कोटा. कोरोना महामारी के दौरान जहां पर पूरा देश मरीजों के लिए काम कर रहा है. वहीं कोटा के एक अस्पताल से सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जगह पानी के इंजेक्शन लगा दिए गए, जिसके चलते एक मरीज की मौत हो गई. वहीं दूसरे मरीज की स्थिति गंभीर बनी हुई है.
कोटा में रोड नंबर- 1 पर रहने वाली माया की 15 मई को झालावाड़ रोड स्थित कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट के श्रीजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई है. इसी मरीज को पानी के इंजेक्शन लगाए गए थे. उसके बेटे का कहना है, उसकी मां को इंजेक्शन लगाने से पहले उसे बाहर भेज दिया जाता था. बाद में इंजेक्शन लगा दिए जाते थे और साइन करवा लिया जाता था. उसके सामने इंजेक्शन नहीं लगाए गए हैं. उसका कहना है, पानी के इंजेक्शन लगाने के कारण की उसके मां की मौत हुई है.
अस्पताल और डॉक्टरों ने की है पूरी साजिश...
मृतका माया के बेटे पुनीत का कहना है, जिसने भी इंजेक्शन चुराया है. वह दोनों लड़कों का नाम आ गया है और यह सब डॉक्टर की गलती भी है. यह पूरी साजिश से पूरा अस्पताल मिला हुआ है. अभी भी हमें परेशान किया जा रहा है, डिस्चार्ज फाइल हमें नहीं दी जा रही है. इधर-उधर चक्कर कटवाए जा रहे हैं. मुझे सब पता है, अस्पताल से हमारी दवाइयां भी गायब हुई हैं. हमें अंदर भी नहीं जाने दिया और बोला कि इंजेक्शन लगा दिया है और रजिस्टर में हमसे साइन करवा लिए गए थे. साथ ही जो डिस्चार्ज फाइल होती है. उसमें यह रिकॉर्ड दिया जाता है कि क्या ट्रीटमेंट हुआ है, लेकिन कुछ भी ट्रीटमेंट नहीं मिला है. मेरी मां की तो मौत हो गई है. मेरा भाई भी दूसरे अस्पताल में भर्ती है. जहां पर उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.
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4 दिन में खर्च किए डेढ़ लाख...
पुलिस का कहना है, जब दो मरीजों के इंजेक्शन यहां से चोरी हो सकते हैं, तो अन्य भर्ती 200 मरीजों के भी हुए होंगे. पुनीत का कहना है, उनकी मां को 11 मई को भर्ती करवाया था और 15 मई को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई. इस दौरान करीब 1 से डेढ़ लाख रुपए का खर्चा उपचार में लगा है.
आईसीयू में गंभीर हालत में भर्ती, बोले हमारी जानकारी में नहीं आया...
जिस दूसरे मरीज रतनलाल को पानी का इंजेक्शन लगाया गया था, वह चित्तौड़गढ़ जिले के बिजौलिया तहसील के गणेशपुरा निवासी है. उनके बेटे भी चिकित्सक डॉ. एनएल धाकड़ हैं. उनका कहना है, करीब 12 दिन से कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट के श्रीजी अस्पताल में उनके पिता रतनलाल भर्ती हैं. हालात गंभीर बनी हुई है और वे आईसीयू में एडमिट है. हमारे सामने ही इंजेक्शन लगाने के बात की जाती थी. जब इंजेक्शन लगाया जा रहा था, तब उनका छोटा भाई मौजूद था, लेकिन इंजेक्शन कैसे नहीं लगाया. ये हमें अब जानकारी से ही पता चला है. ये 3,490 रुपए का इंजेक्शन खरीद कर लेकर आए थे. साथ ही अब तक करीब सवा दो लाख से ज्यादा रुपए का बिल उनका आ चुका है.
अस्पताल ने रिकॉर्ड में गलत नंबर किए दर्ज...
अस्पताल प्रबंधन इन मौतों को छुपाने के लिए जुटा हुआ है और उन्होंने मृतका के रिकॉर्ड में भी हेर-फेर कर दिया. जो मृतकों के परिजनों का नंबर है, उनको बदलाव उनमें कर दिया. साथ ही पुलिस को भी यही रिकॉर्ड दिया गया है. साथ ही जब ईटीवी भारत में अस्पताल प्रबंधन से इस मामले में बात करना चाहा तो प्रबंधन की तरफ से किसी भी तरह का कोई रिस्पांस नहीं आया है. हालांकि, उन्होंने इस कृत्य के लिए नर्सिंग कार्मिकों को ही दोषी माना है.