कोटा. हाड़ौती संभाग बीते 2 दिन से बाढ़ के हालात से जूझ रहा है. हालांकि, मंगलवार को कोटा और बूंदी जिले के निवासियों को कुछ राहत जरूर मिली है. क्योंकि कोटा और बूंदी में बारिश नहीं हुई. जबकि बारां व झालावाड़ में बारिश का कहर लगातार जारी रहा. दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में हो रही बारिश के कारण हाड़ौती से गुजरने वाली छोटी और बड़ी एक दर्जन नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है. जिनके किनारे पर स्थित गांवों और बस्तियां डूब क्षेत्र बन गई हैं. सैकड़ों की संख्या में टापू बने गांव से लोगों का रेस्क्यू लगातार किया जा रहा है. लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. सैकड़ों की संख्या में लोगों को रेस्क्यू कर निकाला गया है. इस बचाव कार्य में सेना की मदद भी ली गई है. सेना के हेलिकॉप्टर के जरिए बारां जिले के छबड़ा इलाके में कई लोगों का रेस्क्यू किया गया है.
बैराज से बढ़ी निकासी के चलते कई लोग आश्रय लेने पर मजबूरः भारी बारिश से कोटा वासियों को आज (Kota Flood News) निजात मिली. सुबह 8:30 बजे से लेकर शाम 5:30 बजे तक बारिश नहीं हुई. लेकिन चंबल नदी से पानी छोड़े जाने के चलते खाई रोड, नयापुरा, गांवडी बालिता, नंदाजी की बाड़ी, खेड़ली फाटक व स्टेशन इलाके के कई इलाके जलमग्न हैं. यह बीते 2 दिनों के हालात थे और आज पानी की आवक और बढ़ गई. ऐसे में कई मकान पूरे डूब चुके हैं. खाई रोड के बाजारों में पानी भर गया है. इन सभी जगह पर पहले ही मुन्नादी नगर निगम ने की थी. जिसके बाद लोगों ने अपनी दुकानों से सामान भी ऊंचा उठा लिया था.
वहीं, कई घरों से लोगों का रेस्क्यू किया गया, लेकिन कुछ लोग अपने घरों को नहीं छोड़ना चाहते हैं. ऐसे में उनके खाने-पीने की भी समस्या आ गई. उनके परिजन ट्यूब या दूसरी मशक्कत करते हुए खाना-पीना पहुंचा रहे हैं. प्रशासन पर आरोप भी लगा रहे हैं कि प्रशासन ने व्यवस्था नहीं की है. इसी मसले को लेकर जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने बैठक भी ली थी. उसमें सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ सहित बचाव और राहत कार्य में जुटने वाली संस्थाएं शामिल रही हैं. साथ ही नगर निगम को निर्देशित किया है कि डूब क्षेत्र में लगातार मुनादी कराकर लोगों को बाहर निकालने का प्रयास किया जाए. कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ की बात की जाए तो करीब 5000 लोगों की आज निकासी रेस्क्यू के जरिए की गई है. कोटा के रघुनाथपुरा गांव से ही 400 लोगों को निकाला गया है. इसके अलावा इटावा, सांगोद, छबड़ा, बूंदी व झालावाड़ और कोटा शहर से अधिकांश रेस्क्यू किए गए हैं.
खाली किया गया रोडवेज बस स्टैंड, कई इलाकों की बिजली की बंदः जिला प्रशासन ने 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने की जानकारी दी थी. जिसके बाद रोडवेज बस स्टैंड को भी खाली किया गया है. दुकानदारों ने अपने सामान ऊंचे उठा लिए हैं. इसके अलावा रोडवेज बस स्टैंड के कंप्यूटर से लेकर सभी बुकिंग और अन्य फाइलों को भी पहली मंजिल पर शिफ्ट कर दिया गया है. रोडवेज बसों का संचालन नयापुरा से बंद कर दिया और बसों को भी वहां से हटा लिया है. यह संचालन नए बस स्टैंड संजय नगर से किया जाएगा और नयापुरा चौराहे पर ही बसों को भेजा जाएगा.
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नयापुरा बस स्टैंड के प्रभारी नासिर अली का कहना है कि प्रशासन के अलर्ट के बाद ही (People Trapped in Hadoti Flood) उन्होंने इसे खाली करवाया है. बीते 2019 में अचानक से जब चंबल नदी से पानी छोड़ा गया था, तब रोडवेज बस स्टैंड में सभी फाइलें और कंप्यूटर बंद हो गए थे. पूरा रोडवेज बस स्टैंड डूब जाने के चलते वहां के व्यापारियों को भी नुकसान हुआ था. दूसरी तरफ कोटा शहर के डूब क्षेत्र के इलाकों में बिजली सप्लाई भी बंद कर दी गई है. क्योंकि घरों में करंट फैलने का खतरा बन गया. ऐसे में जिन इलाकों में पानी नहीं भरा है, लेकिन वहां की बिजली सप्लाई बाढ़ ग्रसित इलाकों के साथ ही जुड़ी हुई है वहां भी बिजली बंद हो गई.
