कोटा. प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. अब खाने की थाली से प्याज दूर हो चुका है. शहर के कई रेस्टोरेंट ने प्याज के अलग से दाम वसूलना भी शुरू कर दिया है. ज्यादातर रेस्टोरेंट में जैन फूड की तर्ज पर खाना बनने लगा है. मेस चलाने वालों का भी कहना है, कि उन्होने भी सब्जी की ग्रेवी में प्याज डालना बंद कर दिया है. मावा, मूंगफली या दूध का इस्तेमाल कर ग्रेवी तैयार की जा रही है.
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नया प्याज नहीं आता सब्जी में उपयोग...
मेस संचालकों के मुताबिक नया प्याज थोड़ा सस्ता जरूर है, लेकिन उसका उपयोग सब्जियों में नहीं हो पाता है. प्याज 50 रुपए किलो तक महंगा हो तो मैनेज कर भी सकते हैं, लेकिन अब ये भी संभव नहीं. मेस संचालकों ने स्टूडेंट्स को लंच,डिनर में सलाद के साथ प्याज देना बंद कर दिया है. अब मूली, टमाटर और खीरा ही उन्हें दिया जा रहा है.
पहले फ्री, अब सलाद के भी ले रहे पैसे...
ढाबा संचालकों की मानें तो प्याज के महंगा होने से काफी फर्क पड़ा है. जो भी सब्जियां बना रहे हैं, वो महंगी पड़ रही है. ग्राहक के मांगने पर पहले फ्री में प्याज दे देते थे, लेकिन अब पैसे ले रहे हैं. इससे ग्राहकी पर भी फर्क पड़ रहा है.
नहीं बन पा रहा प्याज का पराठा...
रीको गेस्ट हाउस के पास में पराठे का ठेला लगाने वाले राजेश अग्रवाल का कहना है, कि प्याज पहले 20 रुपए किलो मिल रहा था. अब इसके दाम बढ़कर 80 से 90 रुपए किलो पहुंच गए हैं. लिहाजा अब प्याज का पराठा बनाना बंद कर दिया है. ग्राहक दूसरे तरह के पराठे में भी प्याज डालने कहते हैं, लेकिन दाम ज्यादा होने की वजह से वे इनकार कर देते हैं.
पहले 25 पैसे अब 2 रुपए का खर्चा...
पोहे का ठेला लगाने वाले योगेश का कहना है, कि ग्राहक को पोहे में प्याज डालना जरूरी होता है. ऐसे में अब प्याज की मात्रा कम कर टमाटर और मिर्च डालने लगे हैं. एक प्लेट पोहे में करीब 25 पैसे का भी प्याज नहीं डालते थे, लेकिन अब 2 रुपए का प्याज लग जाता है.