर्ष 2018 में भी उन्होंने एक घड़ी से अपनी दावेदारी पेश की पर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. कैलाश मीणा को चुना गया कैलाश मीणा के लिए भी जमकर प्रचार किया. खांट के निधन पर प्रदेश के तमाम दिग्गज नेताओं ने संवेदनाएं व्यक्त की है.
जीतमल खाट भगत परंपरा के बहुत बड़े अनुयाई थे और जब भी कोई सार्वजनिक कार्यक्रम आदि होता था वो अक्सर भजन भी जाया करते थे. जनता के बीच हमेशा से ही वह लोकप्रिय रहे हैं उनके चले जाने से हर आम आदमी को आघात पहुंचा है.