अजमेर. दो करोड़ के रिश्वत प्रकरण में एसओजी की निलंबित एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल ने एसओजी के जांच अधिकारी आरपीएस कमल सिंह तंवर के खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर किया है. परिवादी दिव्या मित्तल का कहना है कि वह अपनी लड़ाई कानूनी रूप से ही लड़ेंगी. परिवाद की सुनवाई 11 जुलाई को होगी.
2 करोड़ के घूस प्रकरण में आरोपी एसओजी की निलंबित एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल ने अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश क्रम-1 में परिवाद पेश किया है. मित्तल ने परिवाद जोधपुर एसओजी एएसपी कमल सिंह तंवर के खिलाफ दायर किया है. दिव्या मित्तल का आरोप है कि गलत तथ्य के आधार पर एसओजी के एएसपी कामल सिंह ने उन्हें गिरफ्तार किया. मित्तल ने कहा कि तंवर को कानून का ज्ञान नहीं है या उन्होंने किसी षड्यंत्र के तहत उन्हें गिरफ्तार किया था.
मित्तल का आरोप है कि इससे पहले विभागीय रंजिश के चलते उनके विरुद्ध एसीबी में प्रकरण दर्ज हुआ और उन पर 2 करोड़ रुपए की घूस परिवादी से मांगने का आरोप लगाया गया. मित्तल ने बताया कि जोधपुर एसओजी के एएसपी कमल सिंह तंवर के खिलाफ धारा 166, 166।, 167, 193, 195, 195 ।, 219,230, 343, 500 और 120 बी के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद पेश किया है. कोर्ट ने परिवाद पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को रखी है.
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यह था मामलाः 25 करोड़ रुपए की नशीली दवाओं के अजमेर के अलवर गेट थाने में एक और रामगंज थाने में दो मुकदमे दर्ज हुए थे. इस प्रकरण की जांच तत्कालीन समय में तीन अधिकारियों के बाद दिव्या मित्तल को दी गई थी. इस दौरान ही जयपुर एसीबी ने दिव्या मित्तल को परिवादी से 2 करोड़ रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया. एसीबी के प्रकरण में न्यायिक अभिरक्षा में रहते हाईकोर्ट से जमानत पर 12 दिन बाद वह जेल से रिहा हुई. जेल से बाहर आते ही दिव्या को एसओजी ने एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद एसओजी के उच्च अधिकारियों ने नशीली दवाओं के तीनों प्रकरणों और इन प्रकरणों में दिव्या मित्तल की संलिप्तता को लेकर जांच जोधपुर एसओजी के एडिशनल एसपी कमल सिंह तंवर को सौंपी थी.
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दिव्या मित्तल का आरोपः दिव्या मित्तल का आरोप है कि कमल सिंह तंवर ने झूठे साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर विधि की गलत व्याख्या कर उसे गिरफ्तार किया. धारा 59 एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए खुद के स्तर पर गिरफ्तार करने का एसओजी एएसपी कमल सिंह को कोई अधिकार प्राप्त नहीं था. जबकि उन्हें पहले राज्य सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त कर न्यायालय में उनके खिलाफ परिवाद प्रस्तुत करना था.