अलवर. ढाई साल के बच्चे को जिस पिता ने एक सन्यासी को दक्षिणा के रूप में दिया था. शायद उसे पता नहीं था कि वह समाज का नई दिशा दिखाने के साथ राजनेता भी बनने की राह पर चलेगा. 6 साल की उम्र में अपने बच्चे को स्वयं से अगल कर सन्यासी को सुपुर्द करने वाले उस पिता का सीना आज गर्व से चौड़ा हो गया है. वह बालक कोई और नहीं बाबा बालक नाथ हैं. आइए जानते हैं बालक नाथ के सन्यासी से राजनीति में एंट्री की कहानी...
दरअसल भाजपा ने बाबा बालकनाथ को अलवर लोकसभा सीट का प्रत्याशी घोषित किया है. इसकी जानकारी होते ही उनके मठ पर उन्हें बधाई देने वालों तांता लग गया. तो फिर उनके पिता सुभाष यादव खुशी मनाने में कैसे पीछे रहते. शुक्रवार उन्होंने लोगों के बीच मिठाई बांटकर खुशी मनाई. उन्होंने कहा कि नाथ सम्प्रदाय का विश्वप्रसिद्ध मठ स्थल बोहर का मठाधीश महंत बालकनाथ योगी ने जिले का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है. बता दें कि बाबा बालकनाथ देश की प्रसिद्ध बाबा नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़ी गद्दी गोरखपुर के बाद दूसरी बड़ीगद्दी के महंत बने. इसके बाद उनकी अब राजनीति में एंट्री हो चुकी है. वे अलवर लोकसभा सीट सेबीजेपी के प्रत्याशी घोषित हुए हैं.
महंत बालक नाथ का जन्म बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को किसान परिवार में हुआ. उनकी माता का नाम श्रीमती उर्मिला देवी और पिता सुभाष यादवहैं. इनके दादाजी का नामफूलचंद यादव जी व दादीजी का नाम श्रीमती संतरो देवीहै. इनके दोनों चाचा डॉक्टर हैं.
महंत बालकनाथ योगीके पिता श्री सुभाष यादव जी जन जन की आस्था के केंद्र नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में पूज्य बाबा खेतानाथ जी की सेवा करते थे. महंत बालकनाथ योगीका जन्म गुरुवार को होने के कारण बचपन में उनका नाम बाबा खेतानाथ जी ने गुरुमुख रखा. बालक गुरूमुख के पिताजी सुभाष यादव जी ने उसके जन्म से पूर्व ही उसको जनकल्याण के लिए व आस्था के चलते संत बनने के लिए और गुरुओं की सेवा के लिए बाबा खेतानाथ जी को उसे अर्पित करने की सेवा आश्रम में बोल दी थी. जिसके बाद साढ़े छः वर्ष की उम्र में गुरुमुख को बाबा खेतानाथ जी के ब्रह्मलीन होने के बाद गद्दी पर महंत हुए सोमनाथ जी को उनके परिवार ने सौंप दिया था.
ब्रह्मलीन महंत सोमनाथने शिक्षा दीक्षा के लिए बालक गुरूमुख को छः महीने बाद ही अस्थल बोहर रोहतक में महंत चांदनाथ योगीके पास भेज दिया. जहां गुरुमुख की बच्चों जैसी चंचलता देख कर उसे बालकनाथ नाम से पुकारा जाने लगा और अलवर का यह बेटा महंत बालकनाथ योगीके नाम से ही विश्व में आज प्रसिद्ध हैं. इसके बाद महंत बालकनाथ योगी बन गए.
उन्होंने कठिन साधना की और मठ की सेवा करते हुए नाथ सम्प्रदाय की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया. अपने गुरु बाबा खेतानाथ के आदेश पर इन्होंने देश भर में विभिन्न आश्रमों के माध्यम से लोगों को नाथ संप्रदाय से जोड़ा.
गुरु ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी की राजनैतिक कर्मभूमि अलवर रही. वे बहरोड़ से विधायक चुने गए. इसके बाद वे अलवर से चुनाव जीतकर संसद भी पहुंचे. लेकिन गम्भीर बीमारी के चलते महंत चांदनाथ योगी जी का स्वर्गवास हो गया. अंतिम समय तक राजनीति के माध्यम से लोगों की सेवा का उनका लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. जिसका जिम्मा उन्होंने अपने प्रिय योगी बालकनाथ को सौंपा.
