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स्पेशल स्टोरी: अलवर की अनूठी शिल्पकारी, 15 से अधिक देश में हो रही है सप्लाई

राजस्थान अपने पर्यटक स्थलों और अनूठी परपंरागत शिल्पकारी के लिए विश्वभर में मशहूर है और अलवर का तो नाम आते ही यहां का सरिस्का जेहन में आ ही जाता है. इतना ही नहीं अलवर में बने हुए सजावट के सामान भी देश-विदेश में अपनी अलग पहचान रखते हैं. इनकी सुंदरता देखते ही आप भी इन्हें बिना खरीदे नहीं रह पाएंगे.

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Published : Oct 14, 2019, 3:30 PM IST

अलवर. त्यौहार का सीजन आते घर को सजाने की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में यहां बने हुए सजावट के सामान लोगों को खासे पसंद आ रहे हैं. देश के अलावा 15 अन्य देशों में अलवर में बनी हुई सजावट के पोर्ट, स्टेच्यू, मूर्ति सहित विभिन्न प्रकार के सामानों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. इनका मुख्य कारण यह है कि अलवर में बना हुआ सामान देखने में सुंदर होता है साथ ही अन्य जगहों की तुलना में सस्ता मिलता है.

अलवर अपनी शिल्पकारी के लिए देश-विदेश में है मशहूर

सजावट के सामान बनाने वाले कारीगर रामकिशोर ने बताया कि वो साल भर सजावट के सामान बनाते हैं. इस काम में उनके साथ उनका पूरा परिवार और कारीगर भी लगे रहते हैं. इनकी डिमांड साल भर रहती है. देश के अलावा करीब 15 देशों में अलवर से बने हुए सजावट के सामान सप्लाई होते हैं. इन सामानों की डिमांड हैंडीक्राफ्ट मेलों में भी अच्छी-खासी रहती है.देशभर में लगने वाले हैंडीक्राफ्ट मेलों में पोर्ट, स्टेचू सहित सभी तरह के सजावटी सामान की डिमांड रहती है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: अलवर का 62 साल पुराना भर्तृहरि नाटक का मंचन शुरू, 7 घंटे तक देखकर भी नहीं होगें बोर

यहां बनने वाले सामानों की विशेषताएं

अलवर में बने हुए सामान से किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है. क्योंकि यह सामान चिकनी मिट्टी से तैयार किए जाते हैं. इन पर हर्बल रंग का उपयोग किया जाता हैं, जिससे किसी भी तरह से पर्यावरण और जीव जंतुओं को कोई नुकसान न हो.

रामकिशोर ने बताया कि सैकड़ों दलाल उन से बने हुए सामान ले जाकर देश-विदेशों में बेचते हैं. उन्हें डिमांड के हिसाब से डिजाइन की जो जानकारी मिलती है, उसके हिसाब से वो डिजाइन तैयार कर देते हैं. कई बार तो उपभोक्ता के आर्डर पर भी विशेष और जी-स्टैचू और अन्य सामान बनाए जाते हैं. ये सामान अन्य जगहों की तुलना में अलवर में काफी सस्ते मिलते हैं. इसका मुख्य कारण अलवर में मिलने वाली मिट्टी है. अलवर में राजगढ़, रामगढ़, ईएमआईए सहित कई जगहों पर चिकनी मिट्टी मिलती है. जिनसे इन सजावटी सामान का निर्माण किया जाता है. आसानी से मिट्टी उपलब्ध होने के कारण यह सामान सस्ते मिलते हैं, इसलिए लगातार इनकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है.

पढ़ें- अलवर के राजगढ़ में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित, 92 विद्यार्थियों का हुआ सम्मान

इस तरह से तैयार होता है सामान

  • सबसे पहले बेहतर चिकनी मिट्टी की पहचान करनी पड़ती है.
  • उसके बाद मिट्टी को बारिक किया जाता है, क्योंकि मिट्टी मोटे डलो के रूप में रहती है.
  • इसके बाद उसको छाना जाता है. बाद में मिट्टी में पानी का छिड़काव करके उसे कुछ देर के लिए रख दिया जाता है.
  • जब मिट्टी सॉफ्ट हो जाती है, तो कई घंटों तक एक आकार देने से पहले उसे अच्छे से मिलाया जाता है.
  • अब मिट्टी सॉफ्ट हो चुकी होती है फिर उसे जरूरत के हिसाब से उस पर डिजाइन बनाए जाते हैं.
  • उसके बाद बने हुए सामान को भट्टी में पकाया जाता है और अंत में उस पर रंग चढ़ाना होता है.

