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स्पेशल रिपोर्ट: रास्ते में ही प्रसव होने से प्रसूताओं की जान को खतरा, पिछले 5 साल से महिला चिकित्सक नहीं होने से करते हैं रेफर

सरकारी अस्पताल में पिछले 5 साल से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है. जिससे महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गर्भवती महिलाओं को ज्यादा पीड़ा भुगतनी पड़ रही है. सरकारी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ का पद खाली होने से गर्भवती महिलाओं को दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है.

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सूरतगढ़ में 5 साल से नहीं है महिला चिकित्सक
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Published : Dec 4, 2019, 2:38 PM IST

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). सरकार महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की सुविधाओं का ध्यान रखने की बात करती है, लेकिन सूरतगढ़ के सरकारी अस्पताल में पिछले 5 साल से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. महिला चिकित्सक का पद खाली होने की वजह से गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है.

यह भी पढ़ें- श्रीगंगानगरः जनसुनवाई में शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा देंगे आमजन को राहत

गर्भवती महिलाओं को दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है. कई बार गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर रास्ते में ही प्रसव हो जाता है. ऐसे में प्रसूता और बच्चे की जान को खतरा रहता है.

सूरतगढ़ में 5 साल से नहीं है महिला चिकित्सक

संस्थागत प्रसव में कमी

एक तरफ सरकार जननी सुरक्षा योजना, बेटी बचाओ और सुरक्षित प्रसव को लेकर प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. वहीं अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से ग्रेड प्रथम और द्वितीय ग्रेड की नर्सें डिलीवरी करा रहीं हैं. जटिल परिस्थितियों में नर्स भी प्रसव कराने से मना कर देती हैं, जिसके बाद प्रसव पीड़िता को दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ता है. यही वजह है, कि प्रथम श्रेणी सरकारी अस्पताल होने पर भी संस्थागत प्रसव की संख्या लगातार घटती जा रही है.

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सरकारी अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक हर महीने करीब 140 गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है, जिनका प्रसव रास्ते में हो जाता है. महिलाओं को 108 सिटी और शहर एंबुलेंस से ले जाते हैं. क्रिटिकल केस में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने पर उन्हे रेफर कर दिया जाता है. एंबुलेंस के ईएमटी ने बताया, कि 108 एंबुलेंस में सीमित संशाधन होने पर जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है.

यह भी पढ़ें- श्रीगंगानगरः श्रेष्ठ चिकित्सालय को मिलेगा 15 लाख रुपए का इनाम

एंबुलेंस में ही हो रहे प्रसव

ईटीवी भारत ने जब मरीजों से बात कर हकीकत को कुरेदने की कोशिश की तो प्रसव के कई केस सामने आए, जिसमें एंबुलेंस में प्रसव होने की नौबत आई.

  • केस नंबर 1- 11 एसजीएम निवासी सुनीता पत्नी पवन बच्चा उल्टा होने की बात कहकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. गांव भगवानसर के पास रास्ते में प्रसव पीड़ा होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में ही डिलीवरी करवाई, जहां महिला ने बच्ची को जन्म दिया.
  • केस नंबर 2- गांव 7 एलसी निवासी संतोष पत्नी ओमप्रकाश को भी बच्चा उल्टा बताकर रेफर कर दिया गया. महिला को रास्ते में प्रसव पीड़ा ज्यादा होने पर एंबुलेंस में ईएमटी महेशचंद्र ने सुरक्षित प्रसव करवाया.
  • केस नंबर 3- सूरतगढ़ निवासी मनोहरी देवी पत्नी पूर्णराम को खून की कमी बताकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. गांव पालीवाला के पास प्रसव पीड़ा ज्यादा होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव करवाया.

इधर बीसीएमएचओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है, कि ये राज्य स्तर का मामला है.वे कई बार पत्र व्यवहार के जरिए कोशिश कर चुके हैं. भारत तकनीक में बड़ी-बड़ी सफलता हासिल कर रहा है, लेकिन महिलाओं के प्रसव तक के लिए सरकारी अस्पतालों में उचित व्यवस्था नहीं है. महिलाओं की तरक्की की बात करने वाली सरकार और प्रशासन का इस ओर ध्यान भी नहीं है.

