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कोटा: प्रो. जयंत विजयवर्गीय ने चंद्रयान-2 से जुड़ी बताई ये खास बातें

कोटा गवर्नमेंट कॉलेज में फिजिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने चंद्रयान-2 से जुड़ी हुई कई अहम बातों पर चर्चा की, साथ ही चंद्रयान-2 को इसरो का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है.

कोटा: प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने चंद्रयान-2 से जुड़ी बताई ये खास बातें
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Published : Jul 14, 2019, 1:24 PM IST

कोटा. गवर्नमेंट कॉलेज में फिजिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने चंद्रयान-2 की खास चीजों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जब हम अपने रिसोर्सेज को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं, हम कोशिश करते हैं कि हम ऐसी जगह पर जाए, जहां पर नई चीजें मिल सके. इसी तरह से इसरो का चंद्रयान-2 अभियान है. जिसका लक्ष्य अल्टीमेटली है कि ये मानवता के यह काम आए.

कोटा: प्रो. जयंत विजयवर्गीय ने चंद्रयान-2 से जुड़ी बताई ये खास बातें

प्रोफेसर कहते हैं कि हमारी धरती पर कई समस्याएं हैं. जिनके समाधान के लिए हमें आउटर स्पेस पर जाना होगा. यह सबसे बड़ी परेशानी धरती पर है. इसी के मद्देनजर इंडियन सैटलाइट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने चंद्रयान-2 को लॉन्च करने का प्लान बनाया है. इस बार चंद्रयान-2 की खासियत यह है कि यह वहां पर चक्कर ही नहीं लगाएगा. यह वहां पर लैंड भी करेगा और 1 साल वहां रुकेगा भी.

एसोसिएट प्रोफेसर विजयवर्गीय ने कहा कि चंद्रयान-2 इसरो का यह बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसमें हम उस जगह पर लैंड करेंगे, जहां पर किसी भी देश ने आज तक लैंड नहीं किया है. वहीं भारत ने भी अभी तक चांद पर लैंडिंग नहीं किया है, चंद्रयान-2 के माध्यम से इसरो के वैज्ञानिक अपने डिवाइस के माध्यम से चंद्रमा पर जल की संभावना है या नहीं. वहां पर रॉक्स के सैंपल लेंगे. रॉक्स में क्या-क्या एलिमेंट है. वहां उनका एनालिसिस की जाएगी. इससे पता चल जाएगा कि वहां पर जो भी क्रस्ट उपलब्ध है, वह मानव के लिए किस प्रकार से उपयोगी है. यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कि भारत को संसार की पृष्ठभूमि पर एक बहुत बड़ा आयाम स्थापित करने के लिए बनाया गया है. जो निश्चित रूप से एक बड़ी सफलता रहेगी.

15 जुलाई को सुबह तड़के 2:51 पर लॉन्चिंग होगी और इसे पहुंचने में करीब डेढ़ माह का टाइम लगता है. पूरे 1 साल ये वहां पर रहेगा. इस बार यह चंद्रयान-2 वहां पर रुकेगा और एनालिसिस भी करेगा. इस एक तरह से मान लीजिए कि वहां पर एक लेबोरेटरी बनकर जाएगा. साथ ही वहां पर सैंपल्स का इन्वेस्टिगेशन करेगा और धरती पर उसके सिग्नल इसरो के साइंटिस्ट को भेजेगा. जयंत विजयवर्गीय कहते हैं कि हम इसके गोल और मिशन की बात करें तो यह पूरा सक्सेसफुल मिशन है. इसकी बहुत अच्छी प्लानिंग इसरो ने की है.

कोटा. गवर्नमेंट कॉलेज में फिजिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने चंद्रयान-2 की खास चीजों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जब हम अपने रिसोर्सेज को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं, हम कोशिश करते हैं कि हम ऐसी जगह पर जाए, जहां पर नई चीजें मिल सके. इसी तरह से इसरो का चंद्रयान-2 अभियान है. जिसका लक्ष्य अल्टीमेटली है कि ये मानवता के यह काम आए.

कोटा: प्रो. जयंत विजयवर्गीय ने चंद्रयान-2 से जुड़ी बताई ये खास बातें

प्रोफेसर कहते हैं कि हमारी धरती पर कई समस्याएं हैं. जिनके समाधान के लिए हमें आउटर स्पेस पर जाना होगा. यह सबसे बड़ी परेशानी धरती पर है. इसी के मद्देनजर इंडियन सैटलाइट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने चंद्रयान-2 को लॉन्च करने का प्लान बनाया है. इस बार चंद्रयान-2 की खासियत यह है कि यह वहां पर चक्कर ही नहीं लगाएगा. यह वहां पर लैंड भी करेगा और 1 साल वहां रुकेगा भी.

