श्रीगंगानगर. शिक्षा विभाग के 37 करोड़ रुपए के महाघोटाले में पुरानी आबादी पुलिस ने 1055 पेज की पहली अंतरिम चार्जशीट कोर्ट में पेश की है. यह महा घोटाला 2015 में शुरू हुआ और 2019 तक मुख्य आरोपी PTI ओम प्रकाश शर्मा ने 24 लोगों के नाम से 515 बैंक खाता खुलवा कर उसमें 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए.
बड़ी बात यह रही कि यह सभी 24 लोग आरोपी शर्मा के भाई, साढ़ू, साले, साली, दोस्त, ड्राइवर और अन्य परिचित ही थे. इस मामले में पुलिस ने फिलहाल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. बाकी 13 आरोपियों में कुछ हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले चुके हैं तो कुछ फरार चल रहे हैं. इस घोटाले की शुरुआत सितंबर 2015 में हुई थी.
बता दें कि मिर्जेवाला गांव का रहने वाला मुख्य आरोपी ओमप्रकाश शर्मा शिक्षा विभाग में PTI था. साल 2008 में शर्मा को प्रतिनियुक्ति पर सीबीईओ कार्यालय में भेजा गया. 2012 में कर्मचारियों के वेतन और अन्य बिल ऑनलाइन बनाने के लिए पे मैनेजर सॉफ्टवेयर शुरू किया गया था. सरकार के आदेश थे कि इस सॉफ्टवेयर के पासवर्ड केवल शीर्ष अधिकारी के पास होंगे.
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लेकिन PTI ने अपने अफसरों का भरोसा जीत कर पे मैनेजर का पासवर्ड हासिल कर लिया. आरोपी PTI सितंबर 2015 में पहली बार इसी पे मैनेजर सॉफ्टवेयर से अपने भाई कैलाश चंद्र शर्मा को अध्यापक दिखा उसके उपार्जित अवकाश के बदले 6 लाख का फर्जी बिल बनाया और इसे ट्रेजरी में पास होने को भेजा. जिसके वहां किसी ने भी इसे जांचा नहीं और बिल पास हो गया. बस यही से इस महाघोटाले की नींव पड़ी.
इसके बाद तो आरोपी ने अपने 24 रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से अलग-अलग बैंकों में 515 खाते खुलवाए और उन्हें शिक्षा विभाग में अध्यापक, बाबू और PTI दिखाकर 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए. इनमें कभी इनके बिल उपार्जित अवकाश के बनाए गए तो कभी रिटायरमेंट दिखा ग्रेजुएटी उठाई गई. कई बार तो ऐसा भी हुआ कि एक ही बिल में 7-7 लोगों के छुट्टियों के बिल बनाकर पैसे उठाए गए.
आरोपी शर्मा के दावे को सच माने तो वह हर बार बिल के बदले ट्रेजरी में 2 हजार सुविधा शुल्क देता था. इसके बाद उसके किसी बिल में कोई कमी नहीं निकाली जाती थी. जुलाई 2019 में उसका मामला खुला तब जाकर शिक्षा विभाग ने FIR दर्ज करवाई. फिलहाल, आरोपी शर्मा को जोधपुर हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है.
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30 जुलाई को आरोपी PTI अवकाश पर था. पीछे से सीबीईओ कार्यालय में दूसरे बाबू राजेश शर्मा ने पे मैनेजर सॉफ्टवेयर खोला तो आरोपी PTI ने एक साथ कई व्यक्तियों को रिटायर कर रखा था, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था. विभाग में एक साथ इतने लोगों की रिटायरमेंट होना अचंभे के साथ ही संदेह प्रकट कर रहा था. इस पर राजेश शर्मा को संदेह हुआ तब उसने पे मैनेजर के अन्य बिलों की जांच की तब एक के बाद एक अनेक फर्जी बिल देख वो हैरान रह गया.
जिसके बाद उसने तुरंत वर्तमान सीबीईओ हंसराज को इस मामले की जानकारी दी. फिर शिक्षा विभाग की डायरेक्टर देव लता को सूचना दी गई और उसी दिन सीबीईओ ने पुरानी आबादी थाना में आरोपी PTI के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया. वहीं, पहले उसने जोधपुर हाई कोर्ट में आत्मसमर्पण का प्रयास किया लेकिन बाद में 4 अगस्त को श्रीगंगानगर में कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. आरोपी PTI जिनके भी खातों में रुपए भेजता था उनसे 50 फीसदी रकम वापस लेता था और बाकी उसी खाताधारक को दे देता था.