जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि राजस्थान के बाहर से माइग्रेट को अनुसूचित जाति का लाभ नहीं दिया जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के पूर्व के फैसलों को नजीर मानते हुए न्यायाधीश मेहता की अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया.
याचिकाकर्ता सुनीता सिरोया की ओर से एक याचिका पेश कर आरपीएससी द्वारा वरिष्ठ अध्यापक भर्ती एसएसटी 2018 में अनुसूचित जाति से आवेदन करने पर आरपीएससी ने उनका आवेदन निरस्त कर दिया, जिसे उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई.
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याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह मूलत हरियाणा की निवासी है और साल 2003 में हरियाणा के महेन्द्रगढ़ एसडीएम ने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया था. उसका विवाह राजस्थान में कृष्ण कुमार के साथ हो गया. हरियाणा से जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर राजस्थान में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती में आवेदन किया लेकिन आरपीएससी ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया.
न्यायाधीश मेहता की अदालत ने पूर्व के निर्णयों के आधार पर माना कि माइग्रेट का जाति प्रमाण पत्र राजस्थान में मान्य नहीं होगा. राजस्थान सरकार की ओर से जारी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का लाभ मिल सकता है.
डूंगरपुर कलेक्टर ने अतिक्रमण मामले में पेश की रिपोर्ट...
राजस्थान हाईकोर्ट में डूंगरपुर जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर सांगवाड़ा की गामथवाड़ा कॉलोनी में अतिक्रमण हटाने को लेकर रिपोर्ट पेश की. जिला कलेक्टर की ओर से स्वयं का शपथपत्र भी पेश किया गया. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष जिला कलेक्टर पेश हुए.
जिला कलेक्टर ने अपने शपथ पत्र में बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कॉलोनी से अतिक्रमण हटा दिया गया है. वहीं कुछ अतिक्रमणों को हटाने के बाद विस्थापितों को पुर्नवास के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. याचिकाकर्ता दिनेश की ओर से अधिवक्ता ने जिला कलेक्टर द्वारा पेश रिपोर्ट पर जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. उच्च न्यायालय ने 18 जनवरी 2021 को अगली सुनवाई मुकरर्र की है. वहीं जिला कलेक्टर को व्यक्तिगत उपस्थिती से छूट दी है.