ETV Bharat / city

SPECIAL : कोरोना पर रिसर्च, चौंकाने वाला नतीजा...रिकवर हुए 30% मरीजों के फेफड़े हुए कमजोर

कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग ने कोविड-19 से संक्रमित हुए मरीजों पर एक रिसर्च की है. जिसमें सामने आया है कि करीब 30% मरीजों के फेफड़े और श्वसन नली में बदलाव हो गया है. जिससे उन्हें अन्य कई बीमारियों का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में 50 फीसदी तक ज्यादा बना हुआ है.

कोरोना पर रिसर्च, चौंकाने वाला नतीजा
author img

By

Published : Mar 22, 2021, 7:19 PM IST

Updated : Mar 22, 2021, 7:43 PM IST

कोटा. कोरोना ने विश्व की पूरी अर्थव्यवस्था को हिला दिया है. यहां तक की सैकड़ों लोगों की जान भी ले चुका है. करोड़ों की संख्या में इससे रिकवर लोग भी हैं. लेकिन उनको भी कई तरह के जख्म यह कोरोना देकर गया है. देखिये यह रिपोर्ट...

कोटा में चौंकाने वाली रिसर्च

कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग ने एक रिसर्च कोविड-19 से संक्रमित हुए मरीजों पर की है. जिसमें सामने आया है कि करीब 30% मरीजों के फेफड़े और श्वांस नली में बदलाव हो गया है. जिससे उन्हें अन्य कई बीमारियों का खतरा सामान्य लोगों से 50 फीसदी ज्यादा बना हुआ है. ये वे मरीज हैं जिन्हें कोविड-19 से रिकवर हुए 4 से 5 महीने हो चुके थे.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
166 लोगों पर किया गया रिसर्च

ऐसे में साफ है कि कोरोना इन मरीजों को लंबा दर्द देकर गया है. कोटा मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ. मनोज सलूजा ने बताया कि उनके निर्देशन में थर्ड ईयर रेजीडेंट डॉ दिलीप मीणा और डॉ गौरव भार्गव ने इस शोध को किया है.

फेफड़े में ऑक्सीजन भरने की क्षमता कम हुई

मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनोज सलूजा ने बताया कि शोध में सामने आया है कि करीब 23% यानि 37 मरीजों के फेफड़ों की कूपिकाओं में सिकुड़न देखने को मिली है. जहां पर एक्सचेंज होता है. यहां पर फाइब्रोसिस भी देखने को मिला है. इनकी ऑक्सीजन भरने की क्षमता कम हो गई है. दूसरी तरफ श्वांस नली में अवरोध पैदा हो गए हैं. इसके चलते कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बाहर निकालने में समस्या आती है. यह सब कोरोना के कारण ही हुआ है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
कोटा मेडिकल कॉलेज में किया गया रिसर्च

पढ़ें- कोरोना से होली के रंग फीके, न चंग की थाप-न फाग के गीत...दुकानदार भी बेहाल

डॉ सलूजा ने बताया कि जिस तरह से बुजुर्ग या ज्यादा उम्र के लोगों में बदलाव फेफड़े और श्वांस नली में आए हैं, उतने ही बदलाव युवाओं में भी देखने को मिले हैं. कम उम्र के लोगों में भी यह देखने को मिला है. जबकि फेफड़े की क्षमता ज्यादा उम्र के लोगों की प्रभावित रहती है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
30 प्रतिशत मरीजों के अंग हुए प्रभावित

कोरोना से स्वस्थ होने के 4 माह बाद लिए नमूने

इस शोध के लिए सभी तरह के मरीज लिए गए हैं. जिनको गंभीर बीमारी थी वह भी हैं. साथ ही नॉर्मल बीमारी वाले मरीज के लिए गए हैं. ऐसे में सभी में सामान्यतया एक जैसे ही रिजल्ट सामने आए हैं. इनमें होम आइसोलेशन में रहने वाले और अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी तरह के मरीज थे. साथ ही उनके नमूने कॉविड 19 से स्वस्थ होने के 4 से 5 महीने बाद लिए हैं. तभी इनके फेफड़े और श्वसन नली में अंतर सामने आया है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के फेफड़ों, सांस नली पर पड़ा असर

इस पूरी रिसर्च में 166 मरीजों को चुना गया. जिनमें 109 पुरुष और 57 महिलाएं हैं साथ में कुल मरीज 21 से लेकर 80 साल तक की उम्र के थे.

