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श्रीगंगानगरः शिक्षा विभाग में रहा 2019 का सबसे बड़ा घोटाला, PTI डकार गया 37 करोड़ रुपए - Biggest Scam of 2019

साल 2019 का सबसे बड़ा घोटाला शिक्षा विभाग के रूप में सामने आया. 2015 में शुरू हुए इस घोटाले में 2019 तक मुख्य आरोपी PTI ओम प्रकाश शर्मा ने 24 लोगों के नाम से 515 बैंक खाता खुलवा कर उसमें 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए. वहीं, पुरानी आबादी पुलिस ने इस मामले में 1055 पेज की पहली अंतरिम चार्जशीट कोर्ट में पेश की है.

2019 का सबसे बड़ा घोटाला, Biggest Scam of 2019
2019 का सबसे बड़ा घोटाला
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Published : Dec 28, 2019, 6:14 PM IST

श्रीगंगानगर. शिक्षा विभाग के 37 करोड़ रुपए के महाघोटाले में पुरानी आबादी पुलिस ने 1055 पेज की पहली अंतरिम चार्जशीट कोर्ट में पेश की है. यह महा घोटाला 2015 में शुरू हुआ और 2019 तक मुख्य आरोपी PTI ओम प्रकाश शर्मा ने 24 लोगों के नाम से 515 बैंक खाता खुलवा कर उसमें 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए.

बड़ी बात यह रही कि यह सभी 24 लोग आरोपी शर्मा के भाई, साढ़ू, साले, साली, दोस्त, ड्राइवर और अन्य परिचित ही थे. इस मामले में पुलिस ने फिलहाल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. बाकी 13 आरोपियों में कुछ हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले चुके हैं तो कुछ फरार चल रहे हैं. इस घोटाले की शुरुआत सितंबर 2015 में हुई थी.

शिक्षा विभाग में रहा 2019 का सबसे बड़ा घोटाला

बता दें कि मिर्जेवाला गांव का रहने वाला मुख्य आरोपी ओमप्रकाश शर्मा शिक्षा विभाग में PTI था. साल 2008 में शर्मा को प्रतिनियुक्ति पर सीबीईओ कार्यालय में भेजा गया. 2012 में कर्मचारियों के वेतन और अन्य बिल ऑनलाइन बनाने के लिए पे मैनेजर सॉफ्टवेयर शुरू किया गया था. सरकार के आदेश थे कि इस सॉफ्टवेयर के पासवर्ड केवल शीर्ष अधिकारी के पास होंगे.

पढ़ें- कांग्रेस का इतिहास देश में सबसे पुराना...बड़े-बड़े महापुरुष इसी पार्टी से हुए हैं: CM गहलोत

लेकिन PTI ने अपने अफसरों का भरोसा जीत कर पे मैनेजर का पासवर्ड हासिल कर लिया. आरोपी PTI सितंबर 2015 में पहली बार इसी पे मैनेजर सॉफ्टवेयर से अपने भाई कैलाश चंद्र शर्मा को अध्यापक दिखा उसके उपार्जित अवकाश के बदले 6 लाख का फर्जी बिल बनाया और इसे ट्रेजरी में पास होने को भेजा. जिसके वहां किसी ने भी इसे जांचा नहीं और बिल पास हो गया. बस यही से इस महाघोटाले की नींव पड़ी.

इसके बाद तो आरोपी ने अपने 24 रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से अलग-अलग बैंकों में 515 खाते खुलवाए और उन्हें शिक्षा विभाग में अध्यापक, बाबू और PTI दिखाकर 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए. इनमें कभी इनके बिल उपार्जित अवकाश के बनाए गए तो कभी रिटायरमेंट दिखा ग्रेजुएटी उठाई गई. कई बार तो ऐसा भी हुआ कि एक ही बिल में 7-7 लोगों के छुट्टियों के बिल बनाकर पैसे उठाए गए.

