घाटोल (बांसवाड़ा). कोरोना वायरस संक्रमण के बीच घाटोल के एक स्कूल में मजदूर वर्ग को बंधक बनाकर शोषण करने का मामला सामने आया है. जब प्रशासन को इसकी शिकायत मिली ही तो मौकें पर पहुंचकर शिक्षण संस्थान में 1 बच्चे सहित 13 मजदूरों को मुक्त कराकर सभी को क्वॉरेंटाइन शिविर पहुंचाया.
दरअसल, मंगलवार को घाटोल एसडीएम की मेल आईडी पर शिकायत आई, जिसमें एक स्कूल द्वारा 13 मजदूर और 1 बच्चे को जबरन बंधक बनाकर उनका शोषण किया जा रहा था. शिकायत मिलने पर घाटोल एसडीएम बिन्दुबाला राजावत, विकास अधिकारी हरिकेश मीणा और खमेरा थाना सीआई चेलसिंह मय जाप्ता मौकें पर पहुंचे और शिक्षण संस्था की बिल्डिंग के एक कमरे में बंधकों को मुक्त कराया. जिसके बाद सभी बंधकों के बयान लेकर उपखण्ड प्रशासन ने सभी को क्वॉरेंटाइन शिविर में रखवाया.
मजदूर के ठेकेदार ने बताया, कि लॉकडाउन के बाद शिक्षण संथान द्वारा उनके 13 मजदूरों का मेहनताना रोक दिया और घर जाने नहीं दिया. उसके बाद अब शिक्षण संस्थान द्वारा सभी मजदूरों को स्कूल में बंदकर जबरन मजदूरी का काम करवाया जा रहा है और उनका मेहनताना रोक दिया गया है. इन मजदूरों में कुछ एक मजदूर के घर में मां बाप बीमार है तो किसी के घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है. ऐसे में लॉकडाउन के बाद घर में खाने के लिए पैसे नहीं है.
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संस्थान के अत्याचार से आहत मजदूरों के सामने आत्महत्या के सिवाय कोई सहारा नहीं बचा तो ऐसे में ठेकेदार ने सूझबुझ से काम लिया और चुपके से स्कूल के स्टाफ के सहयोग से एसडीएम को मेल पर शिकायत कर मदद मांगी. मजदूरों ने प्रशासन के सामने रोते हुए अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया, कि अगर प्रशासन बचाने नहीं आता तो सब लोग सामूहिक फासी लगाकर आत्महत्या कर लेते. प्रशासन ने इस मामले में तत्काल एक्शन लेते हुए सभी बंधकों को शिक्षण संस्थान से मुक्त करवाकर खमेरा थाना ले गए. जहां पर मजदूरों के बयान के बाद आगे की कारवाई की जाएगी.
वहीं, दूसरी ओर शिक्षण संस्थान के संस्थापक ने मजदूरों द्वारा लगाए सारे आरोपों को नकारते बताया, कि उनकी संस्थान में सभी मजदूर आराम के साथ रह रहे थे. उन्हें किसी ने भी बंधक नहीं बनाया है, जिसका उनके पास सीसीटीवी फुटेज भी है. फिलहाल ऐसे में प्रशासन द्वारा आगे क्या कारवाई की जाएगी यह देखना होगा.