6 मिनट की वॉक में फेल मरीजों के नहीं लिए नमूने

डॉ दिलीप मीणा ने बताया कि इस शोध के लिए जो मरीज चुने गए थे. पहले उनका 6 मिनट का वॉक करवाया गया. लेकिन इसमें फेल होने वाले मरीजों को शोध में शामिल नहीं किया गया. जो लोग सामान्य वॉक को पूरा कर पाए. उनका पलमोनरी फंक्शन टेस्ट किया गया. साथ ही ऐसे किसी भी मरीज को नहीं लिया गया जिसको पहले से हार्ट या फेफड़े को प्रभावित कर देने वाली कोई भी बीमारी है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
रिसर्च में आए चौंकाने वाले नतीजे

पढ़ें- नाइट कर्फ्यू के बाद अब और सख्त कदम उठाने की तैयारी में सरकार, CM गहलोत ने दिये ​संकेत

इस तरह के मरीजों को भी सैंपल से बाहर रखा गया है, जो कि स्मोकिंग करते हैं. साथ ही पूरी जिन मरीजों का पलमोनरी फंक्शन टेस्ट हुआ है उसमें भी कोविड-19 गाइडलाइन के तहत सतर्कता रखते हुए ही करवाया गया है.

जिनको नहीं हुआ कोरोना वे मिले नॉर्मल

डॉ गौरव भार्गव ने बताया कि इस शोध के परिणाम को सामान्य लोगों से तुलना करने के लिए 20 सामान्य लोगों के भी इस तरह से टेस्ट लिए गए और उन पर भी डाटा तैयार किया गया. जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था वे लोग पूरी तरह सामान्य मिले. ऐसे लोगों के फेफड़ों की कूपिकाओं में संकुचन नहीं था. साथ ही श्वांसनली में भी अवरोध नहीं थे. इस रिसर्च पेपर को प्रकाशित के करवाया जाएगा.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
कोरोना से ठीक हुए मरीजों पर रिसर्च

यह हो रही है मरीजों को दिक्कत

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
यह हो रही है मरीजों को दिक्कत

ऐसे मरीज ये ध्यान रखें

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
ऐसे मरीज ये ध्यान रखें

मेल-फीमेल मरीजों पर पड़ा असर

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
मेल-फीमेल मरीजों पर पड़ा असर

इस आयु-वर्ग के मरीजों में पड़ा असर

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
इस आयु-वर्ग के मरीजों में पड़ा असर

कोटा. कोरोना ने विश्व की पूरी अर्थव्यवस्था को हिला दिया है. यहां तक की सैकड़ों लोगों की जान भी ले चुका है. करोड़ों की संख्या में इससे रिकवर लोग भी हैं. लेकिन उनको भी कई तरह के जख्म यह कोरोना देकर गया है. देखिये यह रिपोर्ट...

कोटा में चौंकाने वाली रिसर्च

कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग ने एक रिसर्च कोविड-19 से संक्रमित हुए मरीजों पर की है. जिसमें सामने आया है कि करीब 30% मरीजों के फेफड़े और श्वांस नली में बदलाव हो गया है. जिससे उन्हें अन्य कई बीमारियों का खतरा सामान्य लोगों से 50 फीसदी ज्यादा बना हुआ है. ये वे मरीज हैं जिन्हें कोविड-19 से रिकवर हुए 4 से 5 महीने हो चुके थे.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
166 लोगों पर किया गया रिसर्च

ऐसे में साफ है कि कोरोना इन मरीजों को लंबा दर्द देकर गया है. कोटा मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ. मनोज सलूजा ने बताया कि उनके निर्देशन में थर्ड ईयर रेजीडेंट डॉ दिलीप मीणा और डॉ गौरव भार्गव ने इस शोध को किया है.