लगातार जारी रहेगी पानी की निकासीः राणा प्रताप सागर बांध के सहायक अभियंता हरीश तिवाड़ी का कहना है कि वे करीब 500000 क्यूसेक के आसपास निकासी कर रहे हैं. दूसरी तरफ गांधी सागर बांध से भी साढ़े 4 लाख के आसपास निकासी हो रही है. वहां का लेवल 1309 से ऊपर चला गया है, जिसे 1306 पर मेंटेन करना था. जिसके चलते गांधी सागर बांध से लगातार पानी डिस्चार्ज किया जाएगा. ऐसे में उसके बाद में राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज से भी (Water Withdrawal from Kota Barrage) निकासी होगी यह निकासी अगले 2 से 3 दिन जारी रहेगी. कोटा बैराज से भी 18 गेट खोल कर 51,0000 क्यूसेक पानी निकाला जा रहा है.
रिवरफ्रंट के ठेकेदारों को हुआ करोड़ों का नुकसानः चंबल से छोड़े गए पानी के चलते रिवर फ्रंट ठेकेदारों को भी भारी नुकसान हुआ है. निर्माण कर रही एजेंसियों की निर्माण सामग्री बह गई है. नयापुरा इलाके में बावड़ी का निर्माण कर रही यूनिक कॉन्टैक्ट फर्म के करीब 4000 सीमेंट के कट्टे बारिश में बह गए हैं. इसके अलावा कंक्रीट का प्लांट और उसके लगाए गए पैनल बॉक्स भी चंबल से छोड़े गए पानी के साथ ही बह गए हैं. इन ठेकेदार का करीब 50 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है. इसी तरह से बैराज के डाउनस्ट्रीम में बन रहे मुगल गार्डन में भी पानी चला गया है. जिससे वहां भी निर्माण को नुकसान पहुंचा है. वहीं, कई जगह पर रिवरफ्रंट को भी इससे नुकसान हुआ है. इसके अलावा कई निर्माण साइटों पर खड़ी हुई भारी मशीनरी भी पानी की जद में आ गई. ऐसे में वह भी खराब हो गई है.
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लापरवाही भी कर रहे हैं लोगः कोटा शहर एसपी केसर सिंह शेखावत ने आरएसी और कमांडो के अलावा (Army Help in Rajasthan) अन्य कई पुलिस टीम को भी चंबल नदी के किनारों पर तैनात किया है. इसके बावजूद भी कई जगह पर लोग लापरवाही कर रहे हैं. वे जानबूझकर चंबल नदी के नजदीक जा रहे हैं और वहां पर अठखेलियां कर रहे हैं. ऐसे में यह जानलेवा अठखेलियां भारी पड़ सकती है. उन्होंने बताया कि ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं. जिनमें लोग पानी में उतरते नजर आए और वहां पर फोटो सेशन भी कर रहे.
कालीसिंध पुलिया की एप्रोच रोड की रिटेनिंग वॉल : नेशनल हाईवे 27 में कोटा से बारां के बीच स्थित कालीसिंध पुलिया की एप्रोच की रिटेनिंग वॉल क्षतिग्रस्त हो गई है. इसके चलते यातायात एक ही लेन से निकाला जा रहा है. यह कोटा जिले की सीमा पर कालीसिंध नदी के किनारे पर ही हुई है. इसकी सूचना पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी टीम को मौके पर भेजा था, जहां पर जायजा लेकर आवागमन को बंद करवाया है. उनका कहना है कि एप्रोच रोड की फाउंडेशन क्षतिग्रस्त बारिश के चलते हो गई है. ऐसे में एकतरफा यातायात निकाला जा रहा है. सिमलिया थाना अधिकारी योगेश कुमार का कहना है कि भारी वाहन अगर यहां से निकलता है, तो दुर्घटना की संभावना है. ऐसे में ट्रैफिक को एक लेन पर ही डायवर्ट कर दिया गया है.
लाखेरी में रेस्क्यू करेगी सेना की टीम : बूंदी जिले के लाखेरी में भी नदियों का जलस्तर बढ़ने के चलते कई गांव टापू बने हुए हैं. ऐसे में करीब 70 के आसपास लोग गांव में फंसे हुए हैं. यह लोग अपने गांवों को छोड़कर बाहर भी नहीं निकलना चाह रहे हैं. जिनके रेस्क्यू के लिए सेना की मदद ली जाएगी. सेना के जवान रेस्क्यू के लिए जयपुर से लाखेरी के लिए रवाना हुए हैं. इनमें रवाना, पाली, चांणदा, जाडला, काकरा गांव में रेस्क्यू किया जाएगा. इन इलाकों में मेज और चंबल नदी के चलते ही प्रभावित हुए हैं. दोनों ही नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और यह नदियों से सटे हुए हैं. ऐसे में चारों तरफ से गांव टापू बनते जा रहे हैं. उसके बाद लाखेरी उपखंड अधिकारी युगांतर शर्मा ने जिला कलेक्टर को जानकारी दी. इसके बाद भी जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने आर्मी से संपर्क कर रेस्क्यू शुरू करवा रहे हैं.
झालावाड़ में भी स्थिति गंभीर, सेना-एसडीआरएफ लगातार चला रही रेस्क्यू ऑपरेशन : झालावाड़ जिले में लगातार दो दिनों से हो रही बारिश ने आम आदमी के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. जहां गांवों में लगातार एसडीआरएफ की टीम लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रही है. वहीं, शहर में कई कॉलोनियो में पानी घुस जाने से आधा शहर अंधेरे में डूब चुका है. हालात इतने विकराल हैं कि पिछले दो दिनों से शहर में जलापूर्ति नहीं होने से लोगों को पीने तक का पानी नहीं मिल रहा.