माना जा रहा है कि अब अलवर महंत बालकनाथ को टिकट मिलने के बाद महंत चांदनाथ के सपने पूरे होंगे. बालकनाथ के लिए अपने आध्यात्मिक और राजनैतिक गुरु चांदनाथ के सपनों को पूरा करने का एक सुनहरा मौका है.
ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी जी के गुरु ब्रह्मलीन महंत श्रेयोनाथ जी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता को दो बार विधानसभा चुनावों में पराजित किया. हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व सफलता पूर्वक निभाया.
29 जुलाई 2016 को ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी ने गुरूमुख महंत बालकनाथ योगी जी के रूप में अस्थल बोहर का आठवां उत्तराधिकारी घोषित किया गया. महंत चांदनाथ 17 सितंबर 2017 को गम्भीर बीमारी के कारण ब्रह्मलीन हो गए. जिसके बाद महंत बालकनाथ योगी जी ने अस्थल बोहर के मठाधीश के रूप में नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े मठ का दायित्व आठवें मठाधीश के रूप में संभाला लिया.
नाथ संप्रदाय के करोड़ों के ट्रस्ट का संचालन करते हैंमहंत
वर्तमान में महंत बालकनाथ योगी जी आठवीं शताब्दी में स्थापित हरियाणा के रोहतक में 150 एकड़ भूमि में फैले हुए श्री बाबा मस्तनाथ मठ का संचालन कर रहे हैं. यह मठ आध्यात्मिक, धर्मार्थ चिकित्सा व शैक्षणिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है. योगी बालकनाथ इस मठ के मठाधीश और बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं. महंत बालकनाथ योगी वर्तमान में दो दर्जन से अधिक शैक्षणिक संस्थान, चिकित्सालय, गौशालाओं और धर्मशाला का संचालन किया जा रहा है. योगीअखिल भारतीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ जी हैं. इसके अनुयायी पूरे विश्व भर में हैं.
योगी बालकनाथ हिन्दी संस्कृति के साथ पंजाबी के हैं ज्ञाता
महंत बालकनाथ योगीहिंदी, संस्कृत, राजस्थानी और पंजाबी भाषा के अच्छे जानकार हैं. महंत बालकनाथ योगीके अलवर जिले सहित पूरे राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी, उत्तराखंड सहित पूरे देश व विदेश में लाखों की संख्या में भक्त व श्रद्धालु हैं. जिनकी महंतके प्रति बड़ी आस्था है. महंत बालकनाथ की यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जी और योगगुरू बाबा रामदेव जी सहित देश के प्रमुख संतों से नजदीकियां जगजाहिर हैं.
महंत बालकनाथ योगी जी कहते हैं कि नाथ सम्प्रदाय के मठाधीश अगर अलवर की जनता मौका देती है तो उसे अवश्य इसका फायदा मिलेगा. योगीकहते हैं कि वे अलवर का विकास कर वो जन्मभूमि का ऋण उतारने का कार्य करेंगे. साथ ही ब्रह्मलीन गुरु महंत चांदनाथ जी के राजनैतिक उद्देश्यों की पूरा करेंगे. उन्होंने कहा गुरुजी के मन में अलवर के लोगों की समस्याओं को लेकर जो व्यथा थी उसे दूरा करने का भरपूर प्रयास करेंगे.
उन्होंने कहा कि अलवर बाबा भर्तृहरि की तपोभूमि है. यहां भगवान हनुमान जी, पांडव, बाबा धौंकलनाथ जी, बाबा खेतानाथ जी, बाबा गरीबनाथ जी और बाबा सोमनाथ जी जैसे संत के चरण पड़े. नाथ सम्प्रदाय के लगभग 35 प्रमुख आश्रम जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हैं. जिनके प्रति आस्था सम्पूर्ण अलवर जिले की हैं उस महान भूमि पर मुझे जन्म मिला यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. अलवर रह कर अलवर की सेवा करूँगा और रोहतक में मठ के दायित्व को भी निभाउंगा.
फिलहाल यह तो अब समय बताएगा कि महंत चांदनाथ के उत्तराधिकारी को जनता किस रूप में देखेगी. उसे जनप्रतिनिधि के रुप में चुनती है. या फिर एक आध्यात्मिक गुरू के रूप में देखना चाहती है. महंत चांदनाथ योगी ने जिस उद्देश्य से मठ की धार्मिक विरासत के साथ राजनैतिक विरासत बालकनाथ को सौंपी थी वह लगभग पूरी हो गई है. अब यह महंत के ऊपर है कि वे इस जिम्मेदारी पर कितना खरा उतर पाते हैं और जनता उन्हें किस रूप में देखना चाहती है.