नागौर. जिले में मकराना और डीडवाना शहर सहित बासनी, कुम्हारी, शेरानी आबाद, दुकोसी सहित कई ऐसे गांव, कस्बे और शहर हैं, जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है. नागौर की मिट्टी में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग आपसी सौहार्द्र और सद्भाव के साथ एक साथ रहते हुए समाज और देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं.
कौमी एकता की मिसाल हमीदुद्दीन नागौरी दरगाह
नागौर शहर में सूफी परंपरा के संत हजरत हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह है. जहां प्रदेश ही नहीं देशभर से अकीदतमंद आते हैं. ना केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि हिंदुओं की भी इस स्थान के प्रति आस्था है. रोल गांव में पीर पहाड़ी और दरगाह भी लोगों की आस्था का केंद्र है.
हैंड टूल उद्योग की देशभर में अपनी अलग पहचान
नागौर का हैंड टूल उद्योग देशभर में अपनी अलग पहचान रखता है. इस उद्योग को यहां स्थापित करने और आगे बढ़ाने में मुस्लिम समाज के लोगों का अहम योगदान है. इस उद्योग से जुड़े मजदूरों से लेकर व्यापारी तक अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं.
राजनीति में भी अपना अलग मुकाम
इसके अलावा राजनीति में भी मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों ने अपना अलग मुकाम बनाया है. यहां से मुस्लिम राजनेता ने सांसद और विधायकों की कुर्सी संभालकर क्षेत्र के विकास में भागीदारी निभाई है. यहां तक प्रदेश की सत्ता में भी काबिज रहते हुए ना केवल अपनी अलग पहचान बनाई है, बल्कि अल्पसंख्यकों के लिए विकास के कार्य भी किए हैं.
पशुपालन और डेयरी को दिया बढ़ावा
बासनी मुस्लिम बाहुल्य गांव है. जहां के लोगों ने पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को महाराष्ट्र और देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई तक अपनी मेहनत के बूते स्थापित किया है. इसके अलावा नागौर जिले के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी देशों सहित विश्व के अलग-अलग कोनों में अपनी मेहनत और प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. इनमें भी बड़ी तादाद मुस्लिम समुदाय के लोगों की है.
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इन लोगों का मानना है, कि यदि सरकार कुछ सकारात्मक उपाय करे तो इनके जीवन स्तर में सकारात्मक सुधार हो सकता है. मसलन, हैंड टूल उद्योग को नई दिशा देने के लिए नई कार्य योजना की दरकार है. इसके साथ ही इससे जुड़ी एक आईटीआई खोलने की मांग लंबे समय से की जा रही है.