कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मुख्यालय जयपुर ने वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी कोटा (वीएमओयू) के कुलपति प्रोफेसर आरएल गोदारा पर अनियमितताओं के मामले में पीई (प्रिमिलियरी इंक्वायरी) दर्ज की है. जिसके आधार पर मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कोटा स्पेशल यूनिट के पुलिस उपाधीक्षक धर्मवीर सिंह को सौंपी गई (ACB investigation against VMOU Chancellor) है. हालांकि इसमें सामने आया है कि जिस परिवादी का नाम शिकायत में है, उसने ऐसी कोई शिकायत करने से ही इनकार कर दिया है. उसका कहना है कि किसी अन्य ने उसके नाम से यह शिकायत की है.
उप अधीक्षक धर्मवीर सिंह का कहना है कि इस मामले में कोटा निवासी परिवादी राहुल सिंह के नाम से राजभवन को एक परिवाद भेजा गया था. उसके बाद कुलपति कलराज मिश्र ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच करवाई थी. इसमें प्रथम दृष्टया कुछ तथ्य सामने आए थे. जिसमें विस्तृत जांच की बात सामने आई थी. इस संबंध में राजभवन ने होम सेक्रेटरी को जांच के लिए लिखा था. होम सेक्रेटरी ने इस जांच को एसीबी मुख्यालय को भेजा था. जिसके बाद इस मामले में प्राथमिक जांच शुरू की गई. इसमें कुल 5 बिंदुओं पर जांच की जानी है. इस प्राथमिक जांच के निष्कर्ष से तय होगा कि मुकदमा दर्ज होगा या नहीं.
परिवादी बोला-मैंने नहीं की शिकायत: धर्मवीर सिंह के अनुसार परिवादी राहुल सिंह के बयान ले लिए गए हैं. उन्होंने किसी भी तरह की कोई शिकायत करने से साफ इनकार कर दिया है. राहुल का कहना है कि वह वीएमओयू के वीसी प्रो. आरएल गोदारा को जानता भी नहीं है. साथ ही बताया कि उसने कभी कोटा वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी देखी ही नहीं है. राहुल का कहना है कि जो हस्ताक्षर शिकायत में है, वह उसके नहीं है. डिप्टी धर्मवीर का यह कहना है कि अब विश्वविद्यालय से जो भी डॉक्यूमेंट मंगवाए जा रहे हैं, उनकी जांच फैक्ट के आधार पर की जाएगी.
इन 5 मुद्दों पर होनी है जांच:
- केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात का मौलाना अब्दुल कलाम फाउंडेशन है. इसके तहत सीखो और कमाओ योजना में सवा 2 करोड़ रुपए की राशि वीएमओयू को जारी की गई थी. इसमें आरोप है कि जिस ट्रेनिंग के लिए राशि मिली थी, वह ट्रेनिंग नहीं देकर अपने स्तर पर ही कोई दूसरी ट्रेनिंग दे दी गई. योजना में मिला पैसा खत्म कर दिया गया. इसमें अनियमितता बरती गई है.
- ओपन यूनिवर्सिटी के रीजनल सेंटर पहले ऑफलाइन संचालित होते थे, लेकिन इन्हें ऑनलाइन कर दिया गया है. सभी के टेंडर अपने चहेतों को ही बांट दिए गए. ये सेंटर सभी संभागीय मुख्यालयों पर स्थित हैं. जिनमें जयपुर, भरतपुर, बीकानेर, अजमेर, उदयपुर व जोधपुर के केंद्र शामिल हैं.
- वाइस चांसलर प्रो. गोदारा ने अपने अधीनस्थ प्रो. बी अरुण कुमार को वरीयता का ध्यान नहीं रखते हुए अहम जिम्मेदारियां सौंप दीं.
- कुलपति को मिले हुए वाहन को वह कहीं भी ले जा सकते हैं, लेकिन कोविड-19 के दौरान भी गाड़ी चलाया पाया गया है. जब सबकुछ बंद था, तब भी गाड़ी हजारों किलोमीटर चली है. इसमें काफी अनियमितता हुई है.
- पांचवा बिंदु निर्माण से संबंधित था, जिसमें गड़बड़झाले की शिकायत की गई थी. लेकिन कमेटी ने भी इस संबंध में प्रमाणित नहीं माना है. अन्य सभी प्रकरणों को आंशिक प्रमाणित माना है और विस्तृत जांच की मांग की गई है.