ETV Bharat / state

Special : ऐतिहासिक आना सागर झील को समेटना अजमेर को पड़ रहा भारी, जानिए क्यों बिगड़ते हैं हालात

अजमेर शहर की शान आना सागर झील को दशकों से समेटा जा रहा है, कभी सौंदर्यीकरण के नाम पर तो कभी शहरीकरण के नाम पर. इसके कारण एक तेज बारिश लोगों के लिए परेशानी बन जाती है. साथ ही झील अपने पुराने दायरे तक फैल जाता है. पढ़िए कैसे ये भविष्य में लोगों के लिए भयावह स्थिति पैदा कर सकता है....

Ana Sagar Lake In Ajmer
Ana Sagar Lake In Ajmer
author img

By

Published : Jun 23, 2023, 9:58 PM IST

आना सागर झील अजमेर के लिए बन सकता है मुसीबत

अजमेर. शहर के बीचों-बीच 1000 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक आना सागर झील के साथ छेड़छाड़ अब अजमेर के लिए अभिशाप बन गया है. आना सागर झील का दायरा कभी 10 किलोमीटर से भी अधिक परिधि में था, जो शहरीकरण और सौंदर्यीकरण की आड़ में 3 किलोमीटर में सिमटकर रहा गया है. हालात यह है कि एक तेज बारिश में झील अपना वर्तमान दायरा तोड़ पुराने झील क्षेत्र तक फैल रही है.

75 हजार से अधिक आबादी : चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने 1135 से 1150 के बीच आना सागर झील का निर्माण करवाया था. आजादी के बाद से ही झील के दायरे को समेटने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. शुरुआत सागर विहार कॉलोनी में हाउसिंग बोर्ड की ओर से बनाए गए मकानों से हुई. झील क्षेत्र में हाउसिंग बोर्ड ने आबादी बसाई, उस वक्त प्रदेश में शिवचरण माथुर की सरकार थी. इसके बाद तो झील क्षेत्र में कॉलोनियां बसाने की होड़ मच गई. तत्कालीन नगर सुधार न्यास ने भी झील में किसानों की भूमि अधिग्रहण कर आवासीय कॉलोनियां काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वर्तमान में झील क्षेत्र में कई बड़े मॉल, प्राइवेट अस्पताल, व्यावसायिक कॉम्पलेक्स, होटल और डेढ दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां आबाद हैं. करीब 75 हजार से अधिक आबादी झील क्षेत्र में बसी हुई है.

पढे़ं. Effect of Cyclone Biperjoy:अजमेर में बारिश से सड़कें बनी दरिया, आना सागर झील के 4 चैनल गेट खोले गए

भू-माफियाओं की नजर : कहने को तो झील के सौंदर्य और संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए केंद्र और राज्य सरकार ने लगाए, लेकिन इसका फायदा भू-माफियाओं और अफसरों के अलावा सफेदपोश लोगों को ही मिला. जवाहरलाल नेहरू झील संरक्षण योजना के अंतर्गत जल संरक्षण और सुरक्षा की दृष्टि से झील के चारों ओर लगाई गई 10-10 फीट ऊंची लोहे की जालियां गायब होने का तिलिस्म अजमेर की जनता अभी तक समझ नहीं पाई है. इसके बाद स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड अजमेर शहर की विकास को लेकर प्रकट हुई, लेकिन भू-माफियाओं से अजमेर स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड भी बच नहीं सकी. आना सागर क्षेत्र में आबादी बसाने की शुरुआत सरकार ने जरूर की थी, लेकिन उसके बाद भू-माफियाओं ने झील की भूमि से नोटों की फसल उगाई. नतीजन डेढ दर्जन से अधिक कॉलोनियां यहां बस गई.

Ana Sagar Lake In Ajmer
आना सागर ऐसे बदला...

