रामगढ़ (अलवर). जिले के रामगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र के ग्राम पंचायत मुख्यालय खेड़ी में अगर किसी की मौत हो जाए तो वहां के ग्रामीण उनके जनाजे में शामिल होने से भी घबराते है. दरअसल बात ये है कि बीते कई वर्षों से शमशान के रास्ते में कीचड़ युक्त पानी भरा हुआ है. जिससे इस रास्ते पर आने-जाने वाले राहगीरों को जैसे-तैसे कर के रास्ता पार कर श्मशान तक पहुंचना पड़ता है. इसी कारण से लोग इस रास्ते पर जाना नहीं चाहते है.
जानकारी के अनुसार इस रास्ते पर 3 वर्ष पहले ही 49 लाख रुपए की लागत से गौरव पथ का निर्माण होना था. लेकिन खेड़ी- बिलासपुर मार्ग की तरफ कच्चे रास्ते में लागत ज्यादा आने से गौरव पथ का निर्माण रामगढ़ रेलवे फाटक के तरफ बढ़ा दिया गया. जिसके चलते खेड़ी-बिलासपुर मार्ग को जोड़ने और शमशान जाने वाले करीब 200 मीटर लंबे रास्ते पर पक्का निर्माण नहीं हो पाया. यहीं कारण है कि इस रास्ते पर वर्ष भर गंदा पानी और कीचड़ जमा रहता है.
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बता दें कि शुक्रवार को गांव की 90 वर्षीय वृद्धा सोमोती पत्नी रतन लाल सैनी की मौत हो गई. जिससे परिवार वाले वृध्दा का शव यात्रा निकालना चाहते थे. लेकिन समस्या यह थी कि श्मशान के रास्ते को पार कैसे किया जाए. इस दौरान शव यात्रा निकालने से पहले गांव के कुछ लोग कीचड़ से भरे रास्ते का मुआयना करने के लिए उसमें उतरे. साथ ही ग्रामीण सुनिश्चित करना चाहते थे कि कीचड़ युक्त पानी के रास्ते में गड्ढे तो नहीं है ताकि कंधा देने वाले को चोट ना लगे और शव नीचे ना गिर जाए. वहीं रास्ते का जायजा लेने के बाद शव यात्रा निकाला गया और जैसे-तैसे रास्ता पार कर ग्रामीण शव को लेकर श्मशान पहुंचे.
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ग्रामीणों ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत विकास अधिकारी से लेकर जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी तक की जा चुकी है. लेकिन आज तक गांव की इस समस्या पर कोई सुनवाई नहीं हुई. साथ ही इस रास्ते पर दोनों तरफ बने मकानों के मुख्य द्वार तक कीचड़ लगा रहता है. जिससे इस रास्ते पर शव ले जाना मौत को दावत देने जैसा है.