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गजल सम्राट जगजीत सिंह के जन्म दिवस पर श्रीगंगानगर में गजल प्रोग्राम का आयोजन

8 फरवरी को गजल सम्राट जगजीत सिंह 80वां जन्मदिवस है. इस मौके पर दुनियाभर में उनके चाहने वाले उनको याद करते हैं उनकी गजलों के थ्रू. गजल गायकी के सम्राट की जन्म भूमि और शुरुआती कर्मभूमि श्रीगंगानगर थी. उनकी याद में आज आरडी बर्मन फैंस क्लब की ओर से गजलों का प्रोग्राम किया गया.

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गजल सम्राट जगजीत सिंह के जन्म दिवस पर श्रीगंगानगर में गजल प्रोग्राम का आयोजन
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Published : Feb 7, 2021, 7:29 PM IST

श्रीगंगानगर. आज 8 फरवरी को गजल सम्राट जगजीत सिंह 80वां जन्मदिवस है. इस मौके पर दुनियाभर में उनके चाहने वाले उनको याद करते हैं उनकी गजलों के थ्रू. गजल गायकी के सम्राट की जन्म भूमि और शुरुआती कर्मभूमि श्रीगंगानगर थी. उनकी याद में आज आरडी बर्मन फैंस क्लब की ओर से गजलों का प्रोग्राम किया गया. जिसमें जगजीत सिंह की चुनिंदा नज्में और गजलें गाई गई. जिसे सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए.

जगजीत सिंह के जन्म दिवस पर श्रीगंगानगर में गजल प्रोग्राम का आयोजन

पढ़ें: Special : अजमेर में युवा खिलाड़ियों के पास खेलने के लिए मैदान ही नहीं...प्रतिभाओं के साथ हो रहा अन्याय

भले ही आज जगजीत सिंह इस दुनिया में ना हों लेकिन उनके चाहने वाले उनके दोस्तों की यादों में वो अभी भी बसे हैं. श्रीगंगानगर के सिविल लाइंस इलाके में उनके मकान को देखने कई गजल प्रेमी आते हैं. बीच बाजार स्थित पुस्तकालय के ऊपर एक खंडहर सा कमरा जहाँ गंगानगर के लोग बताते हैं कि जगजीत सिंह ने संगीत की पहली शिक्षा-दीक्षा ली थी. जगजीत सिंह 17 साल की उम्र में मुंबई चले गए थे. उसके बाद तो वह सफलता की सीढ़ियां एक के बाद एक चढ़ते ही चले गए.

जगजीत सिंह ने ऊर्दू के मकबूल शायर मिर्जा गालिब की गजलों को अपनी आवाज में गाकर उन्हें और भी निखार दिया. गंगानगर के लोग आज भी उनकी मखमली आवाज के दीवाने हैं. जगजीत सिंह के बारे में पूछने पर उनके साथी, उनको जानने वाले उनके किस्से सुनाने लग जाते हैं.

श्रीगंगानगर. आज 8 फरवरी को गजल सम्राट जगजीत सिंह 80वां जन्मदिवस है. इस मौके पर दुनियाभर में उनके चाहने वाले उनको याद करते हैं उनकी गजलों के थ्रू. गजल गायकी के सम्राट की जन्म भूमि और शुरुआती कर्मभूमि श्रीगंगानगर थी. उनकी याद में आज आरडी बर्मन फैंस क्लब की ओर से गजलों का प्रोग्राम किया गया. जिसमें जगजीत सिंह की चुनिंदा नज्में और गजलें गाई गई. जिसे सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए.

जगजीत सिंह के जन्म दिवस पर श्रीगंगानगर में गजल प्रोग्राम का आयोजन

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भले ही आज जगजीत सिंह इस दुनिया में ना हों लेकिन उनके चाहने वाले उनके दोस्तों की यादों में वो अभी भी बसे हैं. श्रीगंगानगर के सिविल लाइंस इलाके में उनके मकान को देखने कई गजल प्रेमी आते हैं. बीच बाजार स्थित पुस्तकालय के ऊपर एक खंडहर सा कमरा जहाँ गंगानगर के लोग बताते हैं कि जगजीत सिंह ने संगीत की पहली शिक्षा-दीक्षा ली थी. जगजीत सिंह 17 साल की उम्र में मुंबई चले गए थे. उसके बाद तो वह सफलता की सीढ़ियां एक के बाद एक चढ़ते ही चले गए.

जगजीत सिंह ने ऊर्दू के मकबूल शायर मिर्जा गालिब की गजलों को अपनी आवाज में गाकर उन्हें और भी निखार दिया. गंगानगर के लोग आज भी उनकी मखमली आवाज के दीवाने हैं. जगजीत सिंह के बारे में पूछने पर उनके साथी, उनको जानने वाले उनके किस्से सुनाने लग जाते हैं.

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