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). सरकार महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की सुविधाओं का ध्यान रखने की बात करती है, लेकिन सूरतगढ़ के सरकारी अस्पताल में पिछले 5 साल से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. महिला चिकित्सक का पद खाली होने की वजह से गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है.

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गर्भवती महिलाओं को दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है. कई बार गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर रास्ते में ही प्रसव हो जाता है. ऐसे में प्रसूता और बच्चे की जान को खतरा रहता है.

सूरतगढ़ में 5 साल से नहीं है महिला चिकित्सक

संस्थागत प्रसव में कमी

एक तरफ सरकार जननी सुरक्षा योजना, बेटी बचाओ और सुरक्षित प्रसव को लेकर प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. वहीं अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से ग्रेड प्रथम और द्वितीय ग्रेड की नर्सें डिलीवरी करा रहीं हैं. जटिल परिस्थितियों में नर्स भी प्रसव कराने से मना कर देती हैं, जिसके बाद प्रसव पीड़िता को दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ता है. यही वजह है, कि प्रथम श्रेणी सरकारी अस्पताल होने पर भी संस्थागत प्रसव की संख्या लगातार घटती जा रही है.

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सरकारी अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक हर महीने करीब 140 गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है, जिनका प्रसव रास्ते में हो जाता है. महिलाओं को 108 सिटी और शहर एंबुलेंस से ले जाते हैं. क्रिटिकल केस में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने पर उन्हे रेफर कर दिया जाता है. एंबुलेंस के ईएमटी ने बताया, कि 108 एंबुलेंस में सीमित संशाधन होने पर जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है.

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एंबुलेंस में ही हो रहे प्रसव

ईटीवी भारत ने जब मरीजों से बात कर हकीकत को कुरेदने की कोशिश की तो प्रसव के कई केस सामने आए, जिसमें एंबुलेंस में प्रसव होने की नौबत आई.

  • केस नंबर 1- 11 एसजीएम निवासी सुनीता पत्नी पवन बच्चा उल्टा होने की बात कहकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. गांव भगवानसर के पास रास्ते में प्रसव पीड़ा होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में ही डिलीवरी करवाई, जहां महिला ने बच्ची को जन्म दिया.
  • केस नंबर 2- गांव 7 एलसी निवासी संतोष पत्नी ओमप्रकाश को भी बच्चा उल्टा बताकर रेफर कर दिया गया. महिला को रास्ते में प्रसव पीड़ा ज्यादा होने पर एंबुलेंस में ईएमटी महेशचंद्र ने सुरक्षित प्रसव करवाया.
  • केस नंबर 3- सूरतगढ़ निवासी मनोहरी देवी पत्नी पूर्णराम को खून की कमी बताकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. गांव पालीवाला के पास प्रसव पीड़ा ज्यादा होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव करवाया.

इधर बीसीएमएचओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है, कि ये राज्य स्तर का मामला है.वे कई बार पत्र व्यवहार के जरिए कोशिश कर चुके हैं. भारत तकनीक में बड़ी-बड़ी सफलता हासिल कर रहा है, लेकिन महिलाओं के प्रसव तक के लिए सरकारी अस्पतालों में उचित व्यवस्था नहीं है. महिलाओं की तरक्की की बात करने वाली सरकार और प्रशासन का इस ओर ध्यान भी नहीं है.