अलवर. त्यौहार का सीजन आते घर को सजाने की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में यहां बने हुए सजावट के सामान लोगों को खासे पसंद आ रहे हैं. देश के अलावा 15 अन्य देशों में अलवर में बनी हुई सजावट के पोर्ट, स्टेच्यू, मूर्ति सहित विभिन्न प्रकार के सामानों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. इनका मुख्य कारण यह है कि अलवर में बना हुआ सामान देखने में सुंदर होता है साथ ही अन्य जगहों की तुलना में सस्ता मिलता है.

अलवर अपनी शिल्पकारी के लिए देश-विदेश में है मशहूर

सजावट के सामान बनाने वाले कारीगर रामकिशोर ने बताया कि वो साल भर सजावट के सामान बनाते हैं. इस काम में उनके साथ उनका पूरा परिवार और कारीगर भी लगे रहते हैं. इनकी डिमांड साल भर रहती है. देश के अलावा करीब 15 देशों में अलवर से बने हुए सजावट के सामान सप्लाई होते हैं. इन सामानों की डिमांड हैंडीक्राफ्ट मेलों में भी अच्छी-खासी रहती है.देशभर में लगने वाले हैंडीक्राफ्ट मेलों में पोर्ट, स्टेचू सहित सभी तरह के सजावटी सामान की डिमांड रहती है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: अलवर का 62 साल पुराना भर्तृहरि नाटक का मंचन शुरू, 7 घंटे तक देखकर भी नहीं होगें बोर

यहां बनने वाले सामानों की विशेषताएं

अलवर में बने हुए सामान से किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है. क्योंकि यह सामान चिकनी मिट्टी से तैयार किए जाते हैं. इन पर हर्बल रंग का उपयोग किया जाता हैं, जिससे किसी भी तरह से पर्यावरण और जीव जंतुओं को कोई नुकसान न हो.

रामकिशोर ने बताया कि सैकड़ों दलाल उन से बने हुए सामान ले जाकर देश-विदेशों में बेचते हैं. उन्हें डिमांड के हिसाब से डिजाइन की जो जानकारी मिलती है, उसके हिसाब से वो डिजाइन तैयार कर देते हैं. कई बार तो उपभोक्ता के आर्डर पर भी विशेष और जी-स्टैचू और अन्य सामान बनाए जाते हैं. ये सामान अन्य जगहों की तुलना में अलवर में काफी सस्ते मिलते हैं. इसका मुख्य कारण अलवर में मिलने वाली मिट्टी है. अलवर में राजगढ़, रामगढ़, ईएमआईए सहित कई जगहों पर चिकनी मिट्टी मिलती है. जिनसे इन सजावटी सामान का निर्माण किया जाता है. आसानी से मिट्टी उपलब्ध होने के कारण यह सामान सस्ते मिलते हैं, इसलिए लगातार इनकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है.

पढ़ें- अलवर के राजगढ़ में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित, 92 विद्यार्थियों का हुआ सम्मान

इस तरह से तैयार होता है सामान

  • सबसे पहले बेहतर चिकनी मिट्टी की पहचान करनी पड़ती है.
  • उसके बाद मिट्टी को बारिक किया जाता है, क्योंकि मिट्टी मोटे डलो के रूप में रहती है.
  • इसके बाद उसको छाना जाता है. बाद में मिट्टी में पानी का छिड़काव करके उसे कुछ देर के लिए रख दिया जाता है.
  • जब मिट्टी सॉफ्ट हो जाती है, तो कई घंटों तक एक आकार देने से पहले उसे अच्छे से मिलाया जाता है.
  • अब मिट्टी सॉफ्ट हो चुकी होती है फिर उसे जरूरत के हिसाब से उस पर डिजाइन बनाए जाते हैं.
  • उसके बाद बने हुए सामान को भट्टी में पकाया जाता है और अंत में उस पर रंग चढ़ाना होता है.
Intro:अलवर
अलवर का नाम आते ही यहां के पर्यटन स्थल व सरिस्का जहन में आता है। तो वहीं बीते कुछ सालों से अलवर में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाएं व क्राइम के चलते अलवर देश विदेश में बदनाम हुआ है। ऐसे में अलवर में बने हुए सजावट के सामान देश-विदेश में अपनी अलग पहचान रखने लगे हैं।


