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NEET UG 2021: विवादों के चलते मेडिकल शैक्षणिक सत्र संपूर्ण देश में बेपटरी, क्या कहते हैं एक्सपर्ट...

मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET UG 2021 से संबंधित विवादों के चलते देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों के एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेज का वर्तमान शैक्षणिक सत्र बेपटरी हो चुका है. नीट यूजी से संबंधित विवादों के कारण राष्ट्रीय मेडिकल संस्थानों AIIMS और JIPMER की मेडिकल यूजी प्रवेश प्रक्रिया भी प्रभावित हुई हैं.

controversy in NEET UG 2021
NEET UG 2021 विवादों के चलते मेडिकल शैक्षणिक सत्र संपूर्ण देश में बेपटरी
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Published : Dec 2, 2021, 8:09 PM IST

कोटा. देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET UG 2021 से संबंधित विवादों के चलते देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों के एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेज का वर्तमान शैक्षणिक सत्र बेपटरी हो चुका है. नीट यूजी से संबंधित विवादों के कारण राष्ट्रीय मेडिकल संस्थानों एम्स व जिप्मेर (AIIMS And JIPMER UG Admission Process Affected) की मेडिकल यूजी प्रवेश प्रक्रिया भी प्रभावित हुई हैं.

कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि वर्ष 2020 से पूर्व 'इंस्टिट्यूट्स ऑफ नेशनल इंर्पोटेंस' (AIIMS AND JIPMER) दोनों ही स्वयं की ओर से आयोजित मेडिकल प्रवेश परीक्षा के तहत एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश दिया करते थे, लेकिन वर्ष 2020 से भारत सरकार के तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय और वर्तमान शिक्षा मंत्रालय के निर्णय से इन संस्थानों की एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश भी नीट यूजी के तहत किया गया है.

पढ़ें. NEET UG 2021: NTA ने जारी किया नोटिस, कहा- हम नहीं करवाते काउंसलिंग...हमारा AIR देने का काम, एक्सपर्ट बोले औचित्यहीन

नीट यूजी अपने स्थापना वर्ष से ही विवादों में रही है. यह विवाद नीट यूजी के पेपर में त्रुटियों, लीक होने, ओएमआर शीट संबंधी गड़बड़ियों, पात्रता की अधिकतम आयु सीमा और मूल परीक्षार्थी के स्थान पर किसी अन्य परीक्षार्थी के परीक्षा दिए जाने से संबंधित रहे हैं. इन विवादों के संबंध में समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई हैं. इन विवादों के कारण मेडिकल शिक्षा के शैक्षणिक सत्र आरंभ होने पर लगातार प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहा है. इससे मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है.

विवादों के साथ-साथ कोरोना महामारी ने भी इसे प्रभावित किया है. इन विवादों के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि (AIIMS AND JIPMER) संस्थानों को नीट यूजी परीक्षा के दायरे में लाने के निर्णय पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.

एम्स और जिप्मेर की यूजी मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं कभी विवादों में नहीं रहीं. दोनों ही प्रवेश परीक्षाओं में प्रश्न पत्रों की त्रुटियों, प्रश्न-पत्र लीक होने और मूल-परीक्षार्थी के स्थान पर अन्य परीक्षार्थी के परीक्षा में सम्मिलित होने से संबंधित कोई विवाद कभी नहीं हुआ. पूर्व निर्धारित समय के अनुसार परीक्षाएं आयोजित होती रहीं. समय पर परीक्षा परिणाम जारी कर एमबीबीएस मेडिकल शिक्षा सत्र प्रारंभ किए जाते रहे.

पढ़ें. CSAB Counseling: वेकेंट सीट स्टेटस जारी, एनआईटी प्लस सिस्टम में इंजीनियरिंग व आर्किटेक्चर में 7611 सीटें खाली

देव शर्मा ने बताया कि संपूर्ण देश में एकल मेडिकल प्रवेश परीक्षा लागू किए जाने के निर्णय ने विद्यार्थियों और अभिभावकों को राहत दी, लेकिन विवाद होने की स्थिति ने इन्हें विकल्पहीन होने पर मजबूर कर दिया है.