आना सागर को न्याय का इंतजार : कुछ जागरूक लोगों ने कोर्ट में याचिका लगाकर झील के साथ हो रहे अन्याय को रोकने की कोशिश भी की. अब्दुल रहमान बनाम सरकार केस के माध्यम से आना सागर झील को वास्तविक दायरे में लाने की मुहिम चली, लेकिन वो भी खानापूर्ति साबित हुई. अदालत के आदेशों की पालना स्थानीय प्रशासन ने नहीं की, बल्कि नया पेच लगाकर मामले को पेचीदा बना दिया. आना सागर झील भी तारीख पर तारीख में उलझकर न्याय मांगने वालों की कतार में वर्षों से खड़ा है.

पढ़ें. Special : आना सागर एस्केप चैनल में गंदगी ने बढ़ाई चिंता, प्रमुख नालों के भी यही हालात...जिम्मेदार कर रहे ये दावा

झील और कैचमेंट एरिया में बसी आबादी : पांच दशक पहले तक आना सागर झील का भराव क्षेत्र 12 मील तक था. इसके बाद झील का दायरा लगातार कम होता गया. झील क्षेत्र के किसानों ने जमीन औने पौने दामों में बेचना शुरू कर दी. नतीजन क्षेत्र और कैचमेंट एरिया में दर्जनों कॉलोनियां बस गईं. शहर में आबादी का दबाव बढ़ता गया, हालात यह हो गए कि दो दशक पहले तक 7 किलोमीटर की परिधि में आने वाली झील अब 3 किलोमीटर की परिधि में सिमट चुकी है. स्मार्ट सिटी के आने के बाद झील के चारों ओर लगी मजबूत लोहे की जालियां हटाकर करोड़ों रुपए की लागत से पाथ वे बना दिया गया. पाथवे के निर्माण कार्य के वक़्त रोड से सटे हुए इलाकों में भू माफियाओं ने कई टन मिट्टी भरवाकर किसानों से खरीदी गई भूमि पर व्यवसायिक उपयोग करना शुरू कर दिया.

Ana Sagar Lake In Ajmer
बिपरजॉय तूफान के कारण झील और सड़क एक बराबर हो चुकी थी

भू-माफियाओं के प्रति उदार प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड ने पाथवे का कार्य रोका नहीं, बल्कि भू-माफियाओं की जमीन को बचाते हुए आना सागर के लिए दायरा सीमित कर दिया. झील के पुराने दायरे को देखें तो 75 हजार से भी अधिक आबादी झील क्षेत्र और कैचमेंट एरिया में बस चुकी है. इसमें आवासीय ही नहीं व्यवसायिक बड़ी इमारतें भी शामिल हैं. लगभग 35 से ज्याद कॉलोनियां हैं, जिनमें मध्यम हीं नहीं बल्कि शहर के बड़े रईस भी रहते हैं. इनके प्रभाव से ही बरसात में झील का पानी निकलवा दिया जाता है. प्रशासन इन क्षेत्रों में कार्रवाई की बजाय उदार रवैया बनाए रखता है.

पढ़ें. जुलाई माह से आना सागर झील में होगी क्रूज की सवारी, विहंगम दृश्य के साथ कॉन्टिनेंटल व्यंजनों का मिलेगा स्वाद

आना सागर झील पर एक नजर :

  1. आना सागर झील का कैचमेंट एरिया - 16.25 स्क्वायर मील
  2. झील की भराव क्षमता - 247.46 एमसीएफटी
  3. अधिकतम भराव क्षमता - 308 एमसीएफटी
  4. झील की लंबाई - 12.75 चैन ( प्रति चैन 100 मीटर )
  5. पानी की निकासी के लिए चार गेट है. इन गेटों से पानी छोड़ने की सीमा - 725 क्यूसेक
  6. झील का जल स्तर (गेज) - 13 फीट
  7. झील का फुल टैंक लेवल - 100 (टॉप ऑफ दी गेट)

