जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में प्रहलाद राम व अन्य ने याचिका दायर कर कहा कि विद्युत विषय में इंजीनियरिंग डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों के लिए जेईएन के पदों पर भर्ती किया जाए और जो विद्युत कम्पनियों ने सिर्फ इंजीनियरिंग डिग्री होल्डर के लिए विज्ञापन निकाला है उसे निरस्त किया जाए. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अशोक चौधरी ने पक्ष रखते हुए बताया कि पूर्व में कनिष्ठ अभियंता जेईएन का पद था. जिसको इंजीनियरिंग में डिग्री होल्डर व डिप्लोमा करने वालो से भरा जाता था.
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वर्ष 2007 में राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम व अन्य जोधपुर जयपुर व अजमेर विद्युत वितरण निगम ने कनिष्ठ अभियंता के पद को दो भागो में बांट दिया. कनिष्ठ अभियंता प्रथम व कनिष्ठ अभियंता द्वितीय थे तथा यह प्रावधान किया गया कि कनिष्ठ अभियंता प्रथम के पद पर सिर्फ इंजीनियरिंग में डिग्री करने वालो को ही भर्ती किया जायेगा. वही कनिष्ठ अभियंता द्वितीय के पदों पर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वालो को ही भर्ती किया जायेगा.
लेकिन वर्ष 2011 तथा उसके बाद वर्ष 2012, 2013, 2016, 2018 व 2021 में जो विद्युत निगमों ने भर्ती निकाली उसमें सिर्फ कनिष्ठ अभियंता प्रथम के ही पद भरे गये. कनिष्ठ अभियंता द्वितीय का पद पिछले 14 सालों से नहीं भरा गया. विद्युत निगमों की ओर से जवाब प्रस्तुत करते हुए न्यायालय को बताया कि वर्ष 2016 के विद्युत नियमों में यह प्रावधान कर दिया है कि कनिष्ठ अभियंता द्वितीय का पद समाप्त किया जाता है. इस पद पर कोई नई भर्ती नहीं की जायेगी.
डिप्लोमा होल्डर विद्युत विभाग में कनिष्ठ अभियंता पद हेतु आवेदन करने के लिये योग्य नहीं हैं. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने यह फैसला दिया कि याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2016 के नियमों को चुनौती नहीं दी. किसी भी पद को समाप्त करना या बनाये रखना नियोक्ता की इच्छा के उपर निर्धारित होता है और इस व्यवस्था के साथ याचिकाकर्तागण की रिट याचिका को खारिज कर दी गई.
प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की बात की जाये तो राजस्थान में सैकडो डिप्लोमा कॉलेज संचालित हो रहे हैं. हजारों विद्यार्थी इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स कर रहे हैं और कनिष्ठ अभियंता के पद की तैयारी करते हैं. लेकिन विद्युत निगमों द्वारा कनिष्ठ अभियंता के पद के लिए डिप्लोमा होल्डर को अयोग्य ठहराने से उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है.