जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की अदालत ने पाक बॉर्डर पर गैरकानूनी गतिविधियों और हथियार तस्करी के आरोपी हनीफ जकाब की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. आरोपी की ओर से जमानत याचिका पेश करते हुए बताया गया कि वह केवल सहआरोपी है, जिनसे हथियार खरीदने का आरोप है. उन आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, ऐसे में जमानत याचिका मंजूर की जाए.
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वहीं, सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि मामला साल 2014 से विचाराधीन है. बाड़मेर के रामसर थाने में मुकदमा दर्ज है. इस मामले में अभी कुछ आरोपियों की तलाश जारी. ऐसे में आरोपी को जमानत नहीं दी जाए. अभी जांच भी पूरी नहीं हो पाई है, ऐसे में मामला पेडिंग होने की वजह से साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ भी हो सकती है. मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी की जमानत नामंजूर कर ली है.
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने जताई गहरी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के पद पर नियुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव पर राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने गहरी नाराजगी जताई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष नाथू सिंह राठौड़ ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं करने का अनुरोध किया है.
राठौड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव हास्यास्पद और देश की अन्य सभी अदालतों सहित उच्च न्यायालयों में वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के लिए अपमानजनक बताया है. मुख्य न्यायाधीश को भेजे पत्र में कहा किया गया है कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया संबंधित उच्च न्यायालय के कोलेजियम के विवेकाधीन है. इसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि संवैधानिक मूल्यों को चोट पहुंचाने वाला भी है.
पत्र में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की उस टिप्पणी पर भी गंभीर आपत्ति व्यक्त की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को देश के अन्य अधिवक्ताओं की तुलना में गुणवान बताया गया है. एडवोकेट्स एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि पेशेवर गुणवत्ता किसी स्थान विशेष पर जन्म लेने या वकालत करने से नहीं आती, बल्कि छोटी जगहों से भी योग्य एवं प्रतिभावान अधिवक्ता होते हैं.
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पत्र में राजस्थान से सुप्रीम कोर्ट एवं अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचे न्यायाधीशों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव का विरोध किया गया है. साथ ही मुख्य न्यायाधीश से इसे तरजीह नहीं देने और इस संबंध में किसी भी उच्च न्यायालय को कोई निर्देश जारी नहीं करने का आग्रह किया है. पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव पर कोई निर्देश जारी कर भी लिए गए हो तो उन्हें तत्काल वापस लिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने 10 जून को अपने सदस्यों को पत्र भेजकर हाईकोर्ट के जजों के रूप में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों पर विचार करने के प्रस्ताव की जानकारी दी थी. इसमें बताया गया था कि सीजेआई ने इस संबंध में सकारात्मक रुख दिखाते हुए देश के सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश जारी कर दिए हैं. इसके बाद से ही कई राज्यों में वकील एवं अधिवक्ता संगठन विरोध जता रहे हैं.