Body:त्योहार का सीजन आती घर को सजाने की तैयारी शुरू हो जाती है। ऐसे में अलवर में बने हुए सजावट के सामान लोगों को खासे पसंद आ रहे हैं। देश के अलावा 15 अन्य देशों में अलवर में बनी हुई सजावट की पोर्ट, स्टेच्यू, मूर्ति सहित विभिन्न प्रकार के सामानों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। इनका मुख्य कारण अलवर में बना हुआ सामान देखने में सुंदर होता है व अन्य जगहों की तुलना में सस्ता मिलता है। इसलिए तेजी से इनकी डिमांड बढ़ रही है। इतना ही नहीं अलवर में बने हुए सामान से किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है। क्योंकि यह सामान चिकनी मिट्टी से तैयार किया जाते हैं व इन पर हर्बल रंग काम में आते हैं। जिससे किसी भी तरह की पर्यावरण व जीव जंतु को कोई परेशानी नहीं हो सके।


Conclusion:सजावट के सामान बनाने वाले कारीगर रामकिशोर ने बताया कि वो साल भर सजावट के सामान बनाते हैं। इस काम में उनके साथ उनका पूरा परिवार व कारीगर भी लगे रहते हैं। इनकी डिमांड साल भर रहती है। देश के अलावा करीब 15 देशों में अलवर से बने हुए सजावट के सामान सप्लाई होते हैं। इन सामानों की डिमांड हैंडीक्राफ्ट मेलों में भी खासी रहती है। देशभर में लगने वाले हैंडीक्राफ्ट मेलों में पोर्ट, स्टेचू सहित सभी तरह के सजावटी सामान की डिमांड रहती है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों दलाल उन से बने हुए सामान ले जाकर देश-विदेश में भेजते हैं। उनको डिमांड के हिसाब से डिजाइन की जानकारी दे दी जाती है। उसके हिसाब से वो डिजाइन तैयार कर देते हैं। कई बार तो उपभोक्ता के आर्डर पर भी विशेष और जी स्टैचू और अन्य सामान बनाए जाते हैं। यह सामान अन्य जगहों की तुलना में अलवर में सस्ते मिलते हैं। इसका मुख्य कारण अलवर में मिलने वाली मिट्टी है। अलवर में राजगढ़, रामगढ़, ईएमआईए सहित कई जगहों पर चिकनी मिट्टी मिलती है। जिनसे इन सजावटी सामान का निर्माण किया जाता है। आसानी से मिट्टी उपलब्ध होने के कारण यह सामान सस्ते मिलते हैं। इसलिए लगातार इनकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है।

कैसे बनते हैं सामान
रामकिशोर ने बताया कि सबसे पहले बेहतर चिकनी मिट्टी की पहचान करनी पड़ती है। उसके बाद मिट्टी को बारिक किया जाता है। क्योंकि मिट्टी मोटे डलो के रूप में रहती है व उसको छाना जाता है। उसके बाद मिट्टी में पानी का छिड़काव करके उसे कुछ देर तक रखा जाता है। जब मिट्टी सॉफ्ट हो जाती है। तो कई घंटों तक एक आकार देने से पहले उसे अच्छे से मिलाया जाता है। जब मिट्टी सॉफ्ट हो जाती है। तो उसे जरूरत के हिसाब से आकार में ढाला जाता है व उस पर डिजाइन बनाए जाते हैं। उसके बाद बने हुए सामान को भट्टी में पकाया जाता है व उस पर रंग किया जाता है।

बाइट-रामकिशोर, कारीगर
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