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कब आएंगे इनके अच्छे दिन: इस गांव के लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर

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Published : Jan 13, 2020, 11:22 PM IST

बहरोड़ विधानसभा में पंचायत चुनाव का तीसरा चरण 29 जनवरी को है. सरपंच और पंच पद के लिए 22 जनवरी को नामांकन किया जाएगा. चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी गांवों के विकास के लिए बड़े-बड़े वादे करते है, लेकिन धरातल पर क्या होता है. इसका अंदाजा शेरपुर ग्राम पंचायत के गोकलपुर गांव से लगा सकते है. यहां के लोग नरकीय जीवन से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है, देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

Gokalpur village, Sherpur Gram Panchayat Bahror
शेरपुर ग्राम पंचायत के गांव की सड़कें खस्ताहाल

बहरोड़ (अलवर). बहरोड़ विधानसभा में पंचायत चुनाव का तीसरा चरण 29 जनवरी को है. सरपंच पद व पंच पद के लिए 22 जनवरी को नामांकन किया जाएगा. बहरोड़ की शेरपुर ग्राम पंचायत में कुल मतदाता 4 हजार से ऊपर है. इसमें पुरूष मतदातों की संख्या ढाई हजार और महिला मतदाताओं की संख्या 18 सौ है. सरपंच पद के लिए अब तक चार प्रत्याशी मैदान में है. पिछले 5 साल में शेरपुर ग्राम पंचायत में क्या विकास हुआ है. इसकी पोल गोकलपुर गांव की सड़कें साफ बयां कर रही है.

शेरपुर ग्राम पंचायत के गांव की सड़कें खस्ताहाल

बहरोड़ उपखड़ के गोकलपुर गांव के ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर है. गांव में भरे गंदे पानी के कारण यहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. यह समस्या गांव में पिछले दो साल से बनी हुई है. या यूं कहे कि गांव की सबसे बड़ी समस्या यही है. गांव की महिलाओं ने बताया कि इस गंदे पानी और टूटी सड़क से रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ता है. गांव की इस बदहाल सड़क से बच्चे, बूढ़े, महिलाएं निकलती है, जो कई बार इसका शिकार बन जाते है.

पढ़ें- विदेश से लौटी महिला ने सरपंच बन बदल दी इस गांव की तस्वीर, पति हैं IPS

आपको बता दे कि केंद्र सरकार की ओर से नाबार्ड योजना के तहत बहरोड़ से बानसूर तक इस सड़क का निर्माण होना है, लेकिन दो साल बाद भी यह बन नहीं पाई है और सड़क की हालत खस्ता हो चुकी है. पिछले दो साल से सड़क निर्माण कार्य रूका हुआ है. सड़क जगह-जगह उखड़ी हुई है, बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है. जिससे वाहन चालकों को काफी परेसानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी यह सड़क निर्माण पूरा नहीं हो पाया है.

Gokalpur village, Sherpur Gram Panchayat Bahror
घर के बाहर गंदे पानी का भराव

पढ़ें- पंचायत चुनावः बूंदी के इस गांव में पति-पत्नी आमने सामने, एक दूसरे के लिए मांग रहे वोट

सबसे बड़ी बात सामने आई कि सड़क निर्माण के दौरान मुख्य मार्ग को चौड़ा करना था. जिस पर रास्ते पर बने मकानों को तोड़ दिया गया, लेकिन गांव के लोगों को आज तक भी इसका मुआवजा नहीं मिल पाया है. जिससे मकान में रह रहे लोगों का जीवन दूभर हो गया है.

बहरोड़ (अलवर). बहरोड़ विधानसभा में पंचायत चुनाव का तीसरा चरण 29 जनवरी को है. सरपंच पद व पंच पद के लिए 22 जनवरी को नामांकन किया जाएगा. बहरोड़ की शेरपुर ग्राम पंचायत में कुल मतदाता 4 हजार से ऊपर है. इसमें पुरूष मतदातों की संख्या ढाई हजार और महिला मतदाताओं की संख्या 18 सौ है. सरपंच पद के लिए अब तक चार प्रत्याशी मैदान में है. पिछले 5 साल में शेरपुर ग्राम पंचायत में क्या विकास हुआ है. इसकी पोल गोकलपुर गांव की सड़कें साफ बयां कर रही है.

शेरपुर ग्राम पंचायत के गांव की सड़कें खस्ताहाल

बहरोड़ उपखड़ के गोकलपुर गांव के ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर है. गांव में भरे गंदे पानी के कारण यहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. यह समस्या गांव में पिछले दो साल से बनी हुई है. या यूं कहे कि गांव की सबसे बड़ी समस्या यही है. गांव की महिलाओं ने बताया कि इस गंदे पानी और टूटी सड़क से रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ता है. गांव की इस बदहाल सड़क से बच्चे, बूढ़े, महिलाएं निकलती है, जो कई बार इसका शिकार बन जाते है.

