उदयपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहन प्रकाश आज उदयपुर के प्रवास पर रहे. इस दौरान उन्होंने सर्किट हाउस में ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए देश के तत्कालीन मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी की राय रखी. वहीं, उन्होंने कृषि कानून को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से वार्ता का नाटक कर रही है. मूल विषय पर सरकार बात ही नहीं कर रही.
उन्होंने कहा कि आंदोलन के बीते दौरान 60 लोगों की शहादत हो गई. अन्नदाता इस भीषण ठंड में प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री के पास एक शब्द भी नहीं जो उनके बारे में बोले. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल किसानों की लड़ाई नहीं बल्कि देश के 80 से 90 फीसदी लोगों की जिंदगी का सवाल है. केंद्र सरकार ने स्टॉक लिमिट खत्म कर दी. अब जितना चाहे उतना धन्ना सेठ स्टॉक कर सकते हैं. आवश्यक खाने की चीजों को बाहर कर दिया गया. सरकार ने जमाखोरी और मुनाफाखोरी का कानूनी जामा पहना दिया.
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जब किसान कह रहा है कि उन्हें कानून नहीं चाहिए तो सरकार जबरन किसानों पर इस कानूनों को थोपने का काम क्यों कर रही है. जब पूरा देश कोरोना की कारण बंद था उस समय इस प्रकार के कानून लाए गए. इन कानूनों को लेकर किसानों से बात भी नहीं की गई. मोहन प्रकाश ने कहा कि मोदी सरकार की एक खासियत है कि ये लोग सनक मैं फैसला लेते हैं, बिना उसके परिणाम की समीक्षा किए हुए. जितने भी उन्होंने निर्णय लिए उनसे जनता को परेशानी झेलनी पड़ी है. चाहे नोटबंदी हो जिसके बड़े-बड़े वादे किए गए लेकिन जनता को नोटबंदी के कारण बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था डगमगा गई. छोटे व्यवसायियों को दुकानदारों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है.आधी रात को जीएसटी लाकर देश के व्यापार को नुकसान पहुंचाया है.
उन्होंने कहा लाखों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्हें हम गुमराह नहीं कर रहे हैं. वह हमारे कहने से नहीं आए यह किसानों के हक की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री चायवाला होकर 10 लाख का सूट पहनते है. वह अच्छा है, और एक किसान का बेटा या बेटी जींस पहन कर आंदोलन करे तो आपको बुरा लग रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि आंदोलन पंजाब और हरियाणा का है. हम इसे मान भी लेते हैं कि पंजाब और हरियाणा का है तो इस मुल्क के अंदर दो राज्य के लोग भी विरोध कर रहे हैं तो क्या आप सुनवाई नहीं करेंगे.
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उन्होंने कहा कि जब सरकार संशोधन करने की मांग कर पर सहमत है .तो इन्हें वापस क्यों नहीं लेती. उन्होंने बताया कि 15 तारीख को कांग्रेस किसान अधिकार दिवस बनाएगी, लेकिन सवाल यह है कि इस भीषण ठंड में हमारा अन्नदाता बैठा है इनके पास इतना समय नहीं कि एक मीटिंग के बाद दूसरी मीटिंग में 6 से 7 दिन का समय देते हैं. इस देश के प्रधानमंत्री को और कितनी शहादत चाहिए. उनको दिखाई नहीं दे रहा कि किसान उनके दरवाजे पर बैठे हुए हैं, लेकिन उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा.