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बांसवाड़ा में दीवारों पर दिखेंगे का वागड़ की लोक संस्कृति के रंग

बांसवाड़ा में जिला प्रशासन ने अनोखी पहल की है. यहां लोगों को चित्रों के जरिए डूंगरपुर बांसवाड़ा के आदिवासी लोगों की दिनचर्या से अवगत कराया जाएगा.

बांसवाड़ा में दीवारों पर दिखेंगे वागड़ की लोककला के रंग
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Published : May 18, 2019, 9:12 PM IST

बांसवाड़ा. आमजन को वागड़ अंचल के लोकजीवन से रूबरू कराने के लिए जिला प्रशासन में नई पहल की है. इसके तहत बांसवाड़ा के प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर चित्रों के जरिए डूंगरपुर- बांसवाड़ा के आदिवासी लोगों की दिनचर्या से अवगत कराया जाएगा.

बांसवाड़ा में दीवारों पर दिखेंगे वागड़ की लोककला के रंग

दरअसल, बांसवाड़ा जिला प्रशासन ने आदिवासियों की दिनचर्या से लोगों को अवगत कराने का बीड़ा उठाया है. इससे पहले पर्यटन विकास को लेकर समिति की एक बैठक में जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता ने कई निर्णय लिए थे. उसमें एक शहर की दीवारों पर वागड़ अंचल की कला एवं संस्कृति संबंधी चित्रों को दर्शा कर वागड़ अंचल के साथ साथ बाहर से आने वाले लोगों को भी इससे रूबरू कराने का निर्णय शामिल था. चित्रांकन के दौरान वरली आर्ट का बखूबी इस्तेमाल किया गया है. महाराष्ट्र और गुजरात पैटर्न पर वागड़ अंचल में भी यह आर्ट खासा प्रचलन में है. इस आर्ट के जरिए आदिवासी अंचल में सूर्य उदय से लेकर सुबह तक सामाजिक परिवेश तथा लोगों के जीवन चक्र को दर्शाया गया है.

इसमें सुबह उठने के साथ ही वागड़ अंचल में लोगों की दिनचर्या प्रदर्शित की गई है. साथ ही प्रकृति और पशु पक्षियों के अलावा वन्यजीवों से नजदीकी, उनके खान पान रहन सहन को टेराकोटा कलर्स मैं खड़ी के द्वारा चित्रित किया गया है. इसके अलावा वागड़ अंचल के तीज त्योहार को भी चित्रित किया गया है.

चित्रकार आशीष शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देशानुसार मॉडल के तौर पर उन्होंने यह मॉडल तैयार किया है. जिसे जयपुर रोड स्थित अंबेडकर सर्कल पर बनाया गया है. अगले चरण में अन्य प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर यह चित्रकारी की जाएगी. चित्रकार वासुदेव सूत्रकार के अनुसार चित्रकारी में स्थानीय लोग जीवन के रंगों को बिखेरा गया है ताकि स्थानीय लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहें. चित्र कविता में गेरुआ रंग के साथ खड़ी का इस्तेमाल किया गया है. चित्रों में क्रमशः सूर्योदय से सूर्यास्त तक के जीवन चक्र को दर्शाया गया है.

बांसवाड़ा. आमजन को वागड़ अंचल के लोकजीवन से रूबरू कराने के लिए जिला प्रशासन में नई पहल की है. इसके तहत बांसवाड़ा के प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर चित्रों के जरिए डूंगरपुर- बांसवाड़ा के आदिवासी लोगों की दिनचर्या से अवगत कराया जाएगा.

बांसवाड़ा में दीवारों पर दिखेंगे वागड़ की लोककला के रंग

दरअसल, बांसवाड़ा जिला प्रशासन ने आदिवासियों की दिनचर्या से लोगों को अवगत कराने का बीड़ा उठाया है. इससे पहले पर्यटन विकास को लेकर समिति की एक बैठक में जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता ने कई निर्णय लिए थे. उसमें एक शहर की दीवारों पर वागड़ अंचल की कला एवं संस्कृति संबंधी चित्रों को दर्शा कर वागड़ अंचल के साथ साथ बाहर से आने वाले लोगों को भी इससे रूबरू कराने का निर्णय शामिल था. चित्रांकन के दौरान वरली आर्ट का बखूबी इस्तेमाल किया गया है. महाराष्ट्र और गुजरात पैटर्न पर वागड़ अंचल में भी यह आर्ट खासा प्रचलन में है. इस आर्ट के जरिए आदिवासी अंचल में सूर्य उदय से लेकर सुबह तक सामाजिक परिवेश तथा लोगों के जीवन चक्र को दर्शाया गया है.

