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नई शिक्षा नीति पर शिक्षाविदों के मत, कुछ ने सराहा तो कुछ ने बताई बदलाव की संभावना...सुनिये

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में देश की शिक्षा नीति में परिवर्तन किया गया है. नई शिक्षा नीति के तहत निजी कॉलेजों को भी 15 वर्षों में स्वायत्ता प्राप्त करने का मौका मिलेगा. ऐसे में केंद्र सरकार के इस फैसले को उदयपुर के शिक्षाविद जहां भविष्य के लिए दूरगामी सोच करार दे रहे हैं तो वहीं निजी कॉलेजों के संचालक इसे सरकार का अच्छा कदम बता रहे हैं. पेश है एक रिपोर्ट...

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Published : Aug 12, 2020, 3:46 PM IST

Different opinions of academics on education policy
शिक्षा नीति पर शिक्षाविदों के अलग मत

उदयपुर. केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में नई शिक्षा नीति लागू की गई है. 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में परिवर्तन किया गया है. इसके तहत अब विश्वविद्यालयों से संबद्ध डिग्री कॉलेजों को अगले 15 वर्षों में स्वायत्ता प्राप्त करनी होगी. उदयपुर के शिक्षाविद इसे सरकार की एक अनूठा प्रयास मान रहे हैं. उनका कहना है कि भविष्य में इसके दूरगामी परिणाम नजर आएंगे, लेकिन फिलहाल स्थिति सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुकूल नहीं है. इस बदलाव का कुछ शिक्षाविदों ने स्वागत किया है तो वहीं कुछ ने इसमें अब भी और बदलाव की संभावना जताई है.

शिक्षा नीति पर शिक्षाविदों के अलग मत

उदयपुर के शिक्षाविद कुंजन आचार्य का कहना है कि सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति के अंदर जो परिवर्तन किया गया है वह सुनने में तो काफी अच्छा है, लेकिन हाल-फिलहाल धरातल पर लागू होता नजर नहीं आ रहा. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद विश्वविद्यालय की ताकत में भी कमी आएगी. इसके साथ ही संगठित कॉलेज खत्म करने के फैसले को भी आचार्य ने अनुचित बताया. कहा कि इससे विश्वविद्यालयों पर कई अतिरिक्त भार पड़ेंगे और भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में प्रतियोगिता भी काफी बढ़ जाएगी.

यह भी पढ़ें: 'नई शिक्षा नीति' को लेकर उदयपुर के शिक्षाविदों का सुझाव, कहा- बिना English नहीं चलेगा काम

वहीं, उदयपुर के सनराइज ग्रुप ऑफ एजुकेशन के डायरेक्टर हरीश राजानी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इसका सीधा फायदा छात्रों को मिलेगा और डिप्लोमा की जगह उन्हें डिग्री उपलब्ध हो पाएगी. राजानी ने कहा कि लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार द्वारा जो नई शिक्षा नीति लागू की गई है वह भविष्य के लिए लाभकारी है.

उदयपुर. केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में नई शिक्षा नीति लागू की गई है. 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में परिवर्तन किया गया है. इसके तहत अब विश्वविद्यालयों से संबद्ध डिग्री कॉलेजों को अगले 15 वर्षों में स्वायत्ता प्राप्त करनी होगी. उदयपुर के शिक्षाविद इसे सरकार की एक अनूठा प्रयास मान रहे हैं. उनका कहना है कि भविष्य में इसके दूरगामी परिणाम नजर आएंगे, लेकिन फिलहाल स्थिति सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुकूल नहीं है. इस बदलाव का कुछ शिक्षाविदों ने स्वागत किया है तो वहीं कुछ ने इसमें अब भी और बदलाव की संभावना जताई है.

शिक्षा नीति पर शिक्षाविदों के अलग मत

उदयपुर के शिक्षाविद कुंजन आचार्य का कहना है कि सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति के अंदर जो परिवर्तन किया गया है वह सुनने में तो काफी अच्छा है, लेकिन हाल-फिलहाल धरातल पर लागू होता नजर नहीं आ रहा. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद विश्वविद्यालय की ताकत में भी कमी आएगी. इसके साथ ही संगठित कॉलेज खत्म करने के फैसले को भी आचार्य ने अनुचित बताया. कहा कि इससे विश्वविद्यालयों पर कई अतिरिक्त भार पड़ेंगे और भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में प्रतियोगिता भी काफी बढ़ जाएगी.

यह भी पढ़ें: 'नई शिक्षा नीति' को लेकर उदयपुर के शिक्षाविदों का सुझाव, कहा- बिना English नहीं चलेगा काम

वहीं, उदयपुर के सनराइज ग्रुप ऑफ एजुकेशन के डायरेक्टर हरीश राजानी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इसका सीधा फायदा छात्रों को मिलेगा और डिप्लोमा की जगह उन्हें डिग्री उपलब्ध हो पाएगी. राजानी ने कहा कि लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार द्वारा जो नई शिक्षा नीति लागू की गई है वह भविष्य के लिए लाभकारी है.

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