कोटा. न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, केंद्र सरकार के एमएसएमई डेवलपमेंट एंड फैसिलिटेशन मंत्रालय, एनएसआइसी जयपुर ने चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा में शुक्रवार को वेंडर डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया. इसमें शामिल होने पहुंचे राजस्थान एटॉमिक पावर स्टेशन के साइट डायरेक्टर नरेंद्र कुमार पुष्पकार ने कहा कि थर्मल पावर प्लांट्स को भले ही कोयले की कमी का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन यूरेनियम ईंधन की देश में कोई कमी नहीं है. यूरेनियम से बिजली उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है. इसे और बढ़ाने के लिए देशभर में कई प्रोजेक्ट्स चल रहे (uranium fuel for nuclear power plants) हैं.
मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि कोयले की कमी की समस्या थर्मल पावर प्लांट के सामने आ रही है. वहीं यूरेनियम ईंधन की कोई कमी नहीं है. यूरेनियम से बिजली उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है. इसे बढ़ाने के लिए कई प्रोजेक्ट देशभर में चल रहे हैं. उन्होंने कहां कि सौर ऊर्जा की अपनी सीमाएं हैं. दिन-रात और सीजन का फर्क इसमें पड़ता है, लेकिन देश में एक सतत ऊर्जा का स्रोत चाहिए. यह न्यूक्लियर पावर का एक महत्वपूर्ण योगदान है. यह बढ़ता ही जाएगा.
फ्लीट मोड पर 10 रिएक्टर के लिए एडवांस आर्डर दिए जाते हैं. यह लॉन्ग डिलीवरी ऑर्डर होते हैं. अभी हमारे देश में 21 प्लांट ऑपरेशनल हैं , जहां करीब 6000 मेगावाट बिजली बन रही है. रावतभाटा की बात की जाए तो, 700 मेगावाट की सांतवी यूनिट अगले साल चालू हो जाएगी. वहीं दूसरी 700 मेगावाट की आठवीं यूनिट 2024 में चालू होने की उम्मीद है. पूरे देश भर में हमारी इकाइयां लगातार बढ़ रही हैं. रावतभाटा में भी अभी 1100 मेगावाट के आसपास उत्पादन हो रहा है. यह अगले 2 से 3 साल में बढ़कर 2500 मेगावाट हो जाएगा.
आत्मनिर्भर पॉलिसी को करेंगे लागू: एमएसएमई सेक्टर से खरीद बढ़ाने को लेकर आयोजित हुई इस मीट में पुष्पकार ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत केंद्र सरकार की स्कीम है. जिसे हमारे यहां पूरी तरह से लागू किया जा रहा है. हम प्लांट में उपयोग आने वाली सामग्री की खरीद के लिए इस स्कीम का पूरा ध्यान रख रहे हैं. केंद्र सरकार ने गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (जेम) पोर्टल से खरीद के निर्देश दिए हैं. जिस पर हमारी पूरी निगरानी है.
पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में एनपीसीआईएल ने 175 करोड़ की खरीद की है. इसमें से 40 फ़ीसदी जेम पोर्टल के जरिए की गई है, जिसे हम आगे आने वाले वित्तीय वर्षों में बढ़ाकर 50 से 60 फीसदी करने वाले हैं. हम चाहते हैं कि हमारे आसपास की इंडस्ट्री ही हमें प्रोडक्ट और सर्विस की सप्लाई दे. इस कार्यक्रम में भारत सरकार के एमएसएमई डेवलपमेंट एंड फैसिलिटेशन मंत्रालय के सहायक निदेशक संजय मीणा, एनएसआइसी जयपुर के ब्रांच मैनेजर डीडी माहेश्वरी, एसएसआई कोटा के अध्यक्ष अमित सिंघल सहित कई लोग मौजूद रहे.
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आरपीपी रावतभाटा में कॉन्ट्रैक्ट एंड मैटेरियल मैनेजमेंट के जनरल मैनेजर के बी निवासन का कहना है कि जीडीपी में 50 से 60 फीसदी योगदान एमएसएमई का है. ऐसे में हमारे विकास के लिए इसकी ग्रोथ की जरूरत है. आत्मनिर्भर भारत के तहत हमारी प्रोक्योरमेंट पॉलिसी में बदलाव किया गया है. एमएसएमई के लिए 358 रिजर्व आइटम्स हैं. इनकी पूरी खरीद एमएसएमई सेक्टर से लोकल लेवल पर होनी है. उपलब्ध नहीं होने पर ही विदेश या बाहर से खरीदी जाती है. हमारी यही मंशा है कि लोकल स्तर पर ही इन प्रोडक्टों का निर्माण हो और अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट्स हमें मिले. हमने वित्तीय वर्ष 2021-22 में 60 से 65 फीसदी ऑर्डर एमएसएमई को दिए हैं. राशि के अनुसार माना जाए तो 175 करोड़ की कुल खरीद में से 40 फीसदी के आसपास 65 से 75 करोड़ की खरीद एमएसएमई से हुई है.
कोटा से हो सकती है 25 फ़ीसदी सप्लाई एनपीसीआईएल में: कार्यक्रम में स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन कोटा के संरक्षक गोविंदराम मित्तल ने कहा कि रिपेयरिंग, सर्विस, वर्कशॉप सेक्टर व केमिकल इंडस्ट्री कोटा में लगी हुई है. जहां बन रहे प्रोडक्ट से करीब 25 फीसदी सप्लाई एनपीसीआईएल में हो सकती है. एनपीसीआईएल ने बताया है कि माइक्रो, स्मॉल व मीडियम इंडस्ट्री से क्या-क्या प्रोडक्ट खरीदे जा रहे हैं. हमने भी यह समझा है कि हम कौनसे प्रोडक्ट यहां सप्लाई कर सकते हैं. भारत सरकार के निर्देश पर सभी बड़ी कंपनियां जेम पोर्टल के जरिए खरीद कर रही हैं. इसमें हम यह जानकारी जुटा सकते हैं कि किस तरह से प्रोडक्ट को सप्लाई कर सकते हैं. साथ ही गोविंदराम मित्तल ने कहा कि देश में अगर कोई कॉम्पिटेटिव दर पर माल भेज सकता है, तो वह एमएसएमई सेक्टर ही है. यह बड़े कंपनियों से भी अच्छे दाम पर माल दे सकता है, जिससे बड़ी कंपनियों और एमएसएमई सेक्टर को भी बल मिलेगा.