ETV Bharat / state

अलवर: किसानों के लिए गांव में नहीं है सरकारी बीज खरीद केंद्र

45 लाख से अधिक आबादी वाले अलवर जिले में 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. ऐसे में किसानों के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार आए दिन नई योजना बनाती है. लेकिन किसान अभी परेशान है.

अलवर: किसानों के लिए गांव में नहीं है सरकारी बीज खरीद केंद्र
author img

By

Published : Jul 17, 2019, 3:43 AM IST

अलवर. 45 लाख से अधिक आबादी वाले अलवर जिले में 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. ऐसे में किसानों के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार आए दिन नई योजना बनाती है. लेकिन किसान अभी परेशान है. सबसे ज्यादा जरूरत किसान को बीज और खाद की होती है. गांव में सरकारी बीज खरीद केंद्र नहीं होने के कारण मजबूरी में किसानों को निजी दुकान से बीज खरीदने पड़ते हैं. तो वही निजी दुकानदार इसका फायदा उठाते हैं और मनमाने रेट में बीज और खाद बेचते हैं. प्रत्येक फसल से पहले किसान को बीज की आवश्यकता होती है.

अलवर: किसानों के लिए गांव में नहीं है सरकारी बीज खरीद केंद्र

अलवर जिले में केवल दो बीज खरीद केंद्र हैं. एक केंद्र अलवर शहर और दूसरा केंद्र बानसूर में स्थित है. इसके अलावा जिले की अन्य तहसीलों और कस्बों में सरकारी खरीद केंद्र के कोई इंतजाम नहीं है. जबकि गांवों में रहने वाला किसान खेती करता है. बीज खरीदने के लिए उनको अलवर आने जाने में खासी परेशानी होती है. इसलिए किसान गांव के आसपास निजी दुकानों से बीज खरीद लेते हैं. यह दुकानदार किसान की मजबूरी का फायदा उठाते हैं और सरकारी रेट से दोगुने महंगे दामों में बीज बेचते हैं. हालांकि कृषि विभाग का दावा है कि किसानों की सुविधा के लिए जिले में 1200 खाद बीज की दुकानों के लिए लाइसेंस दिए हुए हैं.

लेकिन उसके बाद किसान परेशान हो रहा है. किसानों ने बताया कि निजी दुकानदार उनको उधार में भी बीज दे देते हैं. ऐसे में सरकार को गांव स्तर पर सरकारी बीज खरीद केंद्र खोलने चाहिए. जिससे आम किसान को समय पर बीज मिल सके और उसको नुकसान नहीं हो. हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में पर्याप्त बीज उपलब्ध हैं. किसान आसानी से बीज खरीद सकता है. उसको बीज खरीदने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी होगी. लेकिन हकीकत इसके उलट है. गांव से अलवर आने जाने में किसान को खासी परेशानी होती है. इसलिए मजबूरी में किसान निजी दुकानों से बीज खरीदता है.

अलवर. 45 लाख से अधिक आबादी वाले अलवर जिले में 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. ऐसे में किसानों के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार आए दिन नई योजना बनाती है. लेकिन किसान अभी परेशान है. सबसे ज्यादा जरूरत किसान को बीज और खाद की होती है. गांव में सरकारी बीज खरीद केंद्र नहीं होने के कारण मजबूरी में किसानों को निजी दुकान से बीज खरीदने पड़ते हैं. तो वही निजी दुकानदार इसका फायदा उठाते हैं और मनमाने रेट में बीज और खाद बेचते हैं. प्रत्येक फसल से पहले किसान को बीज की आवश्यकता होती है.