वर्तमान में नीट यूजी 2021 के प्रश्न पत्र में त्रुटि और ओएमआर शीट संबंधी विवादों के कारण देशभर के सभी सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों, जिनमें एम्स, जिप्मेर और आईएमएस (बीएचयू) जैसे मेडिकल संस्थान भी सम्मिलित है. सभी का एमबीबीएस-बीडीएस मेडिकल सत्र प्रभावित हो चुका है. यदि एम्स और जिप्मेर मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं अलग से आयोजित की जाती तो विवादों के अभाव में इन संस्थानों का मेडिकल सत्र तय समय पर प्रारंभ हो सकता था.

कोटा. देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET UG 2021 से संबंधित विवादों के चलते देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों के एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेज का वर्तमान शैक्षणिक सत्र बेपटरी हो चुका है. नीट यूजी से संबंधित विवादों के कारण राष्ट्रीय मेडिकल संस्थानों एम्स व जिप्मेर (AIIMS And JIPMER UG Admission Process Affected) की मेडिकल यूजी प्रवेश प्रक्रिया भी प्रभावित हुई हैं.

कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि वर्ष 2020 से पूर्व 'इंस्टिट्यूट्स ऑफ नेशनल इंर्पोटेंस' (AIIMS AND JIPMER) दोनों ही स्वयं की ओर से आयोजित मेडिकल प्रवेश परीक्षा के तहत एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश दिया करते थे, लेकिन वर्ष 2020 से भारत सरकार के तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय और वर्तमान शिक्षा मंत्रालय के निर्णय से इन संस्थानों की एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश भी नीट यूजी के तहत किया गया है.

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नीट यूजी अपने स्थापना वर्ष से ही विवादों में रही है. यह विवाद नीट यूजी के पेपर में त्रुटियों, लीक होने, ओएमआर शीट संबंधी गड़बड़ियों, पात्रता की अधिकतम आयु सीमा और मूल परीक्षार्थी के स्थान पर किसी अन्य परीक्षार्थी के परीक्षा दिए जाने से संबंधित रहे हैं. इन विवादों के संबंध में समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई हैं. इन विवादों के कारण मेडिकल शिक्षा के शैक्षणिक सत्र आरंभ होने पर लगातार प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहा है. इससे मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है.

विवादों के साथ-साथ कोरोना महामारी ने भी इसे प्रभावित किया है. इन विवादों के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि (AIIMS AND JIPMER) संस्थानों को नीट यूजी परीक्षा के दायरे में लाने के निर्णय पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.

एम्स और जिप्मेर की यूजी मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं कभी विवादों में नहीं रहीं. दोनों ही प्रवेश परीक्षाओं में प्रश्न पत्रों की त्रुटियों, प्रश्न-पत्र लीक होने और मूल-परीक्षार्थी के स्थान पर अन्य परीक्षार्थी के परीक्षा में सम्मिलित होने से संबंधित कोई विवाद कभी नहीं हुआ. पूर्व निर्धारित समय के अनुसार परीक्षाएं आयोजित होती रहीं. समय पर परीक्षा परिणाम जारी कर एमबीबीएस मेडिकल शिक्षा सत्र प्रारंभ किए जाते रहे.

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देव शर्मा ने बताया कि संपूर्ण देश में एकल मेडिकल प्रवेश परीक्षा लागू किए जाने के निर्णय ने विद्यार्थियों और अभिभावकों को राहत दी, लेकिन विवाद होने की स्थिति ने इन्हें विकल्पहीन होने पर मजबूर कर दिया है.

वर्तमान में नीट यूजी 2021 के प्रश्न पत्र में त्रुटि और ओएमआर शीट संबंधी विवादों के कारण देशभर के सभी सरकारी और निजी मेडिकल संस्थानों, जिनमें एम्स, जिप्मेर और आईएमएस (बीएचयू) जैसे मेडिकल संस्थान भी सम्मिलित है. सभी का एमबीबीएस-बीडीएस मेडिकल सत्र प्रभावित हो चुका है. यदि एम्स और जिप्मेर मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं अलग से आयोजित की जाती तो विवादों के अभाव में इन संस्थानों का मेडिकल सत्र तय समय पर प्रारंभ हो सकता था.

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