कोटा. प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल कोटा के दौरे (UDH Minister Shanti Dhariwal On Kota Visit) पर हैं. आज में कोटा शहर में स्मार्ट सिटी और नगर विकास न्यास की तरफ से करवाए जा रहे करोड़ों रुपए के विकास कार्यों (Kota city development projects) का निरीक्षण करने पहुंचे हैं. इस दौरान वे हमेशा की तरह कार्य की धीमी गति से नाराज दिखे.
10-10 लाख रुपए का लगाया जुर्माना : मंत्री शांति धारीवाल ने संवेदक पर तीखी टिप्पणी की और डांट फटकार लगाते हुए यूआईटी व स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि तीन संवेदक पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना लगाए. उन्होने इस दौरान कहा कि पिछली बार मैंने निरीक्षण किया था, तब निर्माण की गति धीमी ही थी. उसके एक महीने बाद भी काम की गति वैसी ही है और ज्यादा काम भी इस 1 महीने में नहीं (Slow Pace Of Development In kota) हो पाया है. अगर इस तरह से ठेकेदारों पर अधिकारी मेहरबान रहेंगे, तो काम समय से पूरा नहीं होगा. ऐसे में उन्होने संवेदक को भी लताड़ लगाई.
आम जनता को परेशानी : मंत्री धारीवाल ने कहा कि रास्ते ठीक नहीं हो पा रहे हैं और निर्माण कार्य पहले से ही धीमी गति से चल रहा है. ऐसे में आम जनता को परेशानी हो रही है. इसका खामियाजा ठेकेदार को भुगतना होगा, जुर्माना लगाने से ही यह सही समय पर काम करेंगे. इसी तरह से रिवरफ्रंट के ठेकेदार को भी उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि 1 मार्च तक पूरा काम नहीं हुआ, तो वह 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा देंगे. वर्तमान निर्माण को देखते हुए ऐसा लगता है कि मार्च माह के अंत तक यह निर्माण पूरा नहीं होगा. ऐसे में इस संवेदक पर अगर यूडीएच मंत्री के निर्देश की पालना होती है, तो एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगना तय है.
क्यों नहीं बढ़ा रहे लेबर जताई आपत्ति : ठेकेदारों पर नाराजगी जताते हुए धारीवाल ने कहा कि हमें मार्च तक रिवरफ्रंट का पूरा काम चाहिए, लेकिन हालात ऐसे नहीं दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई बार हमने आपसे लेबर बढ़ाने के लिए कहा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. साथ ही मिट्टी डालने के काम में भी कोई गति नहीं आई है. अगर इसी तरह से काम चलता रहा तो यह काम समय से पूरा नहीं होगा. उन्होंने यहां तक कह दिया कि ठेकेदार काम तो ले लेते हैं, लेकिन करना नहीं चाहते हैं.
इसके बाद यूआईटी सचिव राजेश जोशी को उन्होंने जुर्माना लगाने के लिए तारीख नोट करने को कहा. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सुबह 9:00 बजे से अदालत चौराहे से अपना निरीक्षण का क्रम शुरू किया. जिसके बाद उन्होंने एरोड्रम अंडरपास, घोड़े वाले बाबा तिराहा, इंदिरा गांधी चौराहा, विवेकानंद सर्किल और चंबल रिवर फ्रंट का जायजा लिया है. निरीक्षण के दौरान उनके साथ कलेक्टर उज्जवल राठौड़, यूआईटी सचिव राजेश जोशी, स्मार्ट सिटी के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर राजेंद्र राठौर सहित कई अधिकारी मौजूद रहे.
आम जनता और व्यापारीयों को हो रही परेशानी : शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य (Kota city development projects) करवाए जा रहे हैं, लेकिन विकास की धीमी गति और डायवर्जन (Slow Pace Of Development In kota) के चलते व्यापारियों पर इसकी भारी मार पड़ रही है. ऐसे कई बाजारों हैं, जहां पर बिजनेस 30 फीसदी ही रह गया है. ऐसे में व्यापारी इस विकास को ही कोसने लग गए हैं. विकास कार्यों के चलते रास्ते बंद हैं, ना तो व्यापारियों तक ग्राहक पहुंच रहे हैं, ना ही उनकी दुकानों में बेचने के लिए सामानों की सप्लाई हो पा रही है. धूल का गुबार उड़ने से प्रदूषण के हालात (Pollution Issue In Kota Markets) है. जिससे भी ग्राहक इन बाजारों में जाने से कतराने लगे हैं. यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति वहां पर खरीदारी करने भी आता है तो रास्ता अभी संकरा हो रहा है. ऐसे में पुलिसकर्मी उसके वाहन को भी रुकने नहीं देते हैं. जिससे भी व्यापार को नुकसान हो रहा है.