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होली पर दिखीं मनोरम झांकियां: CDS बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश को दर्शाया तो 'स्वर कोकिला' को भी दी श्रद्धांजलि

कोटा में होली की झांकियों (tableaux seen on Holi in Kota) में गलवान घाटी से लेकर सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश को दर्शाया गया है. अलग-अलग स्थानों पर बनाई गई इन झांकियों को देखने के लिए लोगों की भीड़ पहुंच रही है. इस बार होली के मौके पर बनाई गई इन झांकियों में सेना के शौर्य से लेकर पद्मनाभ स्वामी मंदिर तक को दर्शाया गया है.

tableaux seen on Holi in Kota
होली पर झांकियां
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Published : Mar 17, 2022, 6:40 PM IST

Updated : Mar 17, 2022, 8:38 PM IST

कोटा. देशभर में होली अल्हड़ मस्ती के त्योहार के रूप में जाना जाता है. लेकिन कोटा में कई संस्थाएं इस त्योहार को शानदार झांकियों (tableaux seen on Holi in Kota) की थीम पर मनाती हैं. इन झांकियों को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. यह झांकियां होली दहन से 1 दिन पहले आमजन के लिए खोल दी जाती हैं.

इस बार भी कोटा में गलवान घाटी से लेकर सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश (CDS Bipin Rawat helicopter crash seen in tableaux) को इस झांकियों में शामिल किया है. कोटा शहर में वर्तमान में चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ गई है. ऐसे में चाकूबाजी की घटनाओं को भी सिविल लाइंस की झांकी में जगह दी गई है. इनमें नयापुरा में झांकियां लगते हुए करीब 40 साल हो गए हैं. जबकि सिविल लाइंस एरिया में पिछले 20 साल से झांकी सजाई जा रही है. इन झांकियों को बनाने का काम होली से करीब डेढ़ महीने पहले शुरू हो जाता है. पूरे एरिया को कवर कर दिया जाता है. साथ ही लोगों को भी इस बात का इंतजार रहता है कि इस बार किस थीम पर झांकी बनेगी.

होली पर झांकियां

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कृत्रिम झील और बर्फ की चादर सजाई
चीन और भारत के बीच में गलवान घाटी और पेंगोग झील के नजदीक चल रहे विवाद पर भी झांकी सजाई गई है. जिसमें भारतीय सैनिकों ने जिस तरह से गलवान घाटी में अपना शौर्य दिखाया है. उसे भी इस झांकी में जगह दी गई है. गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों का जोश और शौर्य भी नजर आया है. चीनी सैनिकों को किस तरह से भारतीय सेना ने खदेड़ दिया था. चीनी सैनिकों के हाथ में जहां चीन का झंडा है वहीं भारतीय सैनिक पैंगोंग झील पर भारतीय झंडा लेकर सुरक्षा कर रहे हैं. कृत्रिम झील भी यहां पर बनाई गई है. हूबहू भारतीय और चीनी सैनिक भी दर्शाए गए. यहां तक कि वहां जो बर्फीला मौसम रहता है, वह भी इस झांकी में तैयार किया गया है.

tableaux seen on Holi in Kota
विश्व की सबसे बड़ी घंटी की झांकी

स्वर कोकिला, कथक सम्राट और बप्पी दा को भी दी श्रद्धांजलि
स्वर कोकिला लता मंगेशकर, बॉलीवुड के गायक बप्पी लहरी और कथक सम्राट बृज मोहन मिश्र "बिरजू महाराज" को भी झांकी के जरिए श्रद्धांजलि दी गई है. नयापुरा आदर्श होली संस्था ने लता मंगेशकर को अपनी झांकी में जगह देते हुए उनकी टीम पर भी एक पूरा एरिया सजाया है. उनके पार्थिव को तिरंगे में लिपटा हुआ दिखाया है. जहां पर भारतीय सैनिक उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. इसके अलावा सिविल लाइंस स्थित होली की झांकी में लता मंगेशकर के साथ-साथ बिरजू महाराज और बप्पी लहरी को भी श्रद्धांजलि देते हुए कि झांकी सजाई है.

tableaux seen on Holi in Kota
पद्मनाभ स्वामी मंदिर की झांकी

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कोटा में बन रही दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को भी दी जगह
रिवर फ्रंट पर कई रिकॉर्ड कायम किए जा रहे हैं. इसमें एक रिकॉर्ड है विश्व की सबसे बड़ी घंटी. ये घंटी कोटा में बनाई जा रही है. 8700 किलोग्राम वजनी घंटी का निर्माण 150 दिनों में होगा. इसके निर्माण में 18 से 20 करोड़ रुपए का खर्चा होगा. इस घंटी की आवाज रात्रि के समय 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देने का दावा किया गया है. साथ ही 400 से ज्यादा कारीगर इस काम में जुटे हैं. इसके लिए अस्थाई फैक्ट्री तैयार कर दी गई है. इसका भी एक प्रतिरूप नयापुरा की झांकी में दिखाया गया है. इसके जरिए बताया गया है कि कोटा भी विश्व के पर्यटन स्थल पर रिवरफ्रंट निर्माण के बाद आ जाएगा.

