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उदयपुर के महाकाल मंदिर में टूटी सालों पुरानी परंपरा - Mahakal Temple of Udaipur

सावन के पहले सोमवार के मौके पर उदयपुर के महाकाल मंदिर में बरसों पुरानी परंपरा टूट गई और भगवान महाकाल अपने भक्तों का इंतजार करते नजर आए. पुजारी ने बताया कि सावन के पहले सोमवार को हर साल शोभायात्रा निकाली जाती है. जिसमें हजारों भक्त पहुंचते हैं. लेकिन इस बार ये यात्रा मंदिर प्रांगण में ही निकाली गई.

shobhayatra of Mahakal,  Mahakal Temple of Udaipur
चुनिंदा लोगों में निकली महाकाल की शोभायात्रा
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Published : Jul 6, 2020, 10:18 PM IST

उदयपुर. झीलों के शहर उदयपुर के रक्षक माने जाने वाले महाकाल मंदिर में सोमवार को बरसों पुरानी परंपरा टूट गई. कोरोना वायरस के चलते जहां सावन के पहले सोमवार भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाए. साथ ही आज निकाली जाने वाली शोभायात्रा मंदिर प्रांगण में ही निकाली गई. जिसमें चुनिंदा लोग ही मौजूद रहे. जबकि हर साल इस शोभायात्रा में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं.

चुनिंदा लोगों में निकली महाकाल की शोभायात्रा

लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा नहीं हो पाया और पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही इस शोभायात्रा में मौजूद रहे. महाकाल मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश बताते हैं कि पिछले 100 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार लग रहा है कि भगवान को भक्तों का इंतजार है. मंदिर के पुजारी कहते हैं कि इस दौर में मानो सब कुछ तहस-नहस सा हो गया है. भक्त और भगवान एक दूसरे से दूर हो गए हैं.

shobhayatra of Mahakal,  Mahakal Temple of Udaipur
उदयपुर का महाकाल मंदिर

पढ़ें- अनूठा नवाचार : गरबा के जरिए बालिकाएं दे रहीं जागरूकता का संदेश, गुजराती वेशभूषा बना आकर्षण का केंद्र

वहीं, महाकाल मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंद्रशेखर दाधीच बताते हैं कि उदयपुर का महाकाल मंदिर उदयपुर की स्थापना से पहले का है और अब तक के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ कि मंदिर भक्तों के लिए बंद हो. लेकिन इस संक्रमण ने सालों की परंपरा को तोड़ दिया और ऐसा पहली बार हो रहा है कि सावन के महीने में महाकाल मंदिर में भक्त नहीं पहुंच पा रहे हैं.

shobhayatra of Mahakal,  Mahakal Temple of Udaipur
उदयपुर का महाकाल मंदिर

बता दें कि राजस्थान सरकार की ओर से 31 जुलाई तक प्रदेश के सभी धार्मिक स्थानों पर आम लोगों की आवाजाही को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है. जिसके चलते सावन के महीने में भी शिवालयों में भक्त नहीं पहुंच पा रहे और इसी का असर है कि उदयपुर के महाकाल मंदिर में बरसों पुरानी परंपरा सोमवार को टूटती नजर आई.

उदयपुर. झीलों के शहर उदयपुर के रक्षक माने जाने वाले महाकाल मंदिर में सोमवार को बरसों पुरानी परंपरा टूट गई. कोरोना वायरस के चलते जहां सावन के पहले सोमवार भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाए. साथ ही आज निकाली जाने वाली शोभायात्रा मंदिर प्रांगण में ही निकाली गई. जिसमें चुनिंदा लोग ही मौजूद रहे. जबकि हर साल इस शोभायात्रा में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं.

चुनिंदा लोगों में निकली महाकाल की शोभायात्रा

लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा नहीं हो पाया और पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही इस शोभायात्रा में मौजूद रहे. महाकाल मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश बताते हैं कि पिछले 100 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार लग रहा है कि भगवान को भक्तों का इंतजार है. मंदिर के पुजारी कहते हैं कि इस दौर में मानो सब कुछ तहस-नहस सा हो गया है. भक्त और भगवान एक दूसरे से दूर हो गए हैं.

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उदयपुर का महाकाल मंदिर

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वहीं, महाकाल मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंद्रशेखर दाधीच बताते हैं कि उदयपुर का महाकाल मंदिर उदयपुर की स्थापना से पहले का है और अब तक के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ कि मंदिर भक्तों के लिए बंद हो. लेकिन इस संक्रमण ने सालों की परंपरा को तोड़ दिया और ऐसा पहली बार हो रहा है कि सावन के महीने में महाकाल मंदिर में भक्त नहीं पहुंच पा रहे हैं.

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उदयपुर का महाकाल मंदिर

बता दें कि राजस्थान सरकार की ओर से 31 जुलाई तक प्रदेश के सभी धार्मिक स्थानों पर आम लोगों की आवाजाही को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है. जिसके चलते सावन के महीने में भी शिवालयों में भक्त नहीं पहुंच पा रहे और इसी का असर है कि उदयपुर के महाकाल मंदिर में बरसों पुरानी परंपरा सोमवार को टूटती नजर आई.

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