नागौर. कोरोना काल में कई भामाशाहों ने जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं और कई लोग कोरोना वॉरियर्स का सम्मान और सहयोग भी कर रहे हैं, लेकिन नागौर के मुरली मनोहर टेलर लॉकडाउन के बीच जरूरतमंद लोगों और कोरोना वॉरियर्स ने एक छोटी सी पहल की. जो आज कई लोगों के लिए मिसाल बन गई है. खुद दिव्यांग मुरली मनोहर कोरोना वॉरियर्स और जरूरतमंद लोगों को दिन में 3 टाइम चाय पिला रहे हैं. वे अपनी स्कूटी पर हर दिन करीब 45 किमी का चक्कर लगाकर 500 कप चाय निशुल्क बांट रहे हैं.
मुरली मनोहर बताते हैं कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो बाकी दुकानों की तरह चाय के होटल और थड़ियां भी बंद हो गई. इसके चलते सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हुई जो कोरोना वॉरियर्स के रूप में शहर के अलग-अलग इलाकों में बनी चौकियों में सेवा दे रहे हैं. इसके साथ ही बेघर जरूरतमंद लोगों को भी चाय मिलनी बंद हो गई. तब उनके मन में चाय सेवा करने का विचार आया.
वहीं, लॉकडाउन के तीसरे दिन से उन्होंने चाय सेवा शुरू की जो अभी तक बदस्तूर जारी है. इसके लिए मुरली मनोहर अपनी स्कूटी पर एक पीपा (खाली टिन) रखते हैं. जिसमें रखे पांच-छह थर्मस में चाय भरकर निकल पड़ते हैं सेवा करने के लिए. चौकियों पर, गश्त में और अन्य स्थानों पर सेवा देने वाले कोरोना वॉरियर्स को गर्म चाय पिलाकर मुरली मनोहर को जैसे अलग ही सुकून मिलता है.
कोरोना वॉरियर्स और जरूरतमंद लोगों को चाय पिलाने के लिए मुरली मनोहर दिन में तीन बार करीब 15 किमी चक्कर लगाते हैं. इस तरह वे रोज करीब 45 किमी का सफर अपनी स्कूटी पर ही पूरा कर लेते हैं. उनका कहना है कि हर दिन 15-20 किलो दूध की चाय बनाकर वे पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से बांट रहे हैं. हर दिन तीन बार में करीब 500 कप चाय पिला देते हैं.
एक बार सुबह, एक बार दोपहर में और एक बार रात में वे कोरोना वॉरियर्स और अन्य जरूरतमंद लोगों को चाय देते हैं. मुरली मनोहर और उनके साथी दिव्यांग बच्चों के लिए नूतन प्रभात सेवा संस्थान के नाम से स्कूल चलाते हैं. अभी बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं तो इसी भवन का उपयोग वे अपने इस सेवा कार्य के लिए कर रहे हैं. इस भवन में उनके साथी चाय बनाकर तैयार करते हैं. इसके बाद इसे थर्मस में भरकर मुरली मनोहर और उनके साथी इन सभी थर्मस को एक खाली पीपे में स्कूटी पर रखकर निकल पड़ते हैं. इसके बाद शहर के अलग-अलग इलाकों में काम करने वाले कोरोना वॉरियर्स को और सड़क किनारे रहने वाले बेघर लोगों को वे चाय पिलाते हैं.
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मुरली मनोहर के साथी बताते हैं कि शुरुआती दौर में रोज इतना लंबा चक्कर लगाने के कारण उन्हें परेशानी भी हुई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातर सेवा में जुटे रहे. एक दिन जूतों के कारण स्कूटी चलाने में परेशानी हुई और छोटा सा हादसा हो गया तो उन्होंने जूते पहनना ही बंद कर दिया. अब वे अपनी स्कूटी पर बिना जूते-चप्पल के ही निकलते हैं. मुरली मनोहर और उनके एक साथी (उनका नाम भी मुरली है) दोनों दिन में तीन बार लोगों को चाय पिलाने निकलते हैं. जबकि चाय बनाने से लेकर बाकि अन्य काम उनके अन्य साथी स्कूल भवन में करते हैं. इसलिए मुरली मनोहर अलग ही कमरे में रह रहे हैं. उनका कहना है कि वे दिनभर में कई लोगों के संपर्क में आते हैं. इसलिए स्कूल भवन में बाकि लोगों के साथ नहीं रहते. ताकि यदि कोरोना संक्रमण जैसी कोई समस्या हो तो बाकि साथियों को अनावश्यक रूप से परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.
दिव्यांग मुरली मनोहर और उनके साथियों की तरफ से लॉकडाउन के बीच चाय सेवा जारी है और इसे वे तब तक जारी रखना चाहते हैं. जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते हैं. अपनी इस सेवा के बदौलत मुरली मनोहर कोरोना वॉरियर्स के साथ ही आमजन में भी अपनी अलग पहचान बना चुके हैं और अपने जज्बे के चलते वे दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा पुंज का काम भी कर रहे हैं.