आरोपी शर्मा के दावे को सच माने तो वह हर बार बिल के बदले ट्रेजरी में 2 हजार सुविधा शुल्क देता था. इसके बाद उसके किसी बिल में कोई कमी नहीं निकाली जाती थी. जुलाई 2019 में उसका मामला खुला तब जाकर शिक्षा विभाग ने FIR दर्ज करवाई. फिलहाल, आरोपी शर्मा को जोधपुर हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है.

पढ़ें- 8वीं बोर्ड में अब 16 साल की उम्र का बंधन नहीं, उम्र की बाध्यता हटाई गई

30 जुलाई को आरोपी PTI अवकाश पर था. पीछे से सीबीईओ कार्यालय में दूसरे बाबू राजेश शर्मा ने पे मैनेजर सॉफ्टवेयर खोला तो आरोपी PTI ने एक साथ कई व्यक्तियों को रिटायर कर रखा था, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था. विभाग में एक साथ इतने लोगों की रिटायरमेंट होना अचंभे के साथ ही संदेह प्रकट कर रहा था. इस पर राजेश शर्मा को संदेह हुआ तब उसने पे मैनेजर के अन्य बिलों की जांच की तब एक के बाद एक अनेक फर्जी बिल देख वो हैरान रह गया.

जिसके बाद उसने तुरंत वर्तमान सीबीईओ हंसराज को इस मामले की जानकारी दी. फिर शिक्षा विभाग की डायरेक्टर देव लता को सूचना दी गई और उसी दिन सीबीईओ ने पुरानी आबादी थाना में आरोपी PTI के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया. वहीं, पहले उसने जोधपुर हाई कोर्ट में आत्मसमर्पण का प्रयास किया लेकिन बाद में 4 अगस्त को श्रीगंगानगर में कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. आरोपी PTI जिनके भी खातों में रुपए भेजता था उनसे 50 फीसदी रकम वापस लेता था और बाकी उसी खाताधारक को दे देता था.

श्रीगंगानगर. शिक्षा विभाग के 37 करोड़ रुपए के महाघोटाले में पुरानी आबादी पुलिस ने 1055 पेज की पहली अंतरिम चार्जशीट कोर्ट में पेश की है. यह महा घोटाला 2015 में शुरू हुआ और 2019 तक मुख्य आरोपी PTI ओम प्रकाश शर्मा ने 24 लोगों के नाम से 515 बैंक खाता खुलवा कर उसमें 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए.

बड़ी बात यह रही कि यह सभी 24 लोग आरोपी शर्मा के भाई, साढ़ू, साले, साली, दोस्त, ड्राइवर और अन्य परिचित ही थे. इस मामले में पुलिस ने फिलहाल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. बाकी 13 आरोपियों में कुछ हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले चुके हैं तो कुछ फरार चल रहे हैं. इस घोटाले की शुरुआत सितंबर 2015 में हुई थी.

शिक्षा विभाग में रहा 2019 का सबसे बड़ा घोटाला

बता दें कि मिर्जेवाला गांव का रहने वाला मुख्य आरोपी ओमप्रकाश शर्मा शिक्षा विभाग में PTI था. साल 2008 में शर्मा को प्रतिनियुक्ति पर सीबीईओ कार्यालय में भेजा गया. 2012 में कर्मचारियों के वेतन और अन्य बिल ऑनलाइन बनाने के लिए पे मैनेजर सॉफ्टवेयर शुरू किया गया था. सरकार के आदेश थे कि इस सॉफ्टवेयर के पासवर्ड केवल शीर्ष अधिकारी के पास होंगे.

