अजमेर. इस दरगाह में ऐसा एक नीम का पेड़ है, जिसके पत्ते खाने में मीठे हैं और ऐसा माना जाता है कि इन पत्तों को खाने से कई तरह की बीमारियां भी दूर हो जाती है. यही वजह है कि इस दरगाह की मान्यता सभी धर्मों के लोगं में है और देशभर में कौने-कौने से जायरीन यहां आते हैं.
दरअसल, यहां एक मीठा नीम का पेड़ है. इस पेड़ की खासियत है जो डाली मजार की ओर झुकी हुई है, वह मीठी है. वहीं जो दूसरी और झुकी है वह कड़वी है. एक पेड़ में दो तासीर अपने आप में खास बात है. हर रोज यहां ज़ायरीनों का तांता लगा रहता है. पीर बाबा के मजार पर आने वाले ज़ायरीन इस नीम के पेड़ की पत्तियां अपनी बीमारी से शिफा पाने के लिए ले जाते हैं. खास बात यह है कि इस नीम के पत्ते को खाने से मुंह कड़वा नहीं होता बल्कि मीठा हो जाता है.
बताया जाता है कि वे सिर कटने के बावजूद भी घोड़े पर सवार होकर दुश्मनों को शिकस्त दे रहे थे. हालांकि जंग के दौरान पीर बाबा घोड़े से नीचे गिर पड़े और शहीद हो गए थे. इसी बहादुरी के चलते उनकी मजार को यहां बनवाया गया था. जहां इस मजार पर देश के कोने- कोने से ज़ायरीन हाजिरी लगाने आते हैं और साथ ही अपनी जिस्मानी बीमारियों से निजात के लिए दरगाह के मीठी नीम को खाते और अपने रिश्तेदारों के लिए भी ले जाते हैं