अलवर. लॉकडाउन के लंबे वक्त के बाद सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाली अलवर की खानों में काम शुरू हो चुका है. हालांकि, अभी तक सिर्फ 50 प्रतिशत से अधिक खानों में काम शुरू हुआ है. लेकिन, जल्द ही अन्य में भी काम शुरू होने की उम्मीद है. सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का उपयोग करते हुए सभी जगहों पर खनन कार्य किया जा रहा है.
खनन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगातार सरकार की गाइडलाइंस का पूरा पालन कराया जा रहा है. सभी पट्टा धारकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं. सभी श्रमिकों को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. इसके अलावा कहा गया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काम करें, जिससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा ना रह सके.
गौरतलब है कि अलवर जिले में फैली अरावली की श्रृंखलाओं में सरकार की तरफ से खनन करने के लिए पट्टे जारी किए जाते हैं. अलवर क्षेत्र में मार्बल पत्थर, खंडा पत्थर और लाल पत्थर सहित कई तरह के स्टोन निकलते हैं. लॉकडाउन के दौरान सभी खानों पर काम बंद हो गया था. इससे हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए थे. साथ ही सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है.
अलवर जिले में 247 खनन पट्टे खनन विभाग की तरफ से जारी किए गए हैं. इनसे सरकार को हर माह 6 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है. लॉकडाउन के दौरान सभी तरह के काम बंद रहे, ऐसे में सरकार को 30 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समय 130 से अधिक खानों में काम शुरू हो चुका है.
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अलवर में लाल पत्थर के अलावा मार्बल और खड़ा पत्थर सहित कई तरह के स्टोन निकलते हैं. साबुन, सर्फ और कॉस्मेटिक आइटम सहित अन्य पदार्थों में काम आने वाले खंडा पत्थर की 70 प्रतिशत खानें लगातार लॉकडाउन के दौरान भी खुली रही. वहीं, अब अन्य में भी काम शुरू हो चुका है. दूसरी तरफ लाल पत्थर और मार्बल सहित अन्य स्टोन की 30 प्रतिशत से अधिक खानों में काम शुरू हो चुका है.
बता दें कि अलवर में पत्थर की डिमांड ज्यादा रहती है, क्योंकि अलवर से प्रतिदिन हजारों टन पत्थर हरियाणा उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित विभिन्न शहरों में जाता है. इसलिए अलवर में अवैध खनन की घटनाएं भी सबसे ज्यादा होती है. दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद के नजदीक अलवर पड़ता है. हरियाणा के रास्ते चोरी से इन क्षेत्रों में लाल पत्थर सप्लाई होता है, जो निर्माण कार्य में काम आता है. इसलिए लगातार इसकी डिमांड रहती है.