Intro:सूरतगढ़। सरकारी अस्पताल में लंबे समय से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से महिलाओं को परेशानी का सामना करना पडा रहा है। इनमें गर्भवती महिलाओं को अधिक पीड़ा भुगतनी पड़ रही है। कारण, सरकारी अस्पताल में स्त्रीरोग विशेषज्ञ का पद रिक्त होने से गर्भवती महिलाओं को दूसरी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर रास्ते में प्रसव हो जाता है। ऐसे में प्रसूता व बच्चे की जान को खतरा रहता है। या फिर रेफर होने पर गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पताल में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यही वजह है कि संस्थागत प्रसव में कमी आई है।

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जानकारी के अनुसार सरकारी अस्पताल में पिछले 5 साल से अधिक समय से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से धात्री महिलाएं को उपचार नहीं मिलता है। एक तरफ सरकार जननी सुरक्षा योजनाए बेटी बचाओं व सुरक्षित प्रसव को लेकर प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं, अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से नर्स ग्रेड प्रथम व द्वीतीय ही डिलीवरी करवा रही है। जटिल परिस्थितियों में नर्स भी प्रसव करवाने में परहेज करती है, यानि प्रसव पीड़िता को रेफर होना पड़ता है।
यही वजह है कि प्रथम श्रेणी सरकारी अस्पताल होने पर भी संस्थागत प्रसव की संख्या दिनोंदिन घट जा रही है। प्रतिमाह 140 गर्भवती महिला हो रही जिला अस्पताल रेफर, रास्ते में हो जाता है प्रसव सरकारी अस्पताल से मिले आंकडों के मुताबिक प्रतिमाह औसतन 140 गर्भवती महिलाएं जिला अस्पताल के लिए रेफर होने पर 108 सिटी व सदर एंबुलेंस से ले जाई जाती है। कारण, खून की कमी, ब्लेड प्रेशर अधिक होना, बच्चे का उल्टा होना, कद छोटा होना व दिल की धड़कन अधिक होने जैसे क्रिटिकल केस में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने पर उन्हे रेफर कर दिया जाता है। इनमें कई प्रसूताओं के रास्ते में प्रसव पीड़ा अधिक होने पर 108 एंबुलेंस स्टाफ को बीच रास्ते में प्रसव करवाना पड़ता है। एंबुलेंस के ईएमटी ने बताया कि 108 एंबुलेंस में सीमित संसाधानों होने पर जच्च-बच्चा को जिला अस्पताल में भर्ती करवा पड़ता है।
Conclusion:सूरतगढ़। सरकारी अस्पताल में लंबे समय से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से महिलाओं को परेशानी का सामना करना पडा रहा है। इनमें गर्भवती महिलाओं को अधिक पीड़ा भुगतनी पड़ रही है। कारण, सरकारी अस्पताल में स्त्रीरोग विशेषज्ञ का पद रिक्त होने से गर्भवती महिलाओं को दूसरी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर रास्ते में प्रसव हो जाता है। ऐसे में प्रसूता व बच्चे की जान को खतरा रहता है। या फिर रेफर होने पर गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पताल में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यही वजह है कि संस्थागत प्रसव में कमी आई है।
जानकारी के अनुसार सरकारी अस्पताल में पिछले 5 साल से अधिक समय से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से धात्री

केस नंबर 1- 11 एसजीएम निवासी सुनीता पत्नी पवन के बच्चा उल्टा होने का कह कर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। गांव भगवानसर के निकट रास्ते में प्रसव पीड़ा होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में ही डिलीवरी करवाई, महिला ने बच्ची को जन्म दिया।
केस नंबर 2- गांव 7 एलसी निवासी संतोष पत्नी ओमप्रकाश के बच्चा उल्टा बताकर रेफर कर दिया। महिला के रास्ते में प्रसव पीडी अधिक होने पर एंबुलेंस ईएमटी महेशचंद्र ने सुरक्षित प्रसव करवाया।
केस नंबर 3- सूरतगढ़ निवासी मनोहरी देवी पत्नी पूर्णराम खून की कमी बताकर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। गांव पालीवाला के निकट प्रसव पीडी अधिक होने पर ईएमटी अंग्रेज सिंह ने एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव करवाया।
बाइट 1 डॉ मनोज अग्रवाल बीसीएमएचओ
बाइट 2 अंग्रेज कुमार नर्सिंग कर्मी
बाइट 3 मनोज कुमार स्थानीय नागरिक
विजय स्वामी सूरतगढ़
मो 9001606958
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