ETV Bharat / city

भालुओं को भा रहा होटल का खाना! उदयपुर के वैज्ञानिकों ने शोध में किये चौंकाने वाले खुलासे - मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय

आम तौर पर भालू को एक बेहद शर्मीला जानवर माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भालू के स्वभाव में बदलाव आया है. घने जंगलों में रहने वाले भालू अब शहरी क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. जंगलों में पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध होने के बावजूद आखिर भालुओं के आबादी क्षेत्रों में आने की वजह क्या है. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति, असिस्टेंट प्रोफेसर विजय कुमार कोली और नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के वैज्ञानिक के.एस. गोपी सुंदर ने जब इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की तो कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए.

udaipur environmental scientists, bears come in urban area
भालूओं को भा रहा होटल का खाना!
author img

By

Published : Mar 20, 2021, 10:24 AM IST

उदयपुर. आम तौर पर भालू को एक बेहद शर्मीला जानवर माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भालू के स्वभाव में बदलाव आया है. घने जंगलों में रहने वाले भालू अब शहरी क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. इसी जद्दोजहद में भालुओं और इंसानों के बीच संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है. जंगलों में पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध होने के बावजूद आखिर भालुओं के आबादी क्षेत्रों में आने की वजह क्या है. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति, असिस्टेंट प्रोफेसर विजय कुमार कोली और नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के वैज्ञानिक के.एस. गोपी सुंदर ने जब इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की तो कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए. दिसंबर 2018 में शुरू हुए इस शोध को करने में इन वैज्ञानिकों को पांच माह लगे और इसके बाद इस शोध पत्र को प्रकाशन के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस भेजा गया. विशेषज्ञों ने समीक्षा करने के उपरांत यह शोध हाल ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस की पत्रिका ओरिक्स में प्रकाशित किया है.

जंगलों से शहरों में आ रहे हैं भालू...

शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति ने बताया कि शोध में दुनिया में पहली बार ऐसा देखा गया कि स्लोथ बीयर जंगल से शहर में आता देखा जा रहा है. देश में माउंट आबू एकमात्र ऐसा शहर है, जहां भालू शहर के अंदर आ कर कूड़ेदान में ढूंढ़कर खाना खा रहा हैं और इस तरह का खाना खाने के आदी हो रहे हैं. शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति ने बताया कि माउंट आबू एक टूरिस्ट स्पॉट है और यहां सड़क किनारे और होटलों के बाहर डस्टबिन में पर्यटक और होटल संचालकों की ओर से बचा हुआ खाना डाल दिया जाता है. इस खाने की तलाश में भालू शहर तक आ जाते हैं, यदि कचरा निस्तारण का उचित प्रबंधन हो तो भालुओं और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है.

पढ़ें: अजमेर की बेटी करेगी प्रधानमंत्री मोदी से सवाल....परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के तहत होगा ऑनलाइन संवाद

खाना न मिलने पर हो रहे हैं हमलावर...

वन विभाग के उप वन संरक्षक बालाजी करी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में भालू का शहरों में दिखने की घटनाएं बढ़ गई हैं, जबकि इंसानों पर हमले की घटनाएं पिछले दो वर्षों में बढ़ गई है. शोध के दौरान माउंट आबू और आस-पास के ग्रामीण निवासियों से भी बातचीत की गई. लोगों ने बताया कि भालू कूड़ेदान में बचा हुआ खाना खाने आते हैं, जिसमें ज्यादातर होटल से बचा हुआ खाना, मीठे खाद्य पदार्थ होते हैं.

महिलाओं पर ज्यादा हमले...

शोध में सामने आया कि अचानक सामना होने पर भालू हमला भी कर देता है, लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि भालू के हमले का शिकार होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या औरतों की सामने आई. इनमें भी यदि कोई महिला बच्चों के साथ भालू के सामने आई है, तो भालू ज्यादा हमलावर हुए हैं.

संकट में है भालू...

