कोटा. प्रदेश में लहसुन के बंपर उत्पादन की संभावना अगले साल जताई जा रही है. क्योंकि इसका रकबा औसत से दोगुना हो गया है. हाड़ौती में जहां पर 65 से 70 हजार हेक्टेयर में ही लहसुन की फसल अमूमन उगाई जाती है. वहीं इस बार यह रकबा बढ़कर एक लाख को क्रॉस कर गया है. पिछले साल के 57 हजार हेक्टेयर से तो यह दोगुना हो गया है.
ऐसे में अगले साल लहसुन का बंपर उत्पादन हो सकता है, जिससे लहसुन के दामों पर काफी असर देखने को मिलेगा. इस बार जो लहसुन के किसानों को अच्छे दाम मिले हैं, हो सकता है कि अगली बार ऐसे दाम नहीं मिले और उनको सस्ते दामों पर कम मार्जिन में ही लहसुन बेचना पड़े.
चाइना का लहसुन नहीं आने से बढ़े दाम
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि चाइना से भारत के बीते एक साल से अच्छे संबंध नहीं हैं. इस बार लॉकडाउन भी लग गया था. इसके चलते भावों में अच्छा सुधार देखने को मिला. हालांकि, इस बार भी उत्पादन पिछले साल से थोड़ा सा कम है, लेकिन भाव में अंतर काफी ज्यादा है. कोविड- 19 के चलते लहसुन खाने के लिए भी लोगों की आदत में सुमार है, क्योंकि यह अच्छी यूनिटी देता है. ऐसे में उससे भी इसके भाव बढ़े हुए हैं.
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तीन साल बाद फिर वहीं पहुंचा रकबा
हाड़ौती में 11 लाख 58 हजार हेक्टेयर में बुआई होती है. इसमें कोटा में साल 2017-18 में 1 लाख 16 हजार 500 हेक्टेयर में लहसुन की फसल हुई थी. लेकिन दाम नहीं मिलने के चलते यह साल 2018-19 में यह गिरकर 58 हजार 500 पहुंच गई और साल 2019-20 में 57 हजार 700 रह गई. इस बार फिर रकबा एक लाख को क्रॉस कर गया है. कृषि विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार इस बार जो 1 लाख 07 हजार 700 हेक्टेयर में अभी तक बुवाई हो चुकी है. यह बुवाई बढ़कर 1 लाख 08 हजार 500 हेक्टेयर तक होगी. ऐसे में 8 लाख 50 हजार 000 मीट्रिक टन तक उत्पादन होगा. ऐसे में भाव कम रहने की संभावना है.
बंपर उत्पादन के चलते 2 रुपए किलो बिका था लहसुन
लहसुन की खेती करने वाले किसानों को साल 2017-18 में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था. दो रुपए किलो तक किसानों का लहसुन मंडी में बिका था. हालांकि मंडी में अच्छे लहसुन की कीमत 800 से 2 हजार 400 रुपए क्विंटल थी. वहीं अधिकांश किसानों को 1 हजार 200 से 1 हजार 800 रुपए क्विंटल के अनुसार पैसा मिला था. लेकिन बंपर उत्पादन के चलते लागत भी किसानों की नहीं निकल पाई थी और यह पूरा साल किसानों को काफी नुकसान भरा रहा था. कई किसानों ने हाड़ौती में लहसुन उत्पादन के चलते आत्महत्या भी की थी. इसके अगले साल किसानों ने लहसुन से तौबा कर ली और उसका रकबा आधा 58 हजार 700 हेक्टेयर ही रह गया था.
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फायदा के चक्कर मे देखा देखी में करते हैं किसान
लहसुन की फसल एक बीघा में 7 से 10 क्विंटल तक उत्पादन होता है. इसके चलते बीते तीन साल से किसानों को करीब 80 हजार से एक लाख रुपए तक मिला है. फसल के अच्छे दाम के चलते किसान दोबारा लहसुन की तरफ आकर्षित हो गए हैं. किसान के देखा-देखी करते हैं. वे ये नहीं सोचते कि ज्यादा लोग इसका उत्पादन करेंगे, तो बंपर फसल होने के चलते दाम अच्छे नहीं मिलेंगे.
उत्पादन में होता है 25 से 30 हजार का खर्चा
किसानों का कहना है कि 25 से 30 हजार रुपए बीघा का खर्चा लहसुन के उत्पादन में होता है. इसमें मेहनत काफी ज्यादा होती है. खेत में लहसुन की बुवाई से ही मेहनत शुरू होती है. खेत में कचरा साफ करना निंराई-गुड़ाई भी काफी बार होती है, ये मेहनत कटाई तक जारी रहती है. काफी लेबर का खर्चा भी इसमें होता है. यूरिया और डीएपी भी डाला जाता है. साथ ही बीज भी लहसुन का ही होता है. ऐसे में जब दाम ज्यादा होते हैं, तो लहसुन भी महंगा मिलता है.
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कोटा की कृषि उपज मंडी या भामाशाह मंडी की बात की जाए, तो इस बार दोनों जगह पर करीब 8 लाख 50 हजार क्विंटल माल आया है. यह शुरूआत में जब मई में माल आया था. तब दाम 4 हजार से 4 हजार 200 दाम थे, लेकिन बाद में बढ़कर 8 हजार 500 तक चले गए थे. इसका मतलब है कि मंडी में किसानों का 7 हजार से 13 हजार क्विंटल तक पैसा मिला है. इसमें अच्छे माल की ज्यादा रुपए किसानों को मिलते हैं.