जोधपुर: विश्नोई समाज में कुलदीप बिश्नोई और राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया के बीच चल रही उठापठक का पटाक्षेप हो गया है. बुढ़िया ने बताया कि समाज की बैठक में उन्हें एक साल का समय इस पद पर दिया गया है. इस दौरान लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव करवाने हैं. उन्होंने कहा कि बैठक में समाज के संरक्षक पद से कुलदीप बिश्नोई को बर्खास्त कर पद को ही समाप्त कर दिया गया है.
बूड़िया ने कहा कि उन्होंने समाज को बताया कि संरक्षक का इस सभा पर कब्जा है. बैठक में कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से बर्खास्त कर संरक्षक पद ही समाप्त कर दिया है. उनसे विश्नोई रत्न भी वापस लिया जाएगा. इसका भी निर्णय हुआ है. बूड़िया ने कहा कि संस्था में अध्यक्ष स्वतंत्र काम नहीं कर सकता है. संरक्षक की मर्जी से ही काम कर सकता है. कोई पत्र भी नहीं लिख सकता. कार्यकारिणी में भी वह रह सकता है, जो कुलदीप बिश्नोई की हां में हां मिलाए. इसके लिए उनकी प्रशंसा करनी पड़ती है. इसको लेकर मेरे से भी इस्तीफा देना मांगा गया था.
उल्लेखनीय है कि सोमवार को देंवेंद्र बूड़िया ने फेसबुक पर कहा था कि उनके साथ ज्यादती हुई है. उन्होंने विधायक रणधीर पनिहार पर आरोप लगाए थे. बतौर अध्यक्ष बूड़िया ने कुलदीप विश्नोई को संरक्षक पद से हटाया था. इसके बाद बिश्नोई ने बूड़िया को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया था. जिसके बाद बुधवार को बिश्नोई समाज के मुख्य धाम मुकाम में हुई समाज की बैठक में बूड़िया ने अपने साथ हुई पूरी घटना बताई थी. जिसके बाद समाज ने बिश्नोई को संरक्षक पद से हटा दिया और पद ही समाप्त कर दिया.
हरियाणा हाउस में हुई कहासुनी: बूड़िया ने दावा किया उन पर इस्तीफे का दबाव था. कुलदीप बिश्नोई ने उनसे व्हाट्सएप पर इस्तीफा मांगा था. इस पर उन्होंने कहा, 'मैंने नहीं दिया, मैं दिल्ली गया, तो मुझे हरियाणा हाउस के कमरा 30 में उनके खास विधायक रणदीप से मिलने का कहा गया. जिसने कहा कि आप इस्तीफे पर साइन कर दो. मैंने कहा कि मैं कुलदीप के सामने ही हस्ताक्षर करूंगा. यहां साइन नहीं करूंगा. इस पर मेरे साथ गाली-गलौच की गई और धक्का-मुक्की हुई. मुझे जबरदस्ती ले जाने के प्रयास हुए. मुझे लोगों के सामने बचने के लिए चिल्लाना पड़ा था. मैंने कुलदीप विश्नोई को फोन किया, लेकिन जवाब नहीं दिया.