इनका कहना है : आपदा प्रबंधन में अधिकारी रहे अशोक मलिक बताते हैं कि चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने बजरंग गढ़ से रामप्रसाद घाट तक पाल का निर्माण करवाकर झील मैदानी क्षेत्र की खुदाई करवाकर उसे झील का स्वरूप दिया था. इस झील में नाग पहाड़ी का बरसाती पानी प्राकृतिक नालों से पहुंचता है, जबकि फॉयसागर का ओवरफ्लो पानी बांडी नदी से आना सागर क्षेत्र में पहुंचता है. उन्होंने बताया कि झील का भराव क्षेत्र नाग पहाड़ी के नीचे नोसर, कोटड़ा से चामुंडा माता तक था. आबादी के दबाव में यह दायरा सिकुड़ता गया. मलिक बताते हैं कि एक डोंगे के पानी को कटोरी में नहीं समेटा जा सकता. झील में पानी की आवक उसकी पुरानी क्षमता के अनुसार ही होती है. यही कारण है कि आना सागर क्षेत्र में बसी कॉलोनियों में पानी भर जाता है.

Ana Sagar Lake In Ajmer
झील के आसपास 75 हजार आबादी

उन्होंने कहा कि यह समस्या कभी खत्म नहीं होगी, बल्कि इससे भी भयावह स्थिति भविष्य में देखने को मिल सकती है. आना सागर झील खुद अपना दायरा बना लेगी, तब और भारी नुकसान लोगों को झेलना होगा. मलिक बताते हैं कि पाथवे बनाकर अजमेर स्मार्ट सिटी ने झील का दायरा और कम कर दिया है. इस कारण झील की गहराई 16 फिट से 13 फिट कर दी गई है. झील के डूब क्षेत्र का पानी तभी निकल पाता है, जब झील का जल स्तर 13 फीट पहुंचता है. आना सागर स्टेप चैनल में पानी छोड़ने के कारण निचली बस्तियों में भी पानी भर जाता है और लोगों को नुकसान पहुंचता है. यह बहुत बड़ी और विकराल समस्या अजमेर के लिए बन चुकी है.

पढ़ें. प्रवासी और देसी पक्षियों ने आनासागर झील से फेरा मुंह...वजह कई हैं...

जिम्मेदारों ने मुंदी रखी आंखें : सामाजिक कार्यकर्ता रमेश लालवानी बताते हैं कि आना सागर झील शहर की शान है, लेकिन इस शान को खराब करने में जिम्मेदारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. दो दशक पहले आना सागर सूखने पर अजमेरवासियों ने मिलकर झील की खुदाई की थी. हजारों ट्रक मिट्टी झील से निकाली गई. अजमेर की शान आना सागर झील से लोग मोहब्बत करते थे, लेकिन जिम्मेदारों ने ही झील को इस हाल तक पंहुचा दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों ने भू-माफियाओं से सांठगांठ करके सौंदर्यीकरण के नाम पर पाथवे, लेक व्यू, चौपाटी बनाई. इससे पहले झील क्षेत्र में भू-माफियाओं से मिलकर कॉलोनियां आबाद की गई. झील के भराव क्षेत्र को कम ही नहीं दायरे को भी आधे से कम कर दिया गया. अब यह अजमेर के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है. झील को बचाने के लिए लोगों के मकानों को नहीं तोड़ा जा सकता. वहीं, डूब क्षेत्र में भरने वाले पानी को रोका जा सकता है.

Ana Sagar Lake In Ajmer
आना सागर झील के आसपास बना पाथवे

नतीजा भुगत रहा है अजमेर : अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन बताते हैं कि आना सागर झील अजमेर शहर के लिए सोने के आभूषण जैसा था. शहर के मान सम्मान और गौरव को बढ़ाने वाली यह ऐतिहासिक झील थी. जैन ने कहा कि बीते 15 वर्षों से झील के साथ खिलवाड़ किया गया. भू-माफियाओं ने झील क्षेत्र में कब्जे किए, बड़ी-बड़ी इमारतें, व्यवसाय कॉम्पलेक्स बनाए गए. कॉलोनियां काट कर लोगों को प्लॉट बेचे गए, जहां मकान बन गए. हाईकोर्ट और एनजीटी के निर्देश के बावजूद भी सन 2014 में नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित होने के बावजूद भी क्षेत्र में लगातार निर्माण होते आ रहे हैं. ऐसे निर्माणों के खिलाफ जिला प्रशासन और संबंधित संस्थाओं ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने आरोप लगाया कि सबसे ज्यादा झील का नुकसान अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में किया. भू-माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए सौंदर्यीकरण और पाथवे का निर्माण किया गया, इस कारण झील सिकुड़ गई. इसका नतीजा आज शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है. प्रशासनिक अधिकारियों और भू-माफियाओं के बीच सांठगांठ झील को बर्बाद करने में जिम्मेदार है. इसके कारण जगह-जगह पानी भरा हुआ है.

