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23 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला: फर्जी पट्टा आवंटन घोटाले में 7 को सजा, विधायक दिलावर सहित 21 बरी

अटरू ग्राम पंचायत में चारागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने के (Fake lease allotment scam in kota) मामले में 23 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. इस मामले में 7 लोगों को सजा सुनाई गई. साथ ही विधायक मदन दिलावर सहित 21 लोगों को बरी कर दिया गया है.

Fake lease allotment scam in kota
23 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला
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Published : Apr 11, 2022, 2:12 PM IST

कोटा. भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा ने 23 साल पुराने मामले में तत्कालीन सरपंच, ग्राम सचिव, दो नाकेदारों और उनकी पत्नियों को दंडित किया है. जबकि इसी मामले में तत्कालीन बारां अटरू विधायक और वर्तमान में रामगंजमंडी के विधायक मदन दिलावर सहित 21 लोगों को दोषमुक्त किया है. मामला 1998 में अटरू ग्राम पंचायत में चारागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का है. जिसपर भूखंड काटकर नीलामी के जरिए विक्रय कर दिया था. ये फर्जी पट्टा आवंटन घोटाला था. इस मामले में एसीबी ने जांच कर 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि अटरू ग्राम पंचायत (Court judgment after 23 years in Fake lease allotment scam in kota) में 1998 में सरपंच बृजमोहन सोनी ने दिगर पंचों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासियों के लिए आबादी भूमि की आवश्यकता बताई. इसके बाद सचिव राजेंद्र कुमार, नाकेदार जितेंद्र और कस्तूरचंद के साथ मिलीभगत और आपराधिक षड्यंत्र के तहत भूखंड हड़पने की योजना बनाई.

इसके तहत ग्राम पंचायत की चरागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का प्रस्ताव भेजा गया. जिस पर बारां कलेक्टर के आदेश पर भूमि आबादी में कन्वर्ट भी हुई. इसके बाद इनकी नीलामी की विज्ञप्ति निकाली गई. राजस्थान पंचायत राज नियमों की अवहेलना करते हुए 26 व्यक्तियों को डीएलसी मार्केट दर से कम दर पर भूखंड आवंटित कर पट्टे जारी कर दिए गए. इनमें से 4 लाभार्थी अनुसुइया, गीता, राम और किरण इन चारों आरोपियों की पत्नियां थी.

पढ़ें-Grp police action: धौलपुर रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया फर्जी टिकट कलेक्टर, जीआरपी ने लिया हिरासत में

23 साल बाद 30 में से 21 को दोषमुक्त: हालांकि इस प्रकरण में एसीबी को शिकायत मिलने के बाद जांच हुई. इसमें विधायक मदन दिलावर सहित 30 आरोपियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के अपराध के तहत न्यायालय में चार्ज शीट पेश की गई. इस मामले की ट्रायल के दौरान किरण और रामदयाल का निधन हो गया. ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई. जबकि सात आरोपियों को दंडित किया गया है. वहीं इस मामले में 21 को संदेह के तहत दोषमुक्त कर दिया गया.

भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा के न्यायाधीश प्रमोद मलिक ने अटरू के सरपंच बृजमोहन सोनी, सचिव राजेंद्र कुमार, नाकेदार जितेंद्र कुमार और कस्तूरचंद को 5-5 साल की सजा सुनाई. इसके साथ ही 90 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है. इसी तरह से भूखंड लाभार्थी अनुसुइया, गीता और रमा देवी को 3- 3 साल की सजा और 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

कोटा. भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा ने 23 साल पुराने मामले में तत्कालीन सरपंच, ग्राम सचिव, दो नाकेदारों और उनकी पत्नियों को दंडित किया है. जबकि इसी मामले में तत्कालीन बारां अटरू विधायक और वर्तमान में रामगंजमंडी के विधायक मदन दिलावर सहित 21 लोगों को दोषमुक्त किया है. मामला 1998 में अटरू ग्राम पंचायत में चारागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का है. जिसपर भूखंड काटकर नीलामी के जरिए विक्रय कर दिया था. ये फर्जी पट्टा आवंटन घोटाला था. इस मामले में एसीबी ने जांच कर 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि अटरू ग्राम पंचायत (Court judgment after 23 years in Fake lease allotment scam in kota) में 1998 में सरपंच बृजमोहन सोनी ने दिगर पंचों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासियों के लिए आबादी भूमि की आवश्यकता बताई. इसके बाद सचिव राजेंद्र कुमार, नाकेदार जितेंद्र और कस्तूरचंद के साथ मिलीभगत और आपराधिक षड्यंत्र के तहत भूखंड हड़पने की योजना बनाई.

इसके तहत ग्राम पंचायत की चरागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का प्रस्ताव भेजा गया. जिस पर बारां कलेक्टर के आदेश पर भूमि आबादी में कन्वर्ट भी हुई. इसके बाद इनकी नीलामी की विज्ञप्ति निकाली गई. राजस्थान पंचायत राज नियमों की अवहेलना करते हुए 26 व्यक्तियों को डीएलसी मार्केट दर से कम दर पर भूखंड आवंटित कर पट्टे जारी कर दिए गए. इनमें से 4 लाभार्थी अनुसुइया, गीता, राम और किरण इन चारों आरोपियों की पत्नियां थी.

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23 साल बाद 30 में से 21 को दोषमुक्त: हालांकि इस प्रकरण में एसीबी को शिकायत मिलने के बाद जांच हुई. इसमें विधायक मदन दिलावर सहित 30 आरोपियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के अपराध के तहत न्यायालय में चार्ज शीट पेश की गई. इस मामले की ट्रायल के दौरान किरण और रामदयाल का निधन हो गया. ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई. जबकि सात आरोपियों को दंडित किया गया है. वहीं इस मामले में 21 को संदेह के तहत दोषमुक्त कर दिया गया.

भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा के न्यायाधीश प्रमोद मलिक ने अटरू के सरपंच बृजमोहन सोनी, सचिव राजेंद्र कुमार, नाकेदार जितेंद्र कुमार और कस्तूरचंद को 5-5 साल की सजा सुनाई. इसके साथ ही 90 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है. इसी तरह से भूखंड लाभार्थी अनुसुइया, गीता और रमा देवी को 3- 3 साल की सजा और 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

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