एसोसिएट प्रोफेसर विजयवर्गीय ने कहा कि चंद्रयान-2 इसरो का यह बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसमें हम उस जगह पर लैंड करेंगे, जहां पर किसी भी देश ने आज तक लैंड नहीं किया है. वहीं भारत ने भी अभी तक चांद पर लैंडिंग नहीं किया है, चंद्रयान-2 के माध्यम से इसरो के वैज्ञानिक अपने डिवाइस के माध्यम से चंद्रमा पर जल की संभावना है या नहीं. वहां पर रॉक्स के सैंपल लेंगे. रॉक्स में क्या-क्या एलिमेंट है. वहां उनका एनालिसिस की जाएगी. इससे पता चल जाएगा कि वहां पर जो भी क्रस्ट उपलब्ध है, वह मानव के लिए किस प्रकार से उपयोगी है. यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कि भारत को संसार की पृष्ठभूमि पर एक बहुत बड़ा आयाम स्थापित करने के लिए बनाया गया है. जो निश्चित रूप से एक बड़ी सफलता रहेगी.

15 जुलाई को सुबह तड़के 2:51 पर लॉन्चिंग होगी और इसे पहुंचने में करीब डेढ़ माह का टाइम लगता है. पूरे 1 साल ये वहां पर रहेगा. इस बार यह चंद्रयान-2 वहां पर रुकेगा और एनालिसिस भी करेगा. इस एक तरह से मान लीजिए कि वहां पर एक लेबोरेटरी बनकर जाएगा. साथ ही वहां पर सैंपल्स का इन्वेस्टिगेशन करेगा और धरती पर उसके सिग्नल इसरो के साइंटिस्ट को भेजेगा. जयंत विजयवर्गीय कहते हैं कि हम इसके गोल और मिशन की बात करें तो यह पूरा सक्सेसफुल मिशन है. इसकी बहुत अच्छी प्लानिंग इसरो ने की है.

Intro:कोटा गवर्नमेंट कॉलेज में फिजिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में चंद्रयान-2 के बारे में बताया कि जब हम अपने रिसोर्सेज को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं, हम कोशिश करते हैं कि हम ऐसी जगह पर जाए, जहां पर नई चीजें मिल सके. इसी तरह से इसरो का चंद्रयान-2 अभियान है. जिसका गोल अल्टीमेटली है कि ये मानवता के यह काम आए. हमारा मानव अपना जनजीवन को सुचारू रूप से चल सके.


Body:कोटा.
हमारी धरती पर कई समस्याएं हैं. जिनके समाधान के लिए हमें आउटर स्पेस पर जाना होगा. यह सबसे बड़ा इश्यू धरती पर है. इसी के मद्देनजर इंडियन सैटलाइट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने चंद्रयान-2 को लॉन्च करने का प्लान बनाया है. इस बार चंद्रयान-2 की खासियत यह है कि यह वहां पर चक्कर ही नहीं लगाएगा. यह वहां पर लैंड भी करेगा और 1 साल वहां रुकेगा भी. ऐसा कोटा गवर्नमेंट साइंस कॉलेज के भौतिक विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर जयंत विजयवर्गीय ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया है.
एसोसिएट प्रोफेसर विजयवर्गीय ने कहा कि चंद्रयान-2 इसरो का यह बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसमें हम उस जगह पर लैंड करेंगे, जहां पर किसी भी देश ने आज तक लैंड नहीं किया है.

वहीं भारत ने भी अभी तक चांद पर लैंडिंग नहीं किया है, चंद्रयान-2 के माध्यम से इसरो के वैज्ञानिक अपने डिवाइस के माध्यम से चंद्रमा पर जल की संभावना है या नहीं. वहां पर रॉक्स के सैंपल लेंगे. रॉक्स में क्या-क्या एलिमेंट है. वहां उनका एनालिसिस की जाएगी. इससे पता चल जाएगा कि वहां पर जो भी क्रस्ट उपलब्ध है, वह मानव के लिए किस प्रकार से उपयोगी है. यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कि भारत को संसार की पृष्ठभूमि पर एक बहुत बड़ा आयाम स्थापित करने के लिए बनाया गया है. जो निश्चित रूप से एक बड़ी सफलता रहेगी. इसकी 15 जुलाई को सुबह तड़के 2:51 पर लॉन्चिंग होगी और इसे पहुंचने में करीब डेढ़ माह का टाइम लगता है. पूरे 1 साल ये वहां पर रहेगा. इस बार यह चंद्रयान-2 वहां पर रुकेगा और एनालिसिस भी करेगा. इस एक तरह से मान लीजिए कि वहां पर एक लेबोरेटरी बनकर जाएगा. साथ ही वहां पर सैंपल्स का इन्वेस्टिगेशन करेगा और धरती पर उसके सिग्नल इसरो के साइंटिस्ट को भेजेगा.


Conclusion:हम इसके गोल और मिशन की बात करें तो यह पूरा सक्सेसफुल मिशन है. इसकी बहुत अच्छी प्लानिंग इसरो ने की है. जब हम अपने रिसोर्सेज को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं, हम कोशिश करते हैं कि हम ऐसी जगह पर जाए, जहां पर नई चीजें मिल सके और अल्टीमेटली हमारा गोल यही है कि मानवता के यह काम आए. हमारा मानव अपना जनजीवन को सुचारू रूप से चल सके.


बाइट-- जयंत विजयवर्गीय, एसोसिएट प्रोफेसर, फिजिक्स, गवर्नमेंट साइंस कॉलेज कोटा
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