इसमें सुबह उठने के साथ ही वागड़ अंचल में लोगों की दिनचर्या प्रदर्शित की गई है. साथ ही प्रकृति और पशु पक्षियों के अलावा वन्यजीवों से नजदीकी, उनके खान पान रहन सहन को टेराकोटा कलर्स मैं खड़ी के द्वारा चित्रित किया गया है. इसके अलावा वागड़ अंचल के तीज त्योहार को भी चित्रित किया गया है.

चित्रकार आशीष शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देशानुसार मॉडल के तौर पर उन्होंने यह मॉडल तैयार किया है. जिसे जयपुर रोड स्थित अंबेडकर सर्कल पर बनाया गया है. अगले चरण में अन्य प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर यह चित्रकारी की जाएगी. चित्रकार वासुदेव सूत्रकार के अनुसार चित्रकारी में स्थानीय लोग जीवन के रंगों को बिखेरा गया है ताकि स्थानीय लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहें. चित्र कविता में गेरुआ रंग के साथ खड़ी का इस्तेमाल किया गया है. चित्रों में क्रमशः सूर्योदय से सूर्यास्त तक के जीवन चक्र को दर्शाया गया है.

Intro:बांसवाड़ाl आमजन को वागड़ अंचल के लोकजीवन से रूबरू कराने के लिए जिला प्रशासन में नई पहल की हैl इसके तहत बांसवाड़ा शहर के प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर चित्रों के जरिए डूंगरपुर बांसवाड़ा के आदिवासी लोगों की दिनचर्या और जीवन चक्र को दर्शाया जाएगाl फिलहाल मॉडल के तौर पर शहर के प्रमुख सर्कल को इसमें शामिल किया गया हैl अगले चरण में अन्य प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों को इसके दायरे में लिया जाएगाl खास बात यह है कि चित्रांकन के दौरान परंपरागत कच्चे रंगों का प्रयोग किया जाएगाl


Body:गत दिनों पर्यटन विकास को लेकर समिति की बैठक में जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता द्वारा कई निर्णय लिए गए थेl उसमें एक शहर की दीवारों पर वागड़ अंचल की कला एवं संस्कृति संबंधी चित्रों को दर्शा कर वागड़ अंचल के साथ साथ बाहर से आने वाले लोगों को भी इससे रूबरू कराने का निर्णय शामिल थाl चित्रांकन के दौरान वरली आर्ट का बखूबी इस्तेमाल किया गया हैl महाराष्ट्र और गुजरात पैटर्न पर वागड़ अंचल में भी यह आर्ट खासी प्रचलन में आ गई हैl इस आर्ट के जरिए आदिवासी अंचल में सूर्य उदय से लेकर सुबह तक सामाजिक परिवेश तथा लोगों के जीवन चक्र


Conclusion:को बखूबी चित्रित किया गया हैl सुबह उठने के साथ ही वागड़ अंचल में लोगों की क्या क्या दिनचर्या रहती हैl उनकी प्रकृति और पशु पक्षियों के अलावा वन्यजीवों से नजदीकी, उनके खान पान रहन सहन को टेराकोटा कलर्स मैं खड़ी के द्वारा चित्रित किया जा रहा है। इसके अलावा वागड़ अंचल के तीज त्योहार को भी चित्रित किया गया है। कलाकार आशीष शर्मा के अनुसार जिला प्रशासन के निर्देशानुसार मॉडल के तौर पर हमने जयपुर रोड स्थित अंबेडकर सर्कल पर चित्रकारी करवा दी है। अगले चरण में अन्य प्रमुख चौराहों और पब्लिक प्लेसेस को लिया जाएगा। चित्रकार वासुदेव सूत्रकार के अनुसार चित्रकारी में स्थानीय लोग जीवन के रंगों को बिखेरा गया है ताकि स्थानीय लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहें। हमने चित्र कविता में गेरुआ रंग के साथ खड़ी का इस्तेमाल किया है। चित्रों में क्रमशः सूर्योदय से सूर्यास्त तक के जीवन चक्र को दर्शाया गया है।


बाइट। फर्स्ट आशीष शर्मा

सेकंड वासुदेव सूत्रकार
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