पढ़ें- कांग्रेस का इतिहास देश में सबसे पुराना...बड़े-बड़े महापुरुष इसी पार्टी से हुए हैं: CM गहलोत

लेकिन PTI ने अपने अफसरों का भरोसा जीत कर पे मैनेजर का पासवर्ड हासिल कर लिया. आरोपी PTI सितंबर 2015 में पहली बार इसी पे मैनेजर सॉफ्टवेयर से अपने भाई कैलाश चंद्र शर्मा को अध्यापक दिखा उसके उपार्जित अवकाश के बदले 6 लाख का फर्जी बिल बनाया और इसे ट्रेजरी में पास होने को भेजा. जिसके वहां किसी ने भी इसे जांचा नहीं और बिल पास हो गया. बस यही से इस महाघोटाले की नींव पड़ी.

इसके बाद तो आरोपी ने अपने 24 रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से अलग-अलग बैंकों में 515 खाते खुलवाए और उन्हें शिक्षा विभाग में अध्यापक, बाबू और PTI दिखाकर 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए. इनमें कभी इनके बिल उपार्जित अवकाश के बनाए गए तो कभी रिटायरमेंट दिखा ग्रेजुएटी उठाई गई. कई बार तो ऐसा भी हुआ कि एक ही बिल में 7-7 लोगों के छुट्टियों के बिल बनाकर पैसे उठाए गए.

आरोपी शर्मा के दावे को सच माने तो वह हर बार बिल के बदले ट्रेजरी में 2 हजार सुविधा शुल्क देता था. इसके बाद उसके किसी बिल में कोई कमी नहीं निकाली जाती थी. जुलाई 2019 में उसका मामला खुला तब जाकर शिक्षा विभाग ने FIR दर्ज करवाई. फिलहाल, आरोपी शर्मा को जोधपुर हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है.

पढ़ें- 8वीं बोर्ड में अब 16 साल की उम्र का बंधन नहीं, उम्र की बाध्यता हटाई गई

30 जुलाई को आरोपी PTI अवकाश पर था. पीछे से सीबीईओ कार्यालय में दूसरे बाबू राजेश शर्मा ने पे मैनेजर सॉफ्टवेयर खोला तो आरोपी PTI ने एक साथ कई व्यक्तियों को रिटायर कर रखा था, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था. विभाग में एक साथ इतने लोगों की रिटायरमेंट होना अचंभे के साथ ही संदेह प्रकट कर रहा था. इस पर राजेश शर्मा को संदेह हुआ तब उसने पे मैनेजर के अन्य बिलों की जांच की तब एक के बाद एक अनेक फर्जी बिल देख वो हैरान रह गया.

जिसके बाद उसने तुरंत वर्तमान सीबीईओ हंसराज को इस मामले की जानकारी दी. फिर शिक्षा विभाग की डायरेक्टर देव लता को सूचना दी गई और उसी दिन सीबीईओ ने पुरानी आबादी थाना में आरोपी PTI के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया. वहीं, पहले उसने जोधपुर हाई कोर्ट में आत्मसमर्पण का प्रयास किया लेकिन बाद में 4 अगस्त को श्रीगंगानगर में कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. आरोपी PTI जिनके भी खातों में रुपए भेजता था उनसे 50 फीसदी रकम वापस लेता था और बाकी उसी खाताधारक को दे देता था.