फेफड़े में ऑक्सीजन भरने की क्षमता कम हुई

मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनोज सलूजा ने बताया कि शोध में सामने आया है कि करीब 23% यानि 37 मरीजों के फेफड़ों की कूपिकाओं में सिकुड़न देखने को मिली है. जहां पर एक्सचेंज होता है. यहां पर फाइब्रोसिस भी देखने को मिला है. इनकी ऑक्सीजन भरने की क्षमता कम हो गई है. दूसरी तरफ श्वांस नली में अवरोध पैदा हो गए हैं. इसके चलते कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बाहर निकालने में समस्या आती है. यह सब कोरोना के कारण ही हुआ है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
कोटा मेडिकल कॉलेज में किया गया रिसर्च

पढ़ें- कोरोना से होली के रंग फीके, न चंग की थाप-न फाग के गीत...दुकानदार भी बेहाल

डॉ सलूजा ने बताया कि जिस तरह से बुजुर्ग या ज्यादा उम्र के लोगों में बदलाव फेफड़े और श्वांस नली में आए हैं, उतने ही बदलाव युवाओं में भी देखने को मिले हैं. कम उम्र के लोगों में भी यह देखने को मिला है. जबकि फेफड़े की क्षमता ज्यादा उम्र के लोगों की प्रभावित रहती है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
30 प्रतिशत मरीजों के अंग हुए प्रभावित

कोरोना से स्वस्थ होने के 4 माह बाद लिए नमूने

इस शोध के लिए सभी तरह के मरीज लिए गए हैं. जिनको गंभीर बीमारी थी वह भी हैं. साथ ही नॉर्मल बीमारी वाले मरीज के लिए गए हैं. ऐसे में सभी में सामान्यतया एक जैसे ही रिजल्ट सामने आए हैं. इनमें होम आइसोलेशन में रहने वाले और अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी तरह के मरीज थे. साथ ही उनके नमूने कॉविड 19 से स्वस्थ होने के 4 से 5 महीने बाद लिए हैं. तभी इनके फेफड़े और श्वसन नली में अंतर सामने आया है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के फेफड़ों, सांस नली पर पड़ा असर

इस पूरी रिसर्च में 166 मरीजों को चुना गया. जिनमें 109 पुरुष और 57 महिलाएं हैं साथ में कुल मरीज 21 से लेकर 80 साल तक की उम्र के थे.

6 मिनट की वॉक में फेल मरीजों के नहीं लिए नमूने

डॉ दिलीप मीणा ने बताया कि इस शोध के लिए जो मरीज चुने गए थे. पहले उनका 6 मिनट का वॉक करवाया गया. लेकिन इसमें फेल होने वाले मरीजों को शोध में शामिल नहीं किया गया. जो लोग सामान्य वॉक को पूरा कर पाए. उनका पलमोनरी फंक्शन टेस्ट किया गया. साथ ही ऐसे किसी भी मरीज को नहीं लिया गया जिसको पहले से हार्ट या फेफड़े को प्रभावित कर देने वाली कोई भी बीमारी है.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
रिसर्च में आए चौंकाने वाले नतीजे

पढ़ें- नाइट कर्फ्यू के बाद अब और सख्त कदम उठाने की तैयारी में सरकार, CM गहलोत ने दिये ​संकेत

इस तरह के मरीजों को भी सैंपल से बाहर रखा गया है, जो कि स्मोकिंग करते हैं. साथ ही पूरी जिन मरीजों का पलमोनरी फंक्शन टेस्ट हुआ है उसमें भी कोविड-19 गाइडलाइन के तहत सतर्कता रखते हुए ही करवाया गया है.

जिनको नहीं हुआ कोरोना वे मिले नॉर्मल

डॉ गौरव भार्गव ने बताया कि इस शोध के परिणाम को सामान्य लोगों से तुलना करने के लिए 20 सामान्य लोगों के भी इस तरह से टेस्ट लिए गए और उन पर भी डाटा तैयार किया गया. जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था वे लोग पूरी तरह सामान्य मिले. ऐसे लोगों के फेफड़ों की कूपिकाओं में संकुचन नहीं था. साथ ही श्वांसनली में भी अवरोध नहीं थे. इस रिसर्च पेपर को प्रकाशित के करवाया जाएगा.

Covid-19 Infected Patient Research Kota,  Latest Kota news,  Covid-19 Kota news
कोरोना से ठीक हुए मरीजों पर रिसर्च

यह हो रही है मरीजों को दिक्कत

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
यह हो रही है मरीजों को दिक्कत

ऐसे मरीज ये ध्यान रखें

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
ऐसे मरीज ये ध्यान रखें

मेल-फीमेल मरीजों पर पड़ा असर

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
मेल-फीमेल मरीजों पर पड़ा असर

इस आयु-वर्ग के मरीजों में पड़ा असर

Latest Kota news,  Covid-19 Kota news,  Corona Research Results
इस आयु-वर्ग के मरीजों में पड़ा असर
Last Updated : Mar 22, 2021, 7:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.