tableaux seen on Holi in Kota
झांकियों ने मोहा मन

तीन सदियों की लाइफस्टाइल में बदलाव दिखाया
होली पर बनाई गई सिविल लाइंस की झांकी में तीन सदियों के लाइफ स्टाइल में बदलाव को प्रदर्शित किया गया है. इसमें 18 वीं सदी के दृश्य को कच्चे मकानों और चारों तरफ हरियाली के जरिए दिखाया गया है. साथ ही खेती से ही जीवन यापन करना, पशुओं को पालना और सामान्य जीवन यापन दिखाया गया है. पहाड़ों में तपस्या करते हुए संत को भी दिखाया गया है. उसके बाद 19वीं सदी में के दृश्य में कच्चे की जगह पक्के मकान दिखाते हुए खेती के साथ-साथ अन्य कार्य में जुटे लोगों को दिखाया है.

पढ़ें. कभी फाग के गीतों और चंग की थाप पर जुटती थी होलियारों की टोली, अब दायरों में सिमटने लगीं परंपराएं...युवा पीढ़ी भी कम ले रही रुचि

हरियाली की जगह घर में ही बगीचे लगाने का क्रम बताया गया है. पेड़ों को काटते हुए भी इसमें दिखाया गया है. इसके बाद बीसवीं सदी में बिल्कुल परिवर्तन कर दिया. इस झांकी में लोगों को घरों के अंदर ही पेड़ पौधे लगाते दिखाया है. ऊंची हाईराइज इमारतों में लोगों को रहते और चारों तरफ बिजली लाइनों के जाल को दिखाया गया है.

तिरुवनंतपुरम के पद्मनाथ स्वामी की झांकी में 18 फुट लंबे विष्णु भगवान
सिविल लाइंस एरिया में मुख्य झांकी भगवान पद्मनाथ स्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम केरल की है. जिसमें विष्णु भगवान की शेषनाग पर लेटे हुए 18 फीट लंबी प्रतिमा बनाई गई है0 इसको भी पूरी तरह से लाइटिंग से सजाया गया है. रात के समय यह प्रतिमा काफी आकर्षक नजर आती है. शीतल प्रकाश मीणा "श्याम" ने बताया कि तिरुवंतपुरम में भी इसी तरह के 18 फीट लंबी प्रतिमा भगवान विष्णु की है. इसी की तर्ज पर 18 फ़ीट की प्रतिमा भी हमने बनाई है. भगवान पद्मनाथ स्वामी मंदिर के बाहरी हिस्से की छवि को भी बैनर के जरिए दिखाया गया है.

कोटा. देशभर में होली अल्हड़ मस्ती के त्योहार के रूप में जाना जाता है. लेकिन कोटा में कई संस्थाएं इस त्योहार को शानदार झांकियों (tableaux seen on Holi in Kota) की थीम पर मनाती हैं. इन झांकियों को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. यह झांकियां होली दहन से 1 दिन पहले आमजन के लिए खोल दी जाती हैं.

इस बार भी कोटा में गलवान घाटी से लेकर सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश (CDS Bipin Rawat helicopter crash seen in tableaux) को इस झांकियों में शामिल किया है. कोटा शहर में वर्तमान में चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ गई है. ऐसे में चाकूबाजी की घटनाओं को भी सिविल लाइंस की झांकी में जगह दी गई है. इनमें नयापुरा में झांकियां लगते हुए करीब 40 साल हो गए हैं. जबकि सिविल लाइंस एरिया में पिछले 20 साल से झांकी सजाई जा रही है. इन झांकियों को बनाने का काम होली से करीब डेढ़ महीने पहले शुरू हो जाता है. पूरे एरिया को कवर कर दिया जाता है. साथ ही लोगों को भी इस बात का इंतजार रहता है कि इस बार किस थीम पर झांकी बनेगी.

होली पर झांकियां

पढ़ें. जोधपुर में 2 साल बाद रंगों के त्योहार को लेकर उत्साह, लोग खुश इस बार नहीं होगी 'पाबंदी वाली होली'

कृत्रिम झील और बर्फ की चादर सजाई
चीन और भारत के बीच में गलवान घाटी और पेंगोग झील के नजदीक चल रहे विवाद पर भी झांकी सजाई गई है. जिसमें भारतीय सैनिकों ने जिस तरह से गलवान घाटी में अपना शौर्य दिखाया है. उसे भी इस झांकी में जगह दी गई है. गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों का जोश और शौर्य भी नजर आया है. चीनी सैनिकों को किस तरह से भारतीय सेना ने खदेड़ दिया था. चीनी सैनिकों के हाथ में जहां चीन का झंडा है वहीं भारतीय सैनिक पैंगोंग झील पर भारतीय झंडा लेकर सुरक्षा कर रहे हैं. कृत्रिम झील भी यहां पर बनाई गई है. हूबहू भारतीय और चीनी सैनिक भी दर्शाए गए. यहां तक कि वहां जो बर्फीला मौसम रहता है, वह भी इस झांकी में तैयार किया गया है.