आना सागर झील अजमेर के लिए बन सकता है मुसीबत

अजमेर. शहर के बीचों-बीच 1000 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक आना सागर झील के साथ छेड़छाड़ अब अजमेर के लिए अभिशाप बन गया है. आना सागर झील का दायरा कभी 10 किलोमीटर से भी अधिक परिधि में था, जो शहरीकरण और सौंदर्यीकरण की आड़ में 3 किलोमीटर में सिमटकर रहा गया है. हालात यह है कि एक तेज बारिश में झील अपना वर्तमान दायरा तोड़ पुराने झील क्षेत्र तक फैल रही है.

75 हजार से अधिक आबादी : चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने 1135 से 1150 के बीच आना सागर झील का निर्माण करवाया था. आजादी के बाद से ही झील के दायरे को समेटने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. शुरुआत सागर विहार कॉलोनी में हाउसिंग बोर्ड की ओर से बनाए गए मकानों से हुई. झील क्षेत्र में हाउसिंग बोर्ड ने आबादी बसाई, उस वक्त प्रदेश में शिवचरण माथुर की सरकार थी. इसके बाद तो झील क्षेत्र में कॉलोनियां बसाने की होड़ मच गई. तत्कालीन नगर सुधार न्यास ने भी झील में किसानों की भूमि अधिग्रहण कर आवासीय कॉलोनियां काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वर्तमान में झील क्षेत्र में कई बड़े मॉल, प्राइवेट अस्पताल, व्यावसायिक कॉम्पलेक्स, होटल और डेढ दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां आबाद हैं. करीब 75 हजार से अधिक आबादी झील क्षेत्र में बसी हुई है.

पढे़ं. Effect of Cyclone Biperjoy:अजमेर में बारिश से सड़कें बनी दरिया, आना सागर झील के 4 चैनल गेट खोले गए

भू-माफियाओं की नजर : कहने को तो झील के सौंदर्य और संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए केंद्र और राज्य सरकार ने लगाए, लेकिन इसका फायदा भू-माफियाओं और अफसरों के अलावा सफेदपोश लोगों को ही मिला. जवाहरलाल नेहरू झील संरक्षण योजना के अंतर्गत जल संरक्षण और सुरक्षा की दृष्टि से झील के चारों ओर लगाई गई 10-10 फीट ऊंची लोहे की जालियां गायब होने का तिलिस्म अजमेर की जनता अभी तक समझ नहीं पाई है. इसके बाद स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड अजमेर शहर की विकास को लेकर प्रकट हुई, लेकिन भू-माफियाओं से अजमेर स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड भी बच नहीं सकी. आना सागर क्षेत्र में आबादी बसाने की शुरुआत सरकार ने जरूर की थी, लेकिन उसके बाद भू-माफियाओं ने झील की भूमि से नोटों की फसल उगाई. नतीजन डेढ दर्जन से अधिक कॉलोनियां यहां बस गई.

Ana Sagar Lake In Ajmer
आना सागर ऐसे बदला...

आना सागर को न्याय का इंतजार : कुछ जागरूक लोगों ने कोर्ट में याचिका लगाकर झील के साथ हो रहे अन्याय को रोकने की कोशिश भी की. अब्दुल रहमान बनाम सरकार केस के माध्यम से आना सागर झील को वास्तविक दायरे में लाने की मुहिम चली, लेकिन वो भी खानापूर्ति साबित हुई. अदालत के आदेशों की पालना स्थानीय प्रशासन ने नहीं की, बल्कि नया पेच लगाकर मामले को पेचीदा बना दिया. आना सागर झील भी तारीख पर तारीख में उलझकर न्याय मांगने वालों की कतार में वर्षों से खड़ा है.

पढ़ें. Special : आना सागर एस्केप चैनल में गंदगी ने बढ़ाई चिंता, प्रमुख नालों के भी यही हालात...जिम्मेदार कर रहे ये दावा

झील और कैचमेंट एरिया में बसी आबादी : पांच दशक पहले तक आना सागर झील का भराव क्षेत्र 12 मील तक था. इसके बाद झील का दायरा लगातार कम होता गया. झील क्षेत्र के किसानों ने जमीन औने पौने दामों में बेचना शुरू कर दी. नतीजन क्षेत्र और कैचमेंट एरिया में दर्जनों कॉलोनियां बस गईं. शहर में आबादी का दबाव बढ़ता गया, हालात यह हो गए कि दो दशक पहले तक 7 किलोमीटर की परिधि में आने वाली झील अब 3 किलोमीटर की परिधि में सिमट चुकी है. स्मार्ट सिटी के आने के बाद झील के चारों ओर लगी मजबूत लोहे की जालियां हटाकर करोड़ों रुपए की लागत से पाथ वे बना दिया गया. पाथवे के निर्माण कार्य के वक़्त रोड से सटे हुए इलाकों में भू माफियाओं ने कई टन मिट्टी भरवाकर किसानों से खरीदी गई भूमि पर व्यवसायिक उपयोग करना शुरू कर दिया.

Ana Sagar Lake In Ajmer
बिपरजॉय तूफान के कारण झील और सड़क एक बराबर हो चुकी थी

भू-माफियाओं के प्रति उदार प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड ने पाथवे का कार्य रोका नहीं, बल्कि भू-माफियाओं की जमीन को बचाते हुए आना सागर के लिए दायरा सीमित कर दिया. झील के पुराने दायरे को देखें तो 75 हजार से भी अधिक आबादी झील क्षेत्र और कैचमेंट एरिया में बस चुकी है. इसमें आवासीय ही नहीं व्यवसायिक बड़ी इमारतें भी शामिल हैं. लगभग 35 से ज्याद कॉलोनियां हैं, जिनमें मध्यम हीं नहीं बल्कि शहर के बड़े रईस भी रहते हैं. इनके प्रभाव से ही बरसात में झील का पानी निकलवा दिया जाता है. प्रशासन इन क्षेत्रों में कार्रवाई की बजाय उदार रवैया बनाए रखता है.

पढ़ें. जुलाई माह से आना सागर झील में होगी क्रूज की सवारी, विहंगम दृश्य के साथ कॉन्टिनेंटल व्यंजनों का मिलेगा स्वाद

आना सागर झील पर एक नजर :

  1. आना सागर झील का कैचमेंट एरिया - 16.25 स्क्वायर मील
  2. झील की भराव क्षमता - 247.46 एमसीएफटी
  3. अधिकतम भराव क्षमता - 308 एमसीएफटी
  4. झील की लंबाई - 12.75 चैन ( प्रति चैन 100 मीटर )
  5. पानी की निकासी के लिए चार गेट है. इन गेटों से पानी छोड़ने की सीमा - 725 क्यूसेक
  6. झील का जल स्तर (गेज) - 13 फीट
  7. झील का फुल टैंक लेवल - 100 (टॉप ऑफ दी गेट)

इनका कहना है : आपदा प्रबंधन में अधिकारी रहे अशोक मलिक बताते हैं कि चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने बजरंग गढ़ से रामप्रसाद घाट तक पाल का निर्माण करवाकर झील मैदानी क्षेत्र की खुदाई करवाकर उसे झील का स्वरूप दिया था. इस झील में नाग पहाड़ी का बरसाती पानी प्राकृतिक नालों से पहुंचता है, जबकि फॉयसागर का ओवरफ्लो पानी बांडी नदी से आना सागर क्षेत्र में पहुंचता है. उन्होंने बताया कि झील का भराव क्षेत्र नाग पहाड़ी के नीचे नोसर, कोटड़ा से चामुंडा माता तक था. आबादी के दबाव में यह दायरा सिकुड़ता गया. मलिक बताते हैं कि एक डोंगे के पानी को कटोरी में नहीं समेटा जा सकता. झील में पानी की आवक उसकी पुरानी क्षमता के अनुसार ही होती है. यही कारण है कि आना सागर क्षेत्र में बसी कॉलोनियों में पानी भर जाता है.

Ana Sagar Lake In Ajmer
झील के आसपास 75 हजार आबादी

उन्होंने कहा कि यह समस्या कभी खत्म नहीं होगी, बल्कि इससे भी भयावह स्थिति भविष्य में देखने को मिल सकती है. आना सागर झील खुद अपना दायरा बना लेगी, तब और भारी नुकसान लोगों को झेलना होगा. मलिक बताते हैं कि पाथवे बनाकर अजमेर स्मार्ट सिटी ने झील का दायरा और कम कर दिया है. इस कारण झील की गहराई 16 फिट से 13 फिट कर दी गई है. झील के डूब क्षेत्र का पानी तभी निकल पाता है, जब झील का जल स्तर 13 फीट पहुंचता है. आना सागर स्टेप चैनल में पानी छोड़ने के कारण निचली बस्तियों में भी पानी भर जाता है और लोगों को नुकसान पहुंचता है. यह बहुत बड़ी और विकराल समस्या अजमेर के लिए बन चुकी है.

पढ़ें. प्रवासी और देसी पक्षियों ने आनासागर झील से फेरा मुंह...वजह कई हैं...

जिम्मेदारों ने मुंदी रखी आंखें : सामाजिक कार्यकर्ता रमेश लालवानी बताते हैं कि आना सागर झील शहर की शान है, लेकिन इस शान को खराब करने में जिम्मेदारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. दो दशक पहले आना सागर सूखने पर अजमेरवासियों ने मिलकर झील की खुदाई की थी. हजारों ट्रक मिट्टी झील से निकाली गई. अजमेर की शान आना सागर झील से लोग मोहब्बत करते थे, लेकिन जिम्मेदारों ने ही झील को इस हाल तक पंहुचा दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों ने भू-माफियाओं से सांठगांठ करके सौंदर्यीकरण के नाम पर पाथवे, लेक व्यू, चौपाटी बनाई. इससे पहले झील क्षेत्र में भू-माफियाओं से मिलकर कॉलोनियां आबाद की गई. झील के भराव क्षेत्र को कम ही नहीं दायरे को भी आधे से कम कर दिया गया. अब यह अजमेर के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है. झील को बचाने के लिए लोगों के मकानों को नहीं तोड़ा जा सकता. वहीं, डूब क्षेत्र में भरने वाले पानी को रोका जा सकता है.

Ana Sagar Lake In Ajmer
आना सागर झील के आसपास बना पाथवे

नतीजा भुगत रहा है अजमेर : अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन बताते हैं कि आना सागर झील अजमेर शहर के लिए सोने के आभूषण जैसा था. शहर के मान सम्मान और गौरव को बढ़ाने वाली यह ऐतिहासिक झील थी. जैन ने कहा कि बीते 15 वर्षों से झील के साथ खिलवाड़ किया गया. भू-माफियाओं ने झील क्षेत्र में कब्जे किए, बड़ी-बड़ी इमारतें, व्यवसाय कॉम्पलेक्स बनाए गए. कॉलोनियां काट कर लोगों को प्लॉट बेचे गए, जहां मकान बन गए. हाईकोर्ट और एनजीटी के निर्देश के बावजूद भी सन 2014 में नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित होने के बावजूद भी क्षेत्र में लगातार निर्माण होते आ रहे हैं. ऐसे निर्माणों के खिलाफ जिला प्रशासन और संबंधित संस्थाओं ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने आरोप लगाया कि सबसे ज्यादा झील का नुकसान अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में किया. भू-माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए सौंदर्यीकरण और पाथवे का निर्माण किया गया, इस कारण झील सिकुड़ गई. इसका नतीजा आज शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है. प्रशासनिक अधिकारियों और भू-माफियाओं के बीच सांठगांठ झील को बर्बाद करने में जिम्मेदार है. इसके कारण जगह-जगह पानी भरा हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.