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अल्पसंख्यक अधिकार दिवस: नागौर में बड़ी संख्या में है मुस्लिम आबादी, हर क्षेत्र में निभा रहे अपनी भागीदारी

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Published : Dec 18, 2019, 6:37 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 8:03 PM IST

18 दिसंबर को विश्व भर में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है. राजस्थान का नागौर जिला भी प्रदेश के उन जिलों में शुमार है, जहां अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल मुस्लिम समुदाय की बड़ी आबादी निवास करती है. यहां रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग शिक्षा, समाज सेवा, सरकारी सेवा, उद्योग-व्यापार से लेकर राजनीति तक कोई ऐसा क्षेत्र अछूता नहीं है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी छाप नहीं छोड़ी है. देखिए नागौर से स्पेशल रिपोर्ट

minorities rights day, अल्पसंख्यक अधिकार दिवस
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर नागौर से स्पेशल रिपोर्ट

नागौर. जिले में मकराना और डीडवाना शहर सहित बासनी, कुम्हारी, शेरानी आबाद, दुकोसी सहित कई ऐसे गांव, कस्बे और शहर हैं, जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है. नागौर की मिट्टी में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग आपसी सौहार्द्र और सद्भाव के साथ एक साथ रहते हुए समाज और देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं.

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर नागौर से स्पेशल रिपोर्ट

पढ़ें- सराहनीयः घायलों की मदद के लिए आगे आया मुस्लिम समाज, महज 24 घंटों में इलाज के लिए जमा किए करीब 3 लाख रुपए

कौमी एकता की मिसाल हमीदुद्दीन नागौरी दरगाह
नागौर शहर में सूफी परंपरा के संत हजरत हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह है. जहां प्रदेश ही नहीं देशभर से अकीदतमंद आते हैं. ना केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदुओं की भी इस स्थान के प्रति आस्था है. रोल गांव में पीर पहाड़ी और दरगाह भी लोगों की आस्था का केंद्र है.

हैंड टूल उद्योग की देशभर में अपनी अलग पहचान
नागौर का हैंड टूल उद्योग देशभर में अपनी अलग पहचान रखता है. इस उद्योग को यहां स्थापित करने और आगे बढ़ाने में मुस्लिम समाज के लोगों का अहम योगदान है. इस उद्योग से जुड़े मजदूरों से लेकर व्यापारी तक अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं.

राजनीति में भी अपना अलग मुकाम
इसके अलावा राजनीति में भी मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों ने अपना अलग मुकाम बनाया है. यहां से मुस्लिम राजनेता ने सांसद और विधायकों की कुर्सी संभालकर क्षेत्र के विकास में भागीदारी निभाई है. यहां तक प्रदेश की सत्ता में भी काबिज रहते हुए ना केवल अपनी अलग पहचान बनाई है, बल्कि अल्पसंख्यकों के लिए विकास के कार्य भी किए हैं.

पशुपालन और डेयरी को दिया बढ़ावा
बासनी मुस्लिम बाहुल्य गांव है. जहां के लोगों ने पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को महाराष्ट्र और देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई तक अपनी मेहनत के बूते स्थापित किया है. इसके अलावा नागौर जिले के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी देशों सहित विश्व के अलग-अलग कोनों में अपनी मेहनत और प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. इनमें भी बड़ी तादाद मुस्लिम समुदाय के लोगों की है.

पढ़ें- नशे के खिलाफ पुलिस की मुहिम से जुड़ा मुस्लिम समाज, निकाली रैली

इन लोगों का मानना है, कि यदि सरकार कुछ सकारात्मक उपाय करे तो इनके जीवन स्तर में सकारात्मक सुधार हो सकता है. मसलन, हैंड टूल उद्योग को नई दिशा देने के लिए नई कार्य योजना की दरकार है. इसके साथ ही इससे जुड़ी एक आईटीआई खोलने की मांग लंबे समय से की जा रही है.

नागौर. जिले में मकराना और डीडवाना शहर सहित बासनी, कुम्हारी, शेरानी आबाद, दुकोसी सहित कई ऐसे गांव, कस्बे और शहर हैं, जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है. नागौर की मिट्टी में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग आपसी सौहार्द्र और सद्भाव के साथ एक साथ रहते हुए समाज और देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं.

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर नागौर से स्पेशल रिपोर्ट

पढ़ें- सराहनीयः घायलों की मदद के लिए आगे आया मुस्लिम समाज, महज 24 घंटों में इलाज के लिए जमा किए करीब 3 लाख रुपए

कौमी एकता की मिसाल हमीदुद्दीन नागौरी दरगाह
नागौर शहर में सूफी परंपरा के संत हजरत हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह है. जहां प्रदेश ही नहीं देशभर से अकीदतमंद आते हैं. ना केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदुओं की भी इस स्थान के प्रति आस्था है. रोल गांव में पीर पहाड़ी और दरगाह भी लोगों की आस्था का केंद्र है.

