जोधपुर. कोरोना काल ने मानव जीवन को हर क्षेत्र में प्रभावित किया है. बात चाहे सामाजिक जीवन जीने के तरीके की हो या ऑफिस के कामकाज की. हर क्षेत्र में इन दो सालों में बदलाव देखने को मिला है. खास तौर पर ऑफिस के कामकाज को लेकर पहले कभी किसी ने सोचा भी नहीं था कि घर से ऑफिस का काम पूरा होगा. लेकिन कोरोना के बीच अपने कर्मचारियों को सुरक्षित रखने के लिए कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम का कल्चर शुरू किया. लेकिन बदलते समय के बीच अब युवा प्रोफेशनल ने वर्क फ्रॉम होम को अब डेस्टिनेशन वर्किंग बना लिया है.
कोरोना के बीच शुरू हुए वर्क फ्रॉम होम के कल्चर को कई कंपनियों ने अब ऑफिस का खर्च बचाने के लिए पूरी तरह से अपना लिया है. युवा प्रोफेशनल जो वर्क फ्राम होम करते है उन्होंने इसे एंजॉय करने का तरीका बना लिया है. जोधपुर के भीतरी शहर के हॉस्टलर गेस्ट हाउस में ऐसे युवा प्रोफेशनल दिख जाते हैं जो अपने लेपटॉप पर काम करते रहते हैं. वह भी अपनी आफिस शिफ्टिंग के समय के अनुसार. जब भी काम खत्म् होता है तो घूमने निकल जाते हैं.
पढ़ें. स्पेशल : WFH बन रहा शारीरिक व मानसिक परेशानियों की वजह, जानिये क्या कहते हैं डॉक्टर्स
यही क्रम लंबे समय से चल रहा है. ये युवा वीकेंड पर अपना डेस्टिनेशन बदलते हैं. जहां भी जाते हैं कम से कम पांच से छह दिन रूकते हैं. इनमें साफ्टवेयर इंजीनीयर, ऐनेलेटिक, आडिटर जैसे प्रोफेशनल्स युवा शामिल हैं.
वर्किंग डेस्टिनेशन से काफी कुछ सीखने को मिलता हैः युवाओं का मानना है कि हमेशा आफिस में नए लोग नहीं मिलते हैं. काम में ताजगी नहीं आती है. बाहर निकलने से नए लोग, नई कहानिया भी मिलती हैं. जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. जोधपुर हॉस्टलर के संचालक हितेश का कहना है कि इन प्रोफेशनल्स के लिए वे बहुत कुछ नया करते हैं. इनकी वर्किंग के लिए जगह बना रखी है. इस दौरान उन्हें जो भी चाहिए होता है उपलब्ध करवाते हैं.
पढ़ें. कोरोना काल में घर और ऑफिस के काम में महिलाओं ने ऐसे बिठाया तालमेल, Work From Home ने दी नई ऊर्जा
अब छुट्टी नहीं लेनी पडती, समय बचता हैः एक कंपनी में सीनियर एक्जीक्यूटिव गुरुग्राम की प्राची सिंह का कहना है कि कोविड के बाद जब आवाजाही शुरू हो गई. उसके बाद से कई जगहों पर डेस्टिनेशन वर्किंग कर चुकी है. अब घूमने के लिए छुट्टी नहीं लेनी पड़ती है. उनका कहना है कि मैं चाहती हूं कि यह वर्क आफ कल्चर जारी रहना चाहिए. इन दिनों कुछ कंपनियो ने हाईब्रिड वर्किंग शुरू की है. जिसमें दो दिन आफिस जाना होता है.
हम उसी जगह पर जाते हैं जहां नेटवर्क की कोई समस्या नहीं हो. वीकेंड पर हम ट्रेवल करते हैं. सीनियर आडिट एसोसिएट अंकिता सिंह का कहना है घूम घूम कर काम करना अलग अनुभव हैं. इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. इस तरह से काम करने से समय की बचत होती है. फ्रीलांसर कोलकाता की अनन्या का कहना है की वह एक साल से ट्रेवलिंग एंजॉय कर रही है.
पढ़ें. SPECIAL : कर्मचारी कर रहे वर्क फ्रॉम होम, लंच बॉक्स की सप्लाई बंद, मुश्किल में फूड कैटरर्स
नेपाल तक जा आए शुभमः जमशेदपुर निवासी टेक्निकल कंसल्टेंट शुभम झा कहना है कि कोविड के बाद जब आवाजाही होने लगी तो घर से निकलने लगे. शुभम सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक काम करते हैं. इसके बाद उन्हें बहुत समय मिलता है घूमने के लिए. वे आंध्रप्रदेश, कर्नाटक रहे, बाद में नेपाल चले गए. उन्होंने कहा कि राजस्थान में दोबारा आया हूं.
साफ्टवेयर ऐनेलेटिक लखनऊ निवासी श्रेयस शुक्ला ने हाल ही में डेस्टिनेशन वर्किग शुरू किया है. उन्होंने कहा कि ऑफिस में नए लोग नहीं मिलते. बाहर बहुत कुछ नया मिलता है. हालांकि श्रेयस मानती हैं कि आगे आफिस भी शुरू होने चाहिए. जिससे काम की प्रोडक्टविटी भी बढ़े.