पर्यावरण वैज्ञानिक के.एस. गोपी सुंदर के मुताबिक भालू एक संकटग्रस्त जीव है. इस प्रजाति के प्राकृतिक निवास स्थान खतरे में हैं. यही वजह है कि भालू जंगलों से शहरों की तरफ आ रहे हैं. भालुओं में बढ़ती आक्रामण प्रवृति के पीछे कूडे़दान में फेंकी जाने वाली जूठन और अन्य खाद्य सामग्री भी है. इसकी तलाश में भालू शहरों की तरफ आकर्षित हो रहें हैं और जब इन्हें यह खाना नहीं मिलता है, तो ये हिंसक हो जाते हैं और रास्ते में आने वाले इंसानों पर हमला कर देते हैं.

उदयपुर. आम तौर पर भालू को एक बेहद शर्मीला जानवर माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भालू के स्वभाव में बदलाव आया है. घने जंगलों में रहने वाले भालू अब शहरी क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. इसी जद्दोजहद में भालुओं और इंसानों के बीच संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है. जंगलों में पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध होने के बावजूद आखिर भालुओं के आबादी क्षेत्रों में आने की वजह क्या है. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति, असिस्टेंट प्रोफेसर विजय कुमार कोली और नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के वैज्ञानिक के.एस. गोपी सुंदर ने जब इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की तो कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए. दिसंबर 2018 में शुरू हुए इस शोध को करने में इन वैज्ञानिकों को पांच माह लगे और इसके बाद इस शोध पत्र को प्रकाशन के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस भेजा गया. विशेषज्ञों ने समीक्षा करने के उपरांत यह शोध हाल ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस की पत्रिका ओरिक्स में प्रकाशित किया है.

जंगलों से शहरों में आ रहे हैं भालू...

शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति ने बताया कि शोध में दुनिया में पहली बार ऐसा देखा गया कि स्लोथ बीयर जंगल से शहर में आता देखा जा रहा है. देश में माउंट आबू एकमात्र ऐसा शहर है, जहां भालू शहर के अंदर आ कर कूड़ेदान में ढूंढ़कर खाना खा रहा हैं और इस तरह का खाना खाने के आदी हो रहे हैं. शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति ने बताया कि माउंट आबू एक टूरिस्ट स्पॉट है और यहां सड़क किनारे और होटलों के बाहर डस्टबिन में पर्यटक और होटल संचालकों की ओर से बचा हुआ खाना डाल दिया जाता है. इस खाने की तलाश में भालू शहर तक आ जाते हैं, यदि कचरा निस्तारण का उचित प्रबंधन हो तो भालुओं और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है.

पढ़ें: अजमेर की बेटी करेगी प्रधानमंत्री मोदी से सवाल....परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के तहत होगा ऑनलाइन संवाद

खाना न मिलने पर हो रहे हैं हमलावर...

वन विभाग के उप वन संरक्षक बालाजी करी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में भालू का शहरों में दिखने की घटनाएं बढ़ गई हैं, जबकि इंसानों पर हमले की घटनाएं पिछले दो वर्षों में बढ़ गई है. शोध के दौरान माउंट आबू और आस-पास के ग्रामीण निवासियों से भी बातचीत की गई. लोगों ने बताया कि भालू कूड़ेदान में बचा हुआ खाना खाने आते हैं, जिसमें ज्यादातर होटल से बचा हुआ खाना, मीठे खाद्य पदार्थ होते हैं.

महिलाओं पर ज्यादा हमले...

शोध में सामने आया कि अचानक सामना होने पर भालू हमला भी कर देता है, लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि भालू के हमले का शिकार होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या औरतों की सामने आई. इनमें भी यदि कोई महिला बच्चों के साथ भालू के सामने आई है, तो भालू ज्यादा हमलावर हुए हैं.

संकट में है भालू...

पर्यावरण वैज्ञानिक के.एस. गोपी सुंदर के मुताबिक भालू एक संकटग्रस्त जीव है. इस प्रजाति के प्राकृतिक निवास स्थान खतरे में हैं. यही वजह है कि भालू जंगलों से शहरों की तरफ आ रहे हैं. भालुओं में बढ़ती आक्रामण प्रवृति के पीछे कूडे़दान में फेंकी जाने वाली जूठन और अन्य खाद्य सामग्री भी है. इसकी तलाश में भालू शहरों की तरफ आकर्षित हो रहें हैं और जब इन्हें यह खाना नहीं मिलता है, तो ये हिंसक हो जाते हैं और रास्ते में आने वाले इंसानों पर हमला कर देते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.