हैंड टूल उद्योग की देशभर में अपनी अलग पहचान
नागौर का हैंड टूल उद्योग देशभर में अपनी अलग पहचान रखता है. इस उद्योग को यहां स्थापित करने और आगे बढ़ाने में मुस्लिम समाज के लोगों का अहम योगदान है. इस उद्योग से जुड़े मजदूरों से लेकर व्यापारी तक अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं.

राजनीति में भी अपना अलग मुकाम
इसके अलावा राजनीति में भी मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों ने अपना अलग मुकाम बनाया है. यहां से मुस्लिम राजनेता ने सांसद और विधायकों की कुर्सी संभालकर क्षेत्र के विकास में भागीदारी निभाई है. यहां तक प्रदेश की सत्ता में भी काबिज रहते हुए ना केवल अपनी अलग पहचान बनाई है, बल्कि अल्पसंख्यकों के लिए विकास के कार्य भी किए हैं.

पशुपालन और डेयरी को दिया बढ़ावा
बासनी मुस्लिम बाहुल्य गांव है. जहां के लोगों ने पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को महाराष्ट्र और देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई तक अपनी मेहनत के बूते स्थापित किया है. इसके अलावा नागौर जिले के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी देशों सहित विश्व के अलग-अलग कोनों में अपनी मेहनत और प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. इनमें भी बड़ी तादाद मुस्लिम समुदाय के लोगों की है.

पढ़ें- नशे के खिलाफ पुलिस की मुहिम से जुड़ा मुस्लिम समाज, निकाली रैली

इन लोगों का मानना है, कि यदि सरकार कुछ सकारात्मक उपाय करे तो इनके जीवन स्तर में सकारात्मक सुधार हो सकता है. मसलन, हैंड टूल उद्योग को नई दिशा देने के लिए नई कार्य योजना की दरकार है. इसके साथ ही इससे जुड़ी एक आईटीआई खोलने की मांग लंबे समय से की जा रही है.

Intro:राजस्थान का नागौर जिला प्रदेश के उन जिलों में शुमार है। जहां अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल मुस्लिम समुदाय की बड़ी आबादी निवास करती है। अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर ई टीवी भारत ने पड़ताल की तो सामने आया है कि शिक्षा, समाज सेवा, सरकारी सेवा, उद्योग-व्यापार से लेकर राजनीति तक कोई ऐसा क्षेत्र अछूता नहीं है। जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी छाप नहीं छोड़ी हो।


Body:नागौर. जिले में नागौर, मकराना और डीडवाना शहर सहित बासनी, कुम्हारी, शेरानी आबाद, दुकोसी सहित कई ऐसे गांव, कस्बे और शहर हैं। जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है। नागौर की मिट्टी में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग आपसी सौहार्द्र और सद्भाव के साथ एक मुद्दत से साथ रहते हुए समाज और देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं। नागौर शहर में सूफी परंपरा के संत हजरत हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह है। जहां प्रदेश ही नहीं देशभर से अकीदतमंद आते हैं। न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदुओं की भी इस स्थान के प्रति आस्था है। रोल गांव में पीर पहाड़ी और दरगाह भी लोगों की आस्था का केंद्र है।
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर हमने पड़ताल की तो सामने आया कि शिक्षा, समाज सेवा, व्यापार-व्यवसाय, उद्योग से लेकर राजनीति तक कोई भी ऐसा क्षेत्र अछूता नहीं है। जिसमें मुस्लिम समाज के लोगों ने अपनी छाप नहीं छोड़ी हो।
नागौर का हैंडटूल उद्योग देशभर में अपनी अलग पहचान रखता है। इस उद्योग को यहां स्थापित करने और आगे बढ़ाने में मुस्लिम समाज के लोगों का अहम योगदान है। इस उद्योग से जुड़े मजदूरों से लेकर व्यापारी तक अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं। इसके अलावा राजनीति में भी मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों ने अपना अलग मुकाम बनाया है।
बासनी मुस्लिम बाहुल्य गांव है। जहां के लोगों ने पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को महाराष्ट्र और देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई तक अपनी मेहनत के बूते स्थापित किया है। इसके अलावा नागौर जिले के लोग बड़ी संख्या में खड़ी देशों सहित विश्व के अलग-अलग कोनों में अपनी मेहनत और प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। इनमें भी बड़ी तादाद मुस्लिम समुदाय के लोगों की है।


Conclusion:इन लोगों का मानना है कि यदि सरकार कुछ सकारात्मक उपाय करें तो इनके जीवन स्तर में सकारात्मक सुधार हो सकता है। मसलन, हैंडटूल उद्योग को नई दिशा देने के लिए नई कार्ययोजना की दरकार है। इसके साथ ही इससे जुड़ी एक आईटीआई खोलने की मांग लंबे समय से की जा रही है।
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बाईट 01- मेहराज उस्मानी, शहर काजी, नागौर।
बाईट 02- शहाबुद्दीन खान, बिजनेसमैन, नागौर।
बाईट 03- गुलाम हुसैन, पूर्व पार्षद, नागौर।
बाईट 04- अब्दुल मजीद, दुकानदार, नागौर।
Last Updated : Dec 18, 2019, 8:03 PM IST
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