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आपको बता दे कि केंद्र सरकार की ओर से नाबार्ड योजना के तहत बहरोड़ से बानसूर तक इस सड़क का निर्माण होना है, लेकिन दो साल बाद भी यह बन नहीं पाई है और सड़क की हालत खस्ता हो चुकी है. पिछले दो साल से सड़क निर्माण कार्य रूका हुआ है. सड़क जगह-जगह उखड़ी हुई है, बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है. जिससे वाहन चालकों को काफी परेसानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी यह सड़क निर्माण पूरा नहीं हो पाया है.

Gokalpur village, Sherpur Gram Panchayat Bahror
घर के बाहर गंदे पानी का भराव

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सबसे बड़ी बात सामने आई कि सड़क निर्माण के दौरान मुख्य मार्ग को चौड़ा करना था. जिस पर रास्ते पर बने मकानों को तोड़ दिया गया, लेकिन गांव के लोगों को आज तक भी इसका मुआवजा नहीं मिल पाया है. जिससे मकान में रह रहे लोगों का जीवन दूभर हो गया है.

Intro:बहरोड उपखड़ के गोकलपुर गांव के ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर । गांव में भरे गंदे पानी के कारण जीना मुश्किल हो गया है । लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे है । यह गांव पिछले दो साल से गंदे पानी की समस्या से परेसान है । गांव की सबसे बड़ी समस्या यही है Body:बहरोड- एंकर_ बहरोड उपखड़ के गोकलपुर गांव के ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर । गांव में भरे गंदे पानी के कारण जीना मुश्किल हो गया है । लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे है । यह गांव पिछले दो साल से गंदे पानी की समस्या से परेसान है । गांव की सबसे बड़ी समस्या यही है । महिलाओं ने बताया कि रोजाना काफी दिक्कत हो रही है । बच्चे , बूढ़े , महिलाएं इस गंदे पानी के बीच से होकर गुजरते है। कई बार लोग गंदे पानी मे गिर गए । जिससे बड़े हादसे हो गए । आपको बता दे कि केंद्र सरकार के द्वारा नाबार्ड योजना के तहत बहरोड से बानसूर तक इस सड़क का निर्माण होना है । लेकिन दो साल बाद भी यह नही बन पाई है और सड़क की हालत खस्ता हो चुकी है । दो साल से सड़क निर्माण कार्य रूका हुआ है । सड़क जगह जगह उखड़ी हुई है । गड्ढे हो गए है जिससे वाहन चालकों को काफी परेसानी का सामना करना पड़ रहा है । लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी यह सड़क निर्माण पूरा नही हुआ है । सबसे बड़ी बात सामने आई कि सड़क निर्माण के दौरान मुख्य मार्ग को छोड़ा करना था । जिस पर रास्ते पर बने मकानों को तोड़ दिया लेकिन गरीब लोगों को आज तक भी इसका मुआवजा नही मिल पाया है । जिससे गरीब लोगों का जीवन दूभर हो गया है । सर्दी के मौसम में हाल बेहाल हो गया है । ग्रामीण लोग सरकार को कोष रहे है । नरकीय जीवन जीने से अच्छा तो मर जाना ही बेहतर होगा । बाइट-सरबती देवी ग्रामीण महिला , बाइट-संतोष देवी ग्रामीण महिला बाइट- सविता बुजुर्ग महिला - 1 to 1 हंसराज बहरोड अलवरConclusion:केंद्र सरकार के द्वारा नाबार्ड योजना के तहत बहरोड से बानसूर तक इस सड़क का निर्माण होना है । लेकिन दो साल बाद भी यह नही बन पाई है और सड़क की हालत खस्ता हो चुकी है । दो साल से सड़क निर्माण कार्य रूका हुआ है । सड़क जगह जगह उखड़ी हुई है । गड्ढे हो गए है जिससे वाहन चालकों को काफी परेसानी का सामना करना पड़ रहा है । लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी यह सड़क निर्माण पूरा नही हुआ है । सबसे बड़ी बात सामने आई कि सड़क निर्माण के दौरान मुख्य मार्ग को छोड़ा करना था । जिस पर रास्ते पर बने मकानों को तोड़ दिया लेकिन गरीब लोगों को आज तक भी इसका मुआवजा नही मिल पाया है । जिससे गरीब लोगों का जीवन दूभर हो गया है । सर्दी के मौसम में हाल बेहाल हो गया है । ग्रामीण लोग सरकार को कोष रहे है
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