अलवर. पुरुषार्थी समिति की ओर से दशहरे पर रावण दहन समारोह आयोजित किया गया है. इस बार रावण दहन को आकर्षक बनाने के लिए कई तरह के बदलाव किए गए हैं. इस बार अलवर में रावण का पुतला 60 फीट का होगा, वहीं कुंभकरण और मेघनाथ के 50-50 फीट का रहेगा.
हर साल की तरह इस साल भी रावण दहन का मुख्य कार्यक्रम दशहरा मैदान में आयोजित किया जा रहा है. पुरुषार्थी समाज की तरफ से राम यात्रा निकाली जाती है, जो शहर के मुख्य बाजारों और सड़कों से होती हुई दशहरा मैदान तक पहुंचती है. इसमें राम, लक्ष्मण और सीता के अलावा कई अन्य झांकियां भी बनती है. रास्ते में जगह-जगह राम बारात का स्वागत भी किया जाता है.
दशहरा मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले का दहन होता है. तीनों ही पुतले बनाने का काम शुरू हो चुका है. 200 फुट रोड के पास पुरुषार्थी समाज की जगह पर तीनों पुतले बनाने का काम चल रहा है. इसके लिए मेरठ से विशेष कारीगर अलवर पहुंचे है. तीनों पुतले बनाने में करीब एक महीने का समय लगता है. वहीं इन पुतलो को बनाने में लाखों रुपए का खर्च आता है. बता दे कि बीते साल आतिशबाजी के बॉक्स में आग लगने के कारण आतिशबाजी कम हो गई थी. इसलिए इस बार पुरुषार्थ की समाज की तरफ से रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुत्रों में विशेष आतिशबाजी लगाई जा रही है.
पुरुषार्थी समिति के पदाधिकारी तिलक राज डिंपल ने बताया कि रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने में ढाई से तीन लाख रुपए का खर्च आता है. इसके अलावा आतिशबाजी का खर्चा अलग से शामिल होता है. इस बार रावण में कई बड़े बदलाव किए गए हैं जिससे रावण में पिछले साल की तुलना में बेहतर आतिशबाजी लगाई गई है.
पढ़े: यूपी के फतेहगढ़ जेल से प्रोडक्शन वारंट पर भरतपुर लाए गए छह मार गैंग के 5 गुर्गे
इस बार रावण सहित तीनों पुत्रों को चमकीले पेपर से सजाया जाएगा. जिससे तीनों पुतले बेहतर दिख सकें. अलवर में 30 से 40 सालों से लगातार डी के कारीगरों द्वारा रावण बनाने का काम किया जाता है, लेकिन इस बार डीग के कारीगरों की देखरेख में मेरठ से विशेष कारीगर बुलाए गए हैं. हर साल रावण बनाने वाले गुड्डू ने बताया राजस्थान में सबसे ऊंचा रावण कोटा में बनता है. उसके बाद अलवर का रावण विशेष स्थान रखता है.