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कोटाः 86 वर्षीय शांता ने 92 साल के कन्हैयालाल को बांधी स्नेह की डोर

जीवन का वह दौर जब शरीर साथ देना छोड़ देता है, आंखों से कम दिखना और याददाश घटती जाती है. ऐसे में जीवन के प्रति उत्साह कम हो जाता है, लेकिन उम्र के इस पड़ाव में 86 वर्षीय शांता पारीक ने अपने 92 वर्षीय भाई कन्हैया लाल व्यास को राखी की डोर बांधी.

बुजुर्ग भाई बहन ने मनाई राखी का त्योहार, Elderly siblings celebrated Rakhi festival
बुजुर्ग भाई बहन ने बांधी स्नेह की डोर
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Published : Aug 3, 2020, 8:31 PM IST

कोटा. शहर के आर के पुरम निवासी शांता पारीक ने भाई कन्हैयालाल व्यास के साथ प्रेम और स्नेह का पर्व रक्षाबंधन उत्साह पूर्वक मनाया. इस दौरान शांता ने उत्साह, उमंग और रीति-रिवाज के साथ अपने भाई की कलाई पर स्नेह की राखी बांधकर कपाल पर मंगलकामनाओं का टीका लगाया. शांता पारीक ने अपने चौथी पीढी के साथ प्रेम, समर्पण, निष्ठा का पर्व रक्षाबंधन मनाया.

बुजुर्ग भाई बहन ने बांधी स्नेह की डोर

वैसे उम्र के इस पड़ाव में शांता पारीक का मेरूदंड कुछ झुक चुका है. अब जीवन के पहर अपने पलंग पर ही पूरे होते है. कुछ यहि हाल उनके 92 बसंत देख चुके भाई कन्हैया लाल व्यास का है, लेकिन आज भी लोगों के अभिवादन और नमस्कार का उतने ही उत्साह से प्रतिउत्तर आता है. रक्षाबंधन के इस पर्व पर जिन्दादिल भाई-बहन का उत्साह और बढ़ गया. धीरे-धीरे और हिल्लते हाथों से बहन शांता ने अपने भाई कन्हैया लाल की कलाई पर स्नेह भरी रेशम की डोर बांधी और आरती की.

बुजुर्ग भाई बहन ने मनाई राखी का त्योहार, Elderly siblings celebrated Rakhi festival
बुजुर्ग भाई बहन ने मनाई राखी का त्योहार

पढ़ेंः प्रतापगढ़ः मुफ्त यात्रा पर भारी कोरोना का डर, रक्षाबंधन पर रोडवेज में कम नजर आई महिलाएं

कमजोर याददाश के बावजूद भी बहन के प्रेम समझ कर भाई ने आशीर्वाद दिया और अपने जीवन की एक ओर राखी संग मनाई. मूलत: ग्राम बाबुल्दा मध्यप्रदेश निवासी शांता पारीक के पांच भाईयों की एक इकलौती बहन थी. शांता पारीक के चार भाईयों का स्वर्गवास हो चुका है. अब उनके एक भाई कन्हैयालाल व्यास ही जीवित है. पीडब्लूडी से रिटायर्ड इंजीनियर कन्हैयालाल व्यास वर्तमान में कोटा में निवास करते है.

कोटा. शहर के आर के पुरम निवासी शांता पारीक ने भाई कन्हैयालाल व्यास के साथ प्रेम और स्नेह का पर्व रक्षाबंधन उत्साह पूर्वक मनाया. इस दौरान शांता ने उत्साह, उमंग और रीति-रिवाज के साथ अपने भाई की कलाई पर स्नेह की राखी बांधकर कपाल पर मंगलकामनाओं का टीका लगाया. शांता पारीक ने अपने चौथी पीढी के साथ प्रेम, समर्पण, निष्ठा का पर्व रक्षाबंधन मनाया.

बुजुर्ग भाई बहन ने बांधी स्नेह की डोर

वैसे उम्र के इस पड़ाव में शांता पारीक का मेरूदंड कुछ झुक चुका है. अब जीवन के पहर अपने पलंग पर ही पूरे होते है. कुछ यहि हाल उनके 92 बसंत देख चुके भाई कन्हैया लाल व्यास का है, लेकिन आज भी लोगों के अभिवादन और नमस्कार का उतने ही उत्साह से प्रतिउत्तर आता है. रक्षाबंधन के इस पर्व पर जिन्दादिल भाई-बहन का उत्साह और बढ़ गया. धीरे-धीरे और हिल्लते हाथों से बहन शांता ने अपने भाई कन्हैया लाल की कलाई पर स्नेह भरी रेशम की डोर बांधी और आरती की.

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कमजोर याददाश के बावजूद भी बहन के प्रेम समझ कर भाई ने आशीर्वाद दिया और अपने जीवन की एक ओर राखी संग मनाई. मूलत: ग्राम बाबुल्दा मध्यप्रदेश निवासी शांता पारीक के पांच भाईयों की एक इकलौती बहन थी. शांता पारीक के चार भाईयों का स्वर्गवास हो चुका है. अब उनके एक भाई कन्हैयालाल व्यास ही जीवित है. पीडब्लूडी से रिटायर्ड इंजीनियर कन्हैयालाल व्यास वर्तमान में कोटा में निवास करते है.

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