सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). सरकार महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की सुविधाओं का ध्यान रखने की बात करती है, लेकिन सूरतगढ़ के सरकारी अस्पताल में पिछले 5 साल से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. महिला चिकित्सक का पद खाली होने की वजह से गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है.
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गर्भवती महिलाओं को दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है. कई बार गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर रास्ते में ही प्रसव हो जाता है. ऐसे में प्रसूता और बच्चे की जान को खतरा रहता है.
संस्थागत प्रसव में कमी
एक तरफ सरकार जननी सुरक्षा योजना, बेटी बचाओ और सुरक्षित प्रसव को लेकर प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. वहीं अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से ग्रेड प्रथम और द्वितीय ग्रेड की नर्सें डिलीवरी करा रहीं हैं. जटिल परिस्थितियों में नर्स भी प्रसव कराने से मना कर देती हैं, जिसके बाद प्रसव पीड़िता को दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ता है. यही वजह है, कि प्रथम श्रेणी सरकारी अस्पताल होने पर भी संस्थागत प्रसव की संख्या लगातार घटती जा रही है.
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सरकारी अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक हर महीने करीब 140 गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है, जिनका प्रसव रास्ते में हो जाता है. महिलाओं को 108 सिटी और शहर एंबुलेंस से ले जाते हैं. क्रिटिकल केस में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने पर उन्हे रेफर कर दिया जाता है. एंबुलेंस के ईएमटी ने बताया, कि 108 एंबुलेंस में सीमित संशाधन होने पर जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है.
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एंबुलेंस में ही हो रहे प्रसव
ईटीवी भारत ने जब मरीजों से बात कर हकीकत को कुरेदने की कोशिश की तो प्रसव के कई केस सामने आए, जिसमें एंबुलेंस में प्रसव होने की नौबत आई.
- केस नंबर 1- 11 एसजीएम निवासी सुनीता पत्नी पवन बच्चा उल्टा होने की बात कहकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. गांव भगवानसर के पास रास्ते में प्रसव पीड़ा होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में ही डिलीवरी करवाई, जहां महिला ने बच्ची को जन्म दिया.
- केस नंबर 2- गांव 7 एलसी निवासी संतोष पत्नी ओमप्रकाश को भी बच्चा उल्टा बताकर रेफर कर दिया गया. महिला को रास्ते में प्रसव पीड़ा ज्यादा होने पर एंबुलेंस में ईएमटी महेशचंद्र ने सुरक्षित प्रसव करवाया.
- केस नंबर 3- सूरतगढ़ निवासी मनोहरी देवी पत्नी पूर्णराम को खून की कमी बताकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. गांव पालीवाला के पास प्रसव पीड़ा ज्यादा होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव करवाया.
इधर बीसीएमएचओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है, कि ये राज्य स्तर का मामला है.वे कई बार पत्र व्यवहार के जरिए कोशिश कर चुके हैं. भारत तकनीक में बड़ी-बड़ी सफलता हासिल कर रहा है, लेकिन महिलाओं के प्रसव तक के लिए सरकारी अस्पतालों में उचित व्यवस्था नहीं है. महिलाओं की तरक्की की बात करने वाली सरकार और प्रशासन का इस ओर ध्यान भी नहीं है.