tableaux seen on Holi in Kota
विश्व की सबसे बड़ी घंटी की झांकी

स्वर कोकिला, कथक सम्राट और बप्पी दा को भी दी श्रद्धांजलि
स्वर कोकिला लता मंगेशकर, बॉलीवुड के गायक बप्पी लहरी और कथक सम्राट बृज मोहन मिश्र "बिरजू महाराज" को भी झांकी के जरिए श्रद्धांजलि दी गई है. नयापुरा आदर्श होली संस्था ने लता मंगेशकर को अपनी झांकी में जगह देते हुए उनकी टीम पर भी एक पूरा एरिया सजाया है. उनके पार्थिव को तिरंगे में लिपटा हुआ दिखाया है. जहां पर भारतीय सैनिक उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. इसके अलावा सिविल लाइंस स्थित होली की झांकी में लता मंगेशकर के साथ-साथ बिरजू महाराज और बप्पी लहरी को भी श्रद्धांजलि देते हुए कि झांकी सजाई है.

tableaux seen on Holi in Kota
पद्मनाभ स्वामी मंदिर की झांकी

पढ़ें. हरणी जहां 'सोने के प्रह्लाद' 'चांदी की होलिका' की गोद में बैठते हैं

कोटा में बन रही दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को भी दी जगह
रिवर फ्रंट पर कई रिकॉर्ड कायम किए जा रहे हैं. इसमें एक रिकॉर्ड है विश्व की सबसे बड़ी घंटी. ये घंटी कोटा में बनाई जा रही है. 8700 किलोग्राम वजनी घंटी का निर्माण 150 दिनों में होगा. इसके निर्माण में 18 से 20 करोड़ रुपए का खर्चा होगा. इस घंटी की आवाज रात्रि के समय 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देने का दावा किया गया है. साथ ही 400 से ज्यादा कारीगर इस काम में जुटे हैं. इसके लिए अस्थाई फैक्ट्री तैयार कर दी गई है. इसका भी एक प्रतिरूप नयापुरा की झांकी में दिखाया गया है. इसके जरिए बताया गया है कि कोटा भी विश्व के पर्यटन स्थल पर रिवरफ्रंट निर्माण के बाद आ जाएगा.

tableaux seen on Holi in Kota
झांकियों ने मोहा मन

तीन सदियों की लाइफस्टाइल में बदलाव दिखाया
होली पर बनाई गई सिविल लाइंस की झांकी में तीन सदियों के लाइफ स्टाइल में बदलाव को प्रदर्शित किया गया है. इसमें 18 वीं सदी के दृश्य को कच्चे मकानों और चारों तरफ हरियाली के जरिए दिखाया गया है. साथ ही खेती से ही जीवन यापन करना, पशुओं को पालना और सामान्य जीवन यापन दिखाया गया है. पहाड़ों में तपस्या करते हुए संत को भी दिखाया गया है. उसके बाद 19वीं सदी में के दृश्य में कच्चे की जगह पक्के मकान दिखाते हुए खेती के साथ-साथ अन्य कार्य में जुटे लोगों को दिखाया है.

पढ़ें. कभी फाग के गीतों और चंग की थाप पर जुटती थी होलियारों की टोली, अब दायरों में सिमटने लगीं परंपराएं...युवा पीढ़ी भी कम ले रही रुचि

हरियाली की जगह घर में ही बगीचे लगाने का क्रम बताया गया है. पेड़ों को काटते हुए भी इसमें दिखाया गया है. इसके बाद बीसवीं सदी में बिल्कुल परिवर्तन कर दिया. इस झांकी में लोगों को घरों के अंदर ही पेड़ पौधे लगाते दिखाया है. ऊंची हाईराइज इमारतों में लोगों को रहते और चारों तरफ बिजली लाइनों के जाल को दिखाया गया है.

तिरुवनंतपुरम के पद्मनाथ स्वामी की झांकी में 18 फुट लंबे विष्णु भगवान
सिविल लाइंस एरिया में मुख्य झांकी भगवान पद्मनाथ स्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम केरल की है. जिसमें विष्णु भगवान की शेषनाग पर लेटे हुए 18 फीट लंबी प्रतिमा बनाई गई है0 इसको भी पूरी तरह से लाइटिंग से सजाया गया है. रात के समय यह प्रतिमा काफी आकर्षक नजर आती है. शीतल प्रकाश मीणा "श्याम" ने बताया कि तिरुवंतपुरम में भी इसी तरह के 18 फीट लंबी प्रतिमा भगवान विष्णु की है. इसी की तर्ज पर 18 फ़ीट की प्रतिमा भी हमने बनाई है. भगवान पद्मनाथ स्वामी मंदिर के बाहरी हिस्से की छवि को भी बैनर के जरिए दिखाया गया है.

Last Updated : Mar 17, 2022, 8:38 PM IST
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