अलवर: किसानों के लिए गांव में नहीं है सरकारी बीज खरीद केंद्र

अलवर जिले में केवल दो बीज खरीद केंद्र हैं. एक केंद्र अलवर शहर और दूसरा केंद्र बानसूर में स्थित है. इसके अलावा जिले की अन्य तहसीलों और कस्बों में सरकारी खरीद केंद्र के कोई इंतजाम नहीं है. जबकि गांवों में रहने वाला किसान खेती करता है. बीज खरीदने के लिए उनको अलवर आने जाने में खासी परेशानी होती है. इसलिए किसान गांव के आसपास निजी दुकानों से बीज खरीद लेते हैं. यह दुकानदार किसान की मजबूरी का फायदा उठाते हैं और सरकारी रेट से दोगुने महंगे दामों में बीज बेचते हैं. हालांकि कृषि विभाग का दावा है कि किसानों की सुविधा के लिए जिले में 1200 खाद बीज की दुकानों के लिए लाइसेंस दिए हुए हैं.

लेकिन उसके बाद किसान परेशान हो रहा है. किसानों ने बताया कि निजी दुकानदार उनको उधार में भी बीज दे देते हैं. ऐसे में सरकार को गांव स्तर पर सरकारी बीज खरीद केंद्र खोलने चाहिए. जिससे आम किसान को समय पर बीज मिल सके और उसको नुकसान नहीं हो. हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में पर्याप्त बीज उपलब्ध हैं. किसान आसानी से बीज खरीद सकता है. उसको बीज खरीदने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी होगी. लेकिन हकीकत इसके उलट है. गांव से अलवर आने जाने में किसान को खासी परेशानी होती है. इसलिए मजबूरी में किसान निजी दुकानों से बीज खरीदता है.

Intro:
अलवर।
45 लाख से अधिक आबादी वाले अलवर जिले में 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। ऐसे में किसानों के लिए राज्य सरकार व केंद्र सरकार आए दिन नई योजना बनाती है। लेकिन किसान अभी परेशान है। सबसे ज्यादा जरूरत किसान को बीज व खाद की होती है। गांव में सरकारी बीज खरीद केंद्र नहीं होने के कारण मजबूरी में किसानों को निजी दुकान से बीज खरीदने पड़ते हैं। तो वही निजी दुकानदार इसका फायदा उठाते हैं व मनमाने रेट में बीज व खाद बेचते हैं।


Body:प्रत्येक फसल से पहले किसान को बीज की आवश्यकता होती है। अलवर जिले में केवल दो बीज खरीद केंद्र हैं। एक केंद्र अलवर शहर व दूसरा केंद्र बानसूर में स्थित है। इसके अलावा जिले की अन्य तहसीलों व कस्बों में सरकारी खरीद केंद्र के कोई इंतजाम नहीं है। जबकि गांवों में रहने वाला किसान खेती करता है।

बीज खरीदने के लिए उनको अलवर आने जाने में खासी परेशानी होती है। इसलिए किसान गांव के आसपास निजी दुकानों से बीज खरीद लेते हैं। यह दुकानदार किसान की मजबूरी का फायदा उठाते हैं व सरकारी रेट से दोगुने महंगे दामों में बीज बेचते हैं। हालांकि कृषि विभाग का दावा है कि किसानों की सुविधा के लिए जिले में 1200 खाद बीज की दुकानों के लिए लाइसेंस दिए हुए हैं। लेकिन उसके बाद किसान परेशान हो रहा है।


Conclusion:किसानों ने बताया कि निजी दुकानदार उनको उधार में भी बीज दे देते हैं। ऐसे में सरकार को गांव स्तर पर सरकारी बीज खरीद केंद्र खोलने चाहिए। जिससे आम किसान को समय पर बीज मिल सके व उसको नुकसान नहीं हो।

हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में पर्याप्त बीज उपलब्ध हैं। किसान आसानी से बीज खरीद सकता है। उसको बीज खरीदने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी होगी। लेकिन हकीकत इसके उलट है। गांव से अलवर आने जाने में किसान को खासी परेशानी होती है। इसलिए मजबूरी में किसान निजी दुकानों से बीज खरीदता है।

बाइट-किसान
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.