Intro:श्रीगंगानगर : जिले में 2019का सबसे बडा घोटाला हुआ।शिक्षा विभाग के 37 करोड रुपए के महाघोटाले में पुरानी आबादी पुलिस ने 1055 पेजों की पहली अंतरिम चार्जशीट कोर्ट में पेश की।खुलासा हुआ कि यह महा घोटाला 2015 में शुरू हुआ था और 2019 तक मुख्य आरोपी पीटीआई ओम प्रकाश शर्मा ने 24 लोगों के नाम से 515 बैंक खाता खुलवा कर उसमें 37करोड 38 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए। बड़ी बात यह रही कि यह सभी 24 लोग आरोपी शर्मा के भाई,साडू,साले,साली, दोस्त,ड्राइवर व अन्य परिचित ही थे। इस मामले में पुलिस ने फिलहाल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। बाकी 13 आरोपियों में कुछ हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले चुके हैं तो कुछ फरार चल रहे हैं। इस घोटाले की शुरुआत सितंबर 2015 में हुई थी। मिर्जेवाला गांव का रहने वाला मुख्य आरोपी ओमप्रकाश शर्मा शिक्षा विभाग में पीटीआई था। वर्ष 2008 में शर्मा को प्रतिनियुक्ति पर सीबीईओ कार्यालय में भेजा गया। 2012 में कर्मचारियों के वेतन और अन्य बिल ऑनलाइन बनाने को पे मैनेजर सॉफ्टवेयर शुरू किया गया था। सरकार के आदेश थे कि इस सॉफ्टवेयर के पासवर्ड केवल शीर्ष अधिकारी के पास होंगे,लेकिन पीटीआई ने अपने अफसरों का भरोसा जीत कर पे मैनेजर का पासवड ही हासिल कर लिया। आरोपी पीटीआई सितंबर 2015 में पहली बार इसी पे मैनेजर सॉफ्टवेयर से अपने भाई कैलाश चंद्र शर्मा को अध्यापक दिखा उसके उपार्जित अवकाश के बदले 6 लाख का फर्जी बिल बनाया और इसे ट्रेजरी में पास होने को भेजा गया। वहां किसी ने भी इसे जांचा नहीं और बिल पास हो गया। बस यही से महा घोटाले की नींव पड़ी। इसके बाद तो आरोपियों ने अपने 24 रिश्तेदारों व परिचितों के नाम से अलग-अलग बैंकों में 515 खाते खुलवाए और उन्हें शिक्षा विभाग में अध्यापक,बाबू व पीटीआई दिखाकर 37 करोड़ 38लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। इनमें कभी इनके बिल उपार्जित अवकाश के बनाए गए तो कभी रिटायरमेंट दिखा ग्रेजुएटी उठाई गई। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि एक ही बिल में 7-7 लोगों के छुट्टियों के बिल बनाकर पैसे उठाए गये।आरोपी शर्मा के दावे को सच माने तो वह हर बार बिल के बदले ट्रेजरी में 2000 सुविधा शुल्क देता था। इसके बाद उसके किसी बिल में कोई कमी नहीं निकाली जाती थी। जुलाई 2019 में उसका मामला खुला तब जाकर शिक्षा विभाग ने एफआइआर आर दर्ज करवाई।फिलहाल आरोपी शर्मा को जोधपुर हाईकौर्ट से जमानत मिली हुई है।


Body:30 जुलाई को आरोपी पीटीआई अवकाश पर था। पीछे से सीबीईओ कार्यालय में दूसरे बाबू राजेश शर्मा ने पे मैनेजर सॉफ्टवेयर खोला तो आरोपी पीटीआई ने एक साथ कई व्यक्तियों को रिटायर कर रखा था। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था। विभाग में एक साथ इतने लोगों की रिटायरमेंट होना अचंभे के साथ ही संदेह प्रकट कर रहा था। इस पर राजेश शर्मा को संदेह हुआ तब उसने पे मैनेजर के अन्य बिलो की जांच की तब एक के बाद एक अनेक फर्जी बिल देख उसका माथा चकराया। उसने तत्काल ही वर्तमान सीबीईओ हंसराज को इस मामले से अवगत करवाया। फिर शिक्षा विभाग की डायरेक्टर देव लता को सूचना दी गई।उसी दिन सीबीईओ ने पुरानी आबादी थाना में आरोपी पीटीआई के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। उसने पहले जोधपुर हाई कोर्ट में आत्मसमर्पण का प्रयास किया लेकिन बाद में 4 अगस्त को श्रीगंगानगर में कौर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। आरोपी पीटीआई जिनके भी खातों में रुपए भेजता था उनसे 50 फ़ीसदी रकम वापस लेता था बाकी उसी खाताधारक को रुपए दे देता था।




Conclusion:2019 का महा घोटाला।
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