नसीराबाद ( अजमेर ). नसीराबाद के गौरव का बखान करती स्मारिका 'यादों के पदचिन्ह' में कई ऐतिहासिक तथ्यों को स्मारिका में शुमार नहीं करने के मामले को लेकर सोमवार को नसीराबाद छावनी वार्ड संख्या 5 की पार्षदा तरन्नुम अख्तर ने ज्ञापन सौंपा. यह ज्ञापन छावनी परिषद कार्यालय में ईओ अरविन्द नेमा के नाम कार्यालय अधीक्षक विजय सोनी और सिविल एरिया कमेटी चेयरमैन योगेश सोनी को सौंपा गया. वहीं बोर्ड अध्यक्ष सेना स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर राजीव चौहान को ज्ञापन प्रेषित किया गया .
बता दें कि केन्द्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन स्थानीय निकाय द्वारा नसीराबाद के गौरव का बखान करती स्मारिका विमोचित होने के साथ ही सवालों के घेरे में घिर गयी थी. इस स्मारिका का 20 नवंबर 2019 को नसीराबाद की 201वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में परिषद ने समारोहपूर्वक ' यादों के पदचिन्ह' नाम से स्मारिका का विमोचन किया. जिसमें नसीराबाद छावनी के साल 1818 से लेकर साल 2018 तक के सफर को संजोया गया है. इस स्मारिका का वजन करीब डेढ़ किलो है. जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में अनुवाद की गई है.
इस स्मारिका में छावनी के कई ऐतिहासिक तथ्यों को नजरंदाज किये जाने के मामले की खबर को ईटीवी भारत ने पिछले 20 नवंबर को खबरों के माध्यम से दिखाया था. इस मामले की सटीक जानकारी मिलने पर स्मारिका को लेकर छावनीवासियों को निराशा हुई.
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कस्बे के लोगों ने व्यथित शब्दों में बताया कि स्मारिका में नसीराबाद के कई ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को शामिल नहीं किया गया है. जबकि अजमेर, पुष्कर, किशनगढ़, जबलपुर सहित कई गैर जरूरी सामग्री को स्मारिका में तरजीह दे दी गयी. जो की छावनी के तथ्यों के साथ कुठाराघात है. स्मारिका को लेकर छावनी परिषद वार्ड संख्या 5 की पार्षदा तरन्नुम अख्तर ने पुस्तक 'यादों के पदचिन्ह' में सामरिक, सांस्कृतिक, खेलकूद, धार्मिक और सामाजिक महत्व की 30 से भी ज्यादा ऐतिहासिक स्मृतियों को जोड़े जाने की मांग की है.
साथ ही पार्षदा का कहना है कि सभी प्राप्त सुझावों के आधार पर स्मारिका तैयार करने वाली समिति की बैठक बुलवाई जाए. साथ ही पुस्तक की खामियां दूर कर छूट गए एतिहासिक स्थल जोड़े जाएं .
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छावनी बोर्ड सिविल एरिया कमेटी चेयरमेन योगेश सोनी ने स्मारिका में खामियों की बात को स्वीकारते हुए बताया कि पुस्तक में नसीराबाद के कुछ महत्वपूर्ण स्थान बाकी रह गये थे. जिनमें नसिया, जामा मस्जिद सहित अन्य छूटे स्थलों को शामिल किए जाने को लेकर पार्षद तरन्नुम अख्तर ने ज्ञापन सौंपा है. पार्षदों ने भी इस पर चर्चा की है.
इसलिए ऐसे सभी स्थलों को पुस्तक को नया स्वरूप देते हुए शामिल किया जाएगा .इस स्मारिका की कीमत करीब डेढ़ हजार रूपये से भी अधिक आंकी जा रही है. यह आमजन को कैसे सुलभ होगी या नहीं इसका खुलासा परिषद की